MAKAR SANKRANTI-2019 || करें दान हो कल्याण || SURESH SHRIMALI

करें दान हो कल्याण

साथ ही इस दिन दान का विशेष विधान है। क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्राति पर दान की इतनी महिमा क्यों है? और क्यों लाखों लोग इस पर्व पर दान करते है ? इस संबंध में- 
जब यक्ष ने धर्मराज युधिष्ठर से प्रश्न किया कि मृत्यु के समय सब यहीं छूट जाता है, सगे-संबंधी, मित्र कोई साथ नहीं दें पाते तब उसका साथी कौन होता है ? 
इस पर युधिष्ठर ने कहा-मृत्यु प्राप्त करने वाले का मित्र दान हैं, वही उसका साथ दे पाता हैं।
इसी प्रकार अथ्र्ववेद में कहा गया है कि-सैकड़ों हाथों से कमाओं और हजारों हाथों से बांट दो। 
अर्थ की शुद्धि के लिए दान आवश्यक है। जिस प्रकार बहता हुआ पानी शुद्ध रहता है उसी प्रकार धन भी गतिशील रहने से शुद्ध होता है। धन कमाना और उसे शुभ कार्याें में लगाना अर्थ की शुद्धि है। यदि धन का केवल संग्रह होता रहे तो संभव एक दिन वह उसी नाव की तरह मनुष्य को डूबा देगा जिसमें पानी भर जाता है। दान कई प्रकार का हो सकता है-अर्थ दान, विद्या दान, श्रम दान, ज्ञान दान, अंग दान, अन्न दान, रक्त दान आदि इनमें से हर एक की अपनी महत्वता है। 
श्रीमद्भागवत गीता में भी बताया गया है कि धन के तीन स्वरूप है उपभोग, दान व नाश। इसलिए चैथा रूप धन का नहीं हो सकता। तो सर्वप्रथम आप धन का उपभोग करें अर्थात् अपने परिवार की सभी जरूरतों को पूरा करें और फिर उसके दूसरे स्वरूप दान का अनुसरण करें, क्योंकि दान-पुण्य से आत्मा को परम संतुष्ठि व शांति का अनुभव होता है तो स्वयं के लाभ के लिए दान अवश्य करें। 

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