Savan Maah-2018 (Jul 28 से Aug 26) क्या है श्रावण मास और क्यों है इसकी इतनी महत्ता
श्रावण मास और इसकी महत्ता
भोलेनाथ के बारे में यह बात सर्वविदित है कि किसी भी भक्त के द्वारा अगर उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो वो जल्दी ही प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद देते है और बात करें अगर उनके अतिप्रिय श्रावण मास की, तो ये सभी भक्तों के लिए उनसे आशीर्वाद प्राप्ति का एक स्वर्णिम अवसर होता है। आज मैं मेरे इस प्रोग्राम के माध्यम से आप सभी को यह बताने जा रहा हूं कि क्या है श्रावण मास और क्यों है इसकी इतनी महत्ता-
हिन्दू पंचांग की शुरुआत चैत्र मास से होती है। इससे पांचवां माह श्रावण मास कहलाता है। यह पवित्र मास हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार श्रावण मास 28 जुलाई से 26 अगस्त 2018 तक मनाया जाएगा। जिसमें पहला श्रावण सोमवार 30 जुलाई को है। दूसरा, 06 अगस्त, तीसरा 13 अगस्त, चैथा और आखिरी श्रावण सोमवार 20 अगस्त को है। ऐसी मान्यता है की इसी दिन देवा-दी-देव महादेव लिंग रूप में धरती में प्रकट हुए थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र घटित होता है। श्रवण नक्षत्र के ही नाम से इस माह का नाम श्रावण पड़ा। श्रवण का अर्थ है सुनना, यानि सुनकर धर्म को समझना। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है, ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने मनुष्यों को सुनाया था। उत्तर भारत में इसे सावन मास के रूप में मनाया जाता है। सावन का ये एक महिना अविवाहित कन्याओं के लिए विशेषकर फलदायी होता है, सावन मास के पहले सोमवार से ही अधिकतर ऐसी कन्याएँ 16 सोमवार का व्रत प्रारंभ करती है। क्योंकि त्रिपुरारी के लिए ये बात प्रशिद्ध है कि वो शीघ्र ही अपने भक्त की भक्ति से प्रसन्न हो फल प्रदान करते है। श्रावण मास के सभी मंगलवार शक्ति की देवी पार्वतीजी को समर्पित होते है। इस दिन में किये व्रत को मंगल-गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है। इस माह में सावन शिवरात्री और हरियाली अमावस्या का दिन अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
कौनसे दिन है इस माह में सबसे पवित्र:-
आइए जानते है कि श्रावण मास में कौन-कौनसे दिन अति पवित्र होते है। यह आज मैं इस प्रोग्राम के माध्यम से बताना चाहुंगा। वैसे तो इस माह में वैसे तो सभी दिन पवित्र ही होते है। लेकिन सोमवार, गणेश चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत, मौना पंचमी, श्रावण माह का पहला शनिवार, कामिका एकादशी, कल्कि अवतार शुक्ल 6, ऋषि पंचमी, 12वीं को हिंडोला व्रत, हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, त्रयोदशी, वरा लक्ष्मी व्रत, गोवत्स और बाहुला व्रत, पिथोरी, पोला, नराली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, पवित्रारोपन, शिव चतुर्दशी और रक्षा बंधन विशेषकर अत्यधिक शुभ दिन माने गए है।
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