नवरात्री का सच जानिए मेरी जुबानी || Suresh Shrimali

नवरात्री का सच जानिए मेरी जुबानी। 

हम जन्म लेते है और बोलना सिखते है, तो सबसे पहला शब्द होता है, ‘‘माँ’’। माँ का नाम ही ऐसा हैं जिसके उच्चारण मात्र से ही हमारे आस-पास खुशियाँ ही खुशियाँ आ जाती हैं। लेकिन आज माँं को ज्यादातर लोग अपनी मनोकामना पूर्ति का एक उपकरण ही मानते है। 
मैं आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। मान लो एक बच्चा क्रिकेट का बैट चाहता है और उसके लिए वो अपनी माँ को बोलता है कि माँ मुझे बैट चाहिए। इसके लिए मैं 9 दिनों तक व्रत करूंगा। ये सुनकर माँ क्या सोचेगी। पहला कि वो ये चैक करे कि बेटा 9 दिन ढंग से भूखा रहे तो, मैं उसे बैट दिलवाऊ, दूसरा ये सुनते ही कि बेटे को कष्ट होगा तो वो उसे उसी समय बैट दिलवा दे अथवा पहले 3-4 दिन माँ वेट करे अगर बच्चा सही तरीके से व्रत करे तो उसे बैट दिलवाए या अन्त में बेटा कुछ भी कर ले पर उसे बैट नहीं दिलाना है। आप सोच रहे होंगे कि मैं, ये क्या प्रश्न पूछ रहा हूं। दरअसल हम सभी नवरात्रों में 9 दिनों का व्रत करते हैं अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए। आप बताइये कौनसी ऐसी माँ है जो अपने बच्चे के भूखे रहने पर उसे आशीर्वाद देती है। माँ तो वो होती है जो खुद कितने भी कष्ट सहन कर ले लेकिन बच्चे को कोई कष्ट नहीं आने देती है। हम गरीब है ये सिर्फ माँ जानती थी लेकिन हमें हर हाल में अमीर बना कर रखती थी। आप सभी माता-बहने बुरा मत मानिएगा। माँ दुर्गा कैसे प्रसन्न हो सकती है हमारे व्रत करने पर। ज्यादातर लोग व्रत तो करते हैं फिर ऊपर से सगार की सामग्री का प्रयोग दिन में 2-3 बार करते हैं, ये कैसा व्रत हुआ। व्रत करने से पेट को आराम मिलता है और 1 समय का भोजन जो आपने त्यागा है उसे दान करना चाहिए। लेकिन उन बहनो को व्रत नहीं करना चाहिए जिन्हे शारीरिक कष्ट होता हो बाद में। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जो पुरूष या स्त्री 9 दिनो तक व्रत करती है माॅं उसे शक्ति प्रदान करती है कि वह 9 दिनों तक होस्पीटलाइज्ड ना हो जाए। व्रत करने का एक कारण ये भी है कि माॅं शक्ति प्रदान करती है कि कलयुग में बेटा कितने भी कष्ट से गुजरे उसे माॅं कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करती है। 
सिर्फ भोजन ना करके ही आप व्रत ना करें बल्कि इस बार नवरात्रों में व्रत करिए समाज में फैली कुरूतियों, बुराइयों को मिटाने का, व्रत करिए बुरे विचारों को त्यागने का, व्रत करिये माता-पिता की सेवा का। 
इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ जरूरी नियम और बातों का ख्याल जरूर रखना होता है। आइये जानते हैं नवरात्रा व्रत में किन बातों का खास ख्याल रखेंः-
1. व्रती को नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए।
2. कलश स्थापना करने या अखंड दीप जलाने वालों को नौ दिनों तक अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
3. घर में सात्विक भोजन बनना चाहिए। लहसून-प्याज, नॉनवेज से बचना चाहिए।
4. नवरात्रा का व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए।
5. काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
6. किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है।
7. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान 7 दिन पूजन नहीं करना चाहिए।
इन सभी बातों का आप सभी विशेष रूप से ध्यान रखें। 

अब मैं आपको बताता हूं कि क्यों हर साल नवरात्री में इतनी पूजा करने के बाद भी सफलता हमें नहीं मिल पा रही है, क्योंकि शापोद्धार के 20 श्लोक हम नहीं पढते है। इसके पीछे एक मुख्य कारण क्या है आइये अब हम जाते है।  
बात कर रहा हूँ , दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ की। नाम तो सुना ही होगा। ब्रह्मा-वशिष्ठ-विश्वामित्र तीनों ऋषि-मुनियों ने कलयुग की समस्याओं को समाप्त करने के लिए 700 श्लोकों से एक ग्रन्थ की रचना की। जिस ग्रन्थ में हमारी मनोकामनाओं की पूर्ति के सारे प्रयोग मौजूद है लेकिन उसी ग्रंथ में वशीकरण, मारण और उच्चाटन के मंत्र भी शामिल है। 
अब आप एक बात बताइये एक व्यक्ति एक ऐसी स्त्री से प्रेम करता है जो कि विवाहित भी है और वो व्यक्ति उस स्त्री को पाने के लिए नवरात्री में व्रत करता है और वशीकरण के मंत्रों का विधिवत जाप भी करता है, तो आप के हिसाब से क्या होना चाहिए। अगर आप ये कहते हैं कि ये गलत है तो किसके लिए गलत है आपके और उस स्त्री के लिए। लेकिन उस व्यक्ति के लिए तो सही है, क्योंकि दुर्गा सप्तशती में ही तो ये मंत्र दिया है। अगर आप कहते है कि व्यक्ति सही है तो भी आप गलत है क्योंकि ऐसे तो कोई किसी से भी प्रेम कर वशीकरण मंत्र से उसे प्राप्त कर लेगा। 
ऐसे ही प्रश्न उन तीनो ऋषि-मुनियों से जब पूछे गये तो उन्होने दुर्गा सप्तशती को नष्ट कर दिया। लेकिन वापस जब ये पूछा गया कि उन लोगों का क्या होगा जो दुकान में ग्राहक ना होने से परेशान है और बच्चे भूखे है और वो वशीकरण मंत्र का जाप करके ग्राहकों को बुलाता है तो क्या गलत है। तब ऋषि-मुनियों ने इसका तोड निकाला और वो तोड था शापोद्धार के 20 श्लोक। इन 20 श्लोकांे को नवरात्री के पहले दिन पढना चाहिए। जिसका अर्थ है कि मैं दुर्गा सप्तशती का पाठ और नवरात्री अपने, राष्ट्र और परिवार की खुशहाली के लिए करूंगा, जिससे किसी का भी अहित ना हो। ये 20 श्लोक आप हमारे कार्यालय से भी प्राप्त कर सकते है।


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