Guru Pushya Nakshatra || गुरु-पुष्य नक्षत्र || Suresh Shrimali



गुरु-पुष्य नक्षत्र
07 दिसम्बर 2017




देखते ही देखते साल 2017 का अंतिम महीना दिसम्बर आ चुका है। 15 दिसम्बर से 15 जनवरी तक रहेगा मल मास। जिसमें होंगे सभी शुभ एवं पुण्य कार्य निषेध। वर्ष समाप्ति से पूर्व यदि आप भी करना चाहते हैं गृह-प्रवेश, मांगलिक कार्य, नए व्यवसाय की शुरूआत अथवा अन्य कोई शुभ कार्य, तो वो सम्पन्न कर सकते है। इस वर्ष के अंतिम गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन, जो कि 07 दिसम्बर 2017 गुरुवार के दिन प्रातःकाल 07ः19 से रात्रि 08ः30 बजे तक आने वाला है। और आज मैं आपको इसी के बारे में बताने जा रहा हूं। 

गुरु-पुष्य के शक्तिशाली योग का ज्योतिष में बहुत महत्व है। गुरु-पुष्य महायोग एक ज्योतिषीय योग है। इस दौरान गुरु ग्रह का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश होता है। यह महायोग साल में बहुत कम समय ही आता है। ज्योतिषीयों का मानना है कि इस शुभ संयोग को यदि सही इस्तेमाल में लाया जाए तो मन की हर इच्छा पूरी होती है।


क्या है गुरु पुष्य योगः~

  ज्योतिष में 09 ग्रह, 12 राशिया और 27 नक्षत्र माने गए हैं। इनमें 8 वे स्थान पर आता है पुष्य नक्षत्र। इस नक्षत्र का स्वामी शनि है। ज्योतिषीय मान्यता है कि इस नक्षत्र में स्थायित्व का गुण होता है। इसलिए इस समय में जो भी वस्तु खरीदी जाती है। वह स्थायी तौर पर सुख और समृद्धि देती है। गुरुवार को इस नक्षत्र के पड़ने से गुरु पुष्य नामक योग बनता है। गुरु पुष्य योग सभी पुष्य योगों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

गुरु-पुष्य नक्षत्र महत्व:~ 

गुरु-पुष्य नक्षत्र बहुत कम बनता है। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन आता है तब यह योग बनता है। यह योग साधकों के लिए बेहद शुभ माना जाता है लेकिन अन्य सभी सामान्य लोग भी इस योग के लाभ को प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी नये कार्य की सफलता की गारंटी देता है गुरु पुष्य नक्षत्र। ज्योतिषियों के अनुसार गुरुपुष्य, रविपुष्य एवं शनिपुष्य जितने शुभ फलदायी होते है उतना ही बुध और शुक्र का पुष्य हानिकारक होता है।

गुरु-पुष्य नक्षत्र में क्यों की जाती है देवगुरु बृहस्पति और महालक्ष्मी की आराधना एक साथ:~

गुरु-पुष्य नक्षत्र में बृहस्पति देव की आराधना के साथ-साथ महालक्ष्मी की आराधना को भी लाभकारी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि धन की देवी इस महायोग में भक्त की हर एक मनोकामना पूर्ण करती हैं। साथ ही इस नक्षत्र में किसी भी प्रकार की पूजा का फल अत्यंत शुभ होता है। 

घर में सुख-समृद्धि और स्थायी सम्पत्ति बनी रहने के लिए मैं आपको मैं दो छोटे प्रयोग बताने जा रहा हूं जिसे आप सभी को करके लाभ उठाना चाहिए। 

1. प्रयोग- इस दिन दोपहर 12ः37 से 13ः30 बजे के मध्य आप एक चांदी अथवा स्टील की नई डब्बी अपनी सामथ्र्यानुसार खरीदें। इसी के साथ थोड़े साबुत अक्षत, चांदी का एक छोटा चैकोर टुकड़ा, कुछ केसर की पत्तियाँ, पीली सरसो, नागकेसर एवं दो इलायची (यह सभी चीजे बाजार से नई खरीद कर लानी है। घर में पहले से रखी वस्तु प्रयोग में नहीं लेनी है।) उसके पश्चात् आप इन सभी सामग्री को धूप-अगरबत्ती करें एवं लक्ष्मी जी के ‘‘ऊँ ह्नीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः‘‘ मंत्र का 11 बार जाप करें एवं समस्त सामग्रियों को चांदी अथवा स्टील की डब्बी में डालकर डब्बी बंद करें एवं इसे अपने तिजोरी में रख दें।



2. प्रयोग- आज के दिन प्रातःकाल 07ः17 से 08ः36 बजे के मध्य स्नानादि से निवृत होने के पश्चात् पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल में पीले आसन पर बैठ पीेले अक्षतों को अपने दाहिने हाथ में लेकर यह संकल्प लें कि निकट भविष्य में मैं अपने लिए नया वाहन खरीद और अन्य सभी शुभ मांगलिक कार्य निर्विघ्न सम्पन्न कर सकूं। तत्पश्चात् उन अक्षतों को एक पीले वस्त्र की पोटली में बांधें और सूर्यास्त 17ः52 से 19ः12 बजे के मध्य अमृत योग में इसे जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। 


Comments