MAKAR SANKRANTI-2019 || मकर संक्रांति मकर संक्रांति पर्व का महत्व || SURESH SHRIMALI
मकर संक्रांति
(15 जनवरी 2019)
माघ माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मकर संक्रांति महापर्व मनाया जाता है। ग्रहों के राजा सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहते है। इस वर्ष 15 जनवरी को यह पर्व पूरे देश में मनाया जाएगा। सूर्य का उत्तरायण प्रवेष अत्यन्त शुभ माना गया है। क्योंकि इस दिन से पूरे मलमास मंे रूके हुए विवाह, गृह प्रवेष, यज्ञोपवित संस्कार जैसे मांगलिक व शुभ कार्य पुनः शुरू हो जाते है।
मकर संक्रांति पर्व का महत्व:-
मकर संक्रांति का पर्व देश के विभिन्न राज्यों में अपनी-अपनी परम्परा से मनाने का प्रचलन है। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी‘ कहते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ी-तिल के दान का विशेष महत्व है। महाराष्ट्र में इस दिन ‘ताल-गूल‘ नामक हलवे के बांटने की प्रथा है। मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व हिमाचल, हरियाणा तथा पंजाब में यह पर्व ‘लोहड़ी‘ के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे दीवाली की तरह तीन दिनों तक सर्वाधिक धूमधाम मे मनाया जाता है। इसे वहां ‘पोंगल‘ कहते है।
साथ ही इस दिन प्रयाग में स्नान करने का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन गंगा का अवतरण हुआ था। राजा भागीरथ अपने 60,000 पुरखों को मुक्ति दिलाने के लिए अपनी तपस्या द्वारा गंगा को पृथ्वी पर ले आये थे। भागीरथ ने उत्तरायण सूर्य में अर्थात् मकर संक्रांति को ही गंगा में अपने पितरों, सगर के 60 हजार पुत्रों का तर्पण किया था। उस स्थान ‘कपिल मुनि’ आश्रम को आज गंगासागर तीर्थ भी कहते है।
मुझे जानकारी अच्छी लगी। कृपया इसे देखें मकर संक्रांति
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