मकर सक्रांति पर्व || 14 जनवरी 2018 || Suresh Shrimali
मकर सक्रांति पर्व(14 जनवरी 2018)
उत्तरायण पर्व अर्थात् मकर संक्रांति की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।
14 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट के बाद सूर्य धनु राषि से मकर राषि में प्रवेष करेंगे इसलिए इस पर्व का दान, पुण्य व संकल्प आदि इस समय के बाद ही करें।
मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में खिचड़ी तो गुजरात में उत्तरायण दक्षिण भारत में पोंगल तो असम में माघी विहू।
देखा जाएं तो नये साल की शुरूआत मकर संक्रांति से ही होती है, महाराष्ट्र मंे मकर संक्रांति के दिन लोग एक-दूसरे को गुड़ और तिल खिलाते है और ऐसा माना जाता है कि तिल और गुड़ खाने से लोग मीठा बोलते है। इस दिन तीर्थस्थलों में स्नान ध्यान ओर जप का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन उड़द के दाल की खिचड़ी, घी, गुड़, कम्बल और कपड़ों का दान किया जाता है और खिचड़ी खाई जाती है। खिचड़ी का धार्मिक से ज्यादा आयुर्वेदिक महत्व है। उड़द की दाल शरीर को गर्मी ओर ऊर्जा देती है। दक्षिण भारत में मकर संक्रांति पोंगल के नाम से मनाई जाती है। मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले पंजाब, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लोहड़ी मनाई जाती है।
उत्तरायण के सूर्य से वरदान प्राप्ति के रूप में भी मकर संक्रांति को माना जाता है। स्नानादि के पश्चात् सूर्यदेव का आशीर्वाद तो हम सब लेंगे ही, लेकिन सिर्फ स्नान मात्र से ही बात नहीं बनेगी, क्योंकि इस पर्व के साथ ही दान का महत्व भी काफी जुड़ा हुआ है। पूर्ण श्रद्धा भाव से किया गया दान सूर्य जैसा चमकवान बना सकता है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण हो जाते हैं। मकर सूर्य के पुत्र शनि की राशि है और माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र से मिलने के लिए आते हैं। मांगलिक दोषों से ग्रसित जातक कुछ खास वस्तुओं का दान कर अपने मांगलिक दोषों से मुक्त हो सकते हैं। व्यावसायियों के द्वारा मकर संक्रांति पर दिया गया दान उनके लिए व्यवसाय में और अत्यधिक सुअवसर पैदा करेगा। ऐसी मान्यता है कि संक्रांति के दिन मकर राशि में लक्ष्मीवान बनाने का विशेष गुण भी विद्यमान होता है। इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं के दान के द्वारा दरिद्रता से मुक्त हो सकते है। घर-आंगन में महालक्ष्मी का प्रवेश सभी सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
ऐसी भी मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से दान किया जाए तो सूर्यदेव के आशीर्वाद के साथ-साथ शनिदेव का आशीर्वाद भी स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन तिल और गोंद से बनी वस्तुओं के दान का प्रचलन है लेकिन यदि शनि से जुड़ी हुई वस्तुएं जैसे- लोहे का तवा, काले कम्बल, काले जूते, काला छाता इत्यादि वस्तुओं का दान करें तो सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। राह में आने वाली सभी बाधाओं से बचा जा सकताा है। एक और विशेष बात यह है कि इस दिन के दान का फल जन्म-जन्मांतरों तक साथ चलता है।
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