‘‘अक्षय सौभाग्य साधना’’ से लक्ष्मी सदा रहेगी आपके पास | Suresh Shrimali

‘‘अक्षय सौभाग्य साधना’’ से 
लक्ष्मी सदा रहेगी आपके पास! 

दर्शकों, नमस्कार। 
अक्षय तृतीया के दिन सुख-सौभाग्य ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी के साथ-साथ देवताओं के धनाध्यक्ष श्रीकुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। क्योंकि आज के ही इस विशेष दिन देवादिदेव शिव ने श्रीकुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष बना कर उन्हें वो खजाना सौंप दिया जो कभी खत्म नहीं होता। साथ ही इसी दिन श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिसमें रखा एक चावल का दाना भी सौ संतो की भूख मिटा सकता है, तो आज ही के दिन देवी अन्नपूर्णा ने अवतार लिया था, इसलिए अन्न के भंडार सदैव भरे रहते हैं। आज ही के दिन पृथ्वी वासियों की प्यास बुझाने को गंगा ने पृथ्वी पर अवतरण लिया जो आज भी कल-कल बह रही है। आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने सुदामा को भौतिक संपदा का उपहार दिया था। आज के दिन ज्योतिष के हिसाब से चन्द्रमा और सूर्य दोनों अपनी उच्च राशि में होते हैं जो शुभ फलों के दाता हैं। 
अक्षय तृतीया देवताओं की प्रिय तिथी होने से सौभाग्य व सम्पन्नता प्रदान करने वाला दिन है। इसलिए महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अब ना करें आप दिपावली का इंतजार अक्षय तृतीय महापर्व पर्व पर संपन्न करें, अक्षय सौभाग्य साधना और पाएं महालक्ष्मी का अक्षय आशीर्वाद। 
इस साधना को संपन्न करने के लिए आपको चांदी निर्मित लक्ष्मी चरण पादुका, भोजपत्र, महालक्ष्मी कवच, अष्टगंध, अनार की कलम की आवश्यकता रहेगी-
सर्वप्रथम आप पूजा स्थल में बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गेंहू की चार ढेरियां बनाएं, फिर चारों कोनो में एक-एक ढेरी पर घी का दीपक प्रज्जवलित कर बाजोट के मध्य चांदी या स्टील की थाली रखें, थाली पर लाल पुष्प का आसन बनाकर उस पर भोजपत्र और लक्ष्मी चरण पादुका विराजमान करें। 
अब भोजपत्र पर अष्टगंध से अनार की कलम द्वारा विष्णु का सर्वाधिक प्रिय बीसा यंत्र का निर्माण करना है। आपने एक कहावत सुनी होगी कि ‘‘जिसके घर में हो बीसा, उसका क्या करें जगदीशा’’! यानि कि जिनके घर में बीसा यंत्र हो उन्हें किसी भी तरह का संकट होने पर भगवान स्वयं उनकी सहायता के लिए आते है। इसलिए इस विशेष पर्व पर आप सुख-सौभाग्य बीसा यंत्र का निर्माण करें- जो आपको स्क्रीन में दिखाई दे रहा है। 



यंत्र निर्माण के बाद भोजपत्र व लक्ष्मी चरण पादुका पर केसर कुंकुंम का तिलक लगाकर शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें एवं नैवेद्य का भोग लगाएं।   
फिर आप श्री हरी विष्णु जी से माँ लक्ष्मी के साथ अपने निवास में वास करने का निवेदन करें। इसके बाद आप थोड़े अक्षत लें और ‘‘ऊँ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः’’ मंत्र का जाप करते-करते एक-एक अक्षत भोज पत्र पर अर्पित करें। ऐसा आपको 51 बार करना है। इसके बाद ‘‘ऊँ महालक्ष्मयै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्’’ महालक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करते-करते लक्ष्मी चरण पादुका पर एक-एक मिश्री चढ़ाते रहें। इस प्रकार 51 बार जाप करें और जब दोनों ही मंत्र 51-51 की संख्या में हो जाएं तो लक्ष्मी चरण पादुका को घर के मंदिर में रख दें और भोजपत्र को कवच में डालकर अपने पति के गले में धारण करवाएं और महालक्ष्मी व श्री हरी विष्णु से प्रार्थना करे कि हमारे घर में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, संपन्नता सदैव के लिए बनी रहें। सभी तरह के नेगेटिव पावर दूर होकर हमारे घर में पोजिटिव ऊर्जा का संचार हों। 
मेरा विश्वास है इस साधना से श्री हरी और माँ लक्ष्मी का वास आपके घर में होगा। बची हुई सामग्री गेंहू, मिश्री, अक्षत पक्षियों को दाना डाल द

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