मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना || Suresh Shrimali
‘‘मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना‘‘
इसके लिए आपको सूर्य कवच, तांत्रोक्त आदित्य मणि, भोजपत्र, अष्टगंध, अनार की कलम की आवश्यकता रहेगी।
साधना विधि:- प्रातःकाल सर्वप्रथम एक तांबे का लोटा लेकर उसको शुद्ध जल से भरे एवं उसमें कुंकुम, मोली, लाल पुष्प डालकर सूर्य भगवान को ‘‘ऊँ घृणी सूर्याय नमः‘‘ मंत्र का उच्चारण करते हुए अघ्र्य दें।
सूर्योद्य से सूर्यास्त तक कभी भी यह साधना कर सकते हैं। सर्वप्रथम आप पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। अपने सामने एक बाजोट रखें, उस पर सफेद सूती वस्त्र बिछाए। यदि आपके पास जन्मपत्रिका है तो उसमें देखें कि सूर्य कौनसे स्थान में है। उसी के आधार पर गेंहू से बाजोट पर उतनी ही ढेरियां बनाएं। यदि जन्मपत्रिका नहीं हैं तो गेंहू की सात ढेरिया बाजोट पर बना दें। फिर ढेरियों पर चांदी, कांसे या स्टील की थाली रखें। थाली में अष्टगंध से अष्टदल बनाए। फिर बाजोट के बाईं ओर तेल एवं दाहिनी ओर घी का दीपक जलाएं।
फिर अष्टगंध लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्याही (घोल) बना लें एवं अनार की कलम की सहायता से भोजपत्र पर यह यंत्र बनाए।
6 1 8
7 5 3
2 9 4
यंत्र बनाने के बाद भोजपत्र को थाली में विराजमान कर दें एवं भोजपत्र के ऊपर तांत्रोक्त आदित्य मणि व सूर्य कवच विराजमान करके इस मंत्र का जाप आपकी जन्मपत्रिका में सूर्य की स्थिति के अनुसार करें, यदि जन्मपत्रिका नहीं है तो सात माला जाप करें।
मंत्र:-
‘‘ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः।‘‘
मंत्र जाप पूर्ण हो जाने के बाद आप तांत्रोक्त आदित्य मणि एवं भोजपत्र को सूर्य कवच में डालकर कवच को चिपका दें एवं लाल रंग के धागे में डालकर गले में धारण कर ले। फिर आप अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करें एवं तिल के लड्डू दान करें और साथ ही हो सके तो अपने वजन के बराबर गंेहू का दान करें। सूर्य साधना सम्पन्न करने के बाद् आपको करनी है शनि शांति साधना।
‘‘शनि शांति साधना‘‘
शनि चुंकि सूर्यपुत्र हैं एवं मकर संक्रांति सूर्य का सबसे बड़ा पर्व है इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य के साथ-साथ शनि की विशेष साधनाएं सम्पन्न करने से जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
शनि चाहे पुरूष की कुण्डली हो चाहे स्त्री की कुण्डली हो लग्न में व सप्तम में बैठा विवाह में बाधा उत्पन्न करेगा। चैथे व पांचवे में बैठा विद्या, सुख व संतान की बाधा देगा। नवम में भाग्य बाधा और दषम में रोजगार की बाधा देगा।
जब भी शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढ़य्या या शनि की दशा लगती है तो व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार के कष्टों को अपने जीवन में देखता है। तीन दिन का काम व्यक्ति के तेरह दिन में भी पूरा नहीं होता है। आदमी के जीवन में हर कार्य में परेशानी आती है। आदमी मानसिक रूप से परेशान रहता है।
विनाश काल तब तक नहीं आता है, जब तक व्यक्ति की बुद्धि खराब नहीं हो जाती है। शनि खराब हो जाएं तो तब तक पहना हुआ कपड़ा भी व्यक्ति का बैरी हो जाता है। वह भी उसका साथ नहीं देता है। व्यक्ति के परिवारजन, दोस्त सभी आपको दुखी कहने लगते है।
जिस प्रकार न्यायाधीश अपना निर्णय सुनाने में हिचकिचाता नहीं है। उसी प्रकार शनि भी शनि की साढ़ेसाती व शनि की ढ़य्या में आपके 90 प्रतिशत कार्य हो जाएगा व 10 प्रतिशत बाकी रहेगा। पूर्ण होने में व हर कार्य में विघ्न आएगा। मुंह तक आया हुआ निवाला नीच गिर जाएगा, आपकी सलाह से लोग तरक्की कर लेंगे आप वहीं के वहीं रह जाएगे। शनि आपको हमेशा दुखी एवं परेशान रखेगा। आपको लगेगा आपके चारों ओर अवसर है परन्तु आप उसका लाभ उठा नहीं पा रहे है। तनाव, बैचेनी व अशांति का वातावरण हमेशा आपके साथ रहेगा। यह सब कुछ से छुटारा पाने हेतु सम्पन्न करें ‘‘शनि शांति साधना।‘‘
‘‘शनि शांति साधना‘‘
इसके लिए आपको सिद्ध शनि तैतिसा यंत्र, शनि तैतिसा माला, काले घोड़े की नाल एवं शनि छल्ला की आवष्यकता रहेगी।
साधना विधान:- आप सर्वप्रथम एक काला कपड़ा, सवा किलो काले तिल, सरसों का तेल (कड़वा तेल), हवन कुण्ड (हवन कुण्ड नहीं हो तो मिट्टी से चैकी बना लें) लेकर लकड़ी से अग्नि जला लें। फिर सिद्ध शनि तैतीसा यंत्र, काले घोड़े की नाल व शनि छल्ले को उसके पास ही किसी पात्र में विराजमान कर दें तथा अग्नि में इस मंत्र के साथ तिल डालते रहे एवं साथ ही यंत्र, नाल व शनि छल्ले को घर का सदस्य जो भी हो वह पास में बैठकर सरसों का तेल चढ़ाए एवं शनि तैतिसा माला से मंत्र का जाप करें।
मंत्र:-
ऊँ न्न्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारूकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
मंत्र जाप पूर्ण हो जाने पर यंत्र एवं माला को काले कपड़े में लपेट कर बहते जल में प्रवाहित कर दें एवं घोड़े की नाल को साफ करके घर के मुख्य द्वार के भीतर की ओर न् आकार में लगा दें व शनि छल्ले को भी साफ करके दाहिने हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण कर लें। हवन कुण्ड वाली सामग्री जो राख बन गई है उसे छानकर साफ कर लें एवं किसी डिब्बी में डाल लें। बाकी बची हुई भस्म को बहते जले में प्रवाहित कर दें या फिर पीपल के पेड़ या पौधों में डाल दें। डिब्बी वाली भस्म को घर के सभी सदस्य प्रतिदिन ललाट पर तिलक के रूप में लगाए।
यदि स्त्री यह साधना करे तो उनके पति के लिए काफी लाभदायी रहेगा। इससे शनि का प्रकोप कम होगा एवं घर में सुख-समृद्धि एवं शांति बनी रहेगी।
अंत में मेरी ईष्वर से यही प्रार्थना है कि आप पर सूर्य देवता के आषीर्वाद की वर्षा हो और आपका जीवन खुषी की अनन्त सूर्य किरणों से भर जाएं। मकर संक्रान्ति की बहुत-बहुत बधाईयां।
Comments
Post a Comment