गुरू अच्छा है तो करें ये व्यापार || Suresh Shrimali
गुरू अच्छा है तो करें ये व्यापार
अधिकतर व्यक्ति के मन में यह चाह होती है कि वो किसी के अंडर में काम ना करके स्वयं का कुछ-न-कुछ छोटा-बड़ा बिजनस करे। इसीलिए आज इस एपिसोड में बात कर रहे है हम बिजनस की-
सभी नौ ग्रहों की सीरीज में मेरा यह Blog बृहस्पति ग्रह पर आधारित है। यदि आपकी कुण्डली में बृहस्पति अच्छी पाॅजीशन में है और साथ ही आपके मन में बिजनस करने की इच्छा है तो कौनसे बिजनस आपके लिए स्युटेबल होंगे, ये आज मैं आपको बताउंगा। साथ ही इस Blog के अंत में कुछ ऐसे उपाय जो बृहस्पति को मजबूत कर आपके बिजनस को स्ट्राँग करेंगे, वो बताउंगा।
हमारे नवग्रहों में बृहस्पति का उच्चतम स्थान है और इन्हें सबसे प्रभावशाली ग्रह माना गया है। बृहस्पति या गुरु वैदिक ज्योतिष में देवताओं के भी शिक्षक और गुरु माने जाते है। बृहस्पति एक बहुत ही शुभ ग्रह तथा भाग्य, नियम धर्म, दर्शन, अध्यात्म, धन और संतान का प्रतिनिधित्व करते है। देवगुरु बृहस्पति की स्थिति जन्म कुण्डली में अनुकूल होने पर नाम, शोहरत, सफलता सम्मान, धन, संतान और संतान के साथ अच्छे संबंध प्रदान करते है।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार यह धनु और मीन राशि के स्वामी है और पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों का भी यह स्वामित्व रखते है। बृहस्पति का रंग पीला है, दिन गुरूवार है, और उत्तर-पूर्व इनकी दिशा है। बृहस्पति से प्रभावित व्यक्ति आम तौर पर धार्मिक, आस्थावान, दार्शनिक विज्ञान में रूची रखने वाला एवं सत्यनिष्ठ होता है।
बृहस्पति इंसान की जिंदगी पर गहरा असर छोड़ते है। अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, तो परेशानियां बढ़ती चली जाती हैं, क्योंकि किसी भी चीज को बृहस्पति विशाल रूप देते है। बृहस्पति ग्रह के लिए यह बात प्रचलित है कि ‘‘स्थान हानि करो जीव‘‘ अर्थात् कुण्डली के जिस भाव में बृहस्पति ग्रह विराजित हो जाते है उस भाव से संबंधित उच्च स्तरीय फल को प्रदान करने में सहायक नहीं रहते है लेकिन देवगुरु बृहस्पति की दृष्टियां शुभ मानी गई है।
ज्योतिष के जानकारों की मानें, तो आपकी जिंदगी में होने वाली हर बड़ी घटना के कारक बृहस्पति हो सकते है तो आइए जानते हैं कि आपकी जिंदगी को कैसे प्रभावित करते है बृहस्पति।
अब आइये ये जान लें कि गुरू के व्यापार कौन कौन से होते हैं। और अगर आपका मन उन व्यापार को करने का होता है और आगे मेरे द्धारा बताए गये उदाहरण आपकी आपकी कुण्डली में सेट बैठते हैं तो आप गुरू संबंधित व्यापार कर सकते है।
गुरू के व्यापारः- धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न करने वाला, ज्याेितष-आध्यात्म-धर्म आदि की पुस्तकों का लेखक और प्रकाशक। धार्मिक ट्रस्ट या एनजीओ का संचालन करने वाला, लेखक, समाज सेवी, उपदेशक, राष्ट्र के लिए सलाहकार, ज्योतिष-वास्तु सलाहकार बनना, दर्शन शास्त्री, वकील, टीचर, प्रोफेसर। स्कूल-काॅलेज का कार्य, स्किल डेवलपर, पब्लिक रिलेशन मेनेजमेंट कार्य, फल-पुष्प-पेड-पौधों आदि का कार्य, संपादक आदि के कार्य कर सकते हैं।
आइये आप अपनी और अपने नियर एंड डीयर की कुण्डली खोल के देखें और जो में कुछ उदाहरण दूंगा वो उन कुण्डलियों में होते हैं तो आप उन व्यापार को अपना सकते है-
1. मेष लग्न की कुण्डली हो और 4 हाउस में गुरू हों तो वो उच्च के होकर 10th हाउस कर्म स्थान को देखेंगे। इसमें 1 खास बात ये है कि गुरू 9 वी दृष्टि 12th हाउस पर होगी जो कि स्वयं का घर है अतः नुकसान नहीं होने देगे।
2. कुण्डली मिथुन लग्न की हो और गुरू बिजनस हाउस में स्वगृही होकर हंस योग बना कर विराजित है व 10th हाउस में भी गुरू स्वगृही होकर हंस योग बना कर विराजित है। यहां पर वैल्थ हाउस के लाॅर्ड चन्द्रमा व इनकम हाउस के लाॅर्ड मंगल गुरू के मित्र है। लेकिन गुरू को केन्द्राधिपति दोष लगेगा क्योंकि 2 केन्द्र के अधिपति होकर केन्द्र में ही बिराजमान होंगे। इसके लिए आपको गुरू के उपाय और नवमांश में गुरू की स्थति तो देखकर ही निर्णय लें।
2. कुण्डली मिथुन लग्न की हो और गुरू बिजनस हाउस में स्वगृही होकर हंस योग बना कर विराजित है व 10th हाउस में भी गुरू स्वगृही होकर हंस योग बना कर विराजित है। यहां पर वैल्थ हाउस के लाॅर्ड चन्द्रमा व इनकम हाउस के लाॅर्ड मंगल गुरू के मित्र है। लेकिन गुरू को केन्द्राधिपति दोष लगेगा क्योंकि 2 केन्द्र के अधिपति होकर केन्द्र में ही बिराजमान होंगे। इसके लिए आपको गुरू के उपाय और नवमांश में गुरू की स्थति तो देखकर ही निर्णय लें।
3. अब आइये बात करतें है कन्या लग्न की तो गुरू आपकी कुण्डली में 4th हाउस में स्वगृही होकर हंस योग बना कर विराजित है, गुरू की सांतवीं दृष्टि 10th हाउस कर्म भाव पर है। या गुरू बिजनस हाउस मे स्वगृही होकर हंस योग बनाकर विराजित है। यहां पर वैल्थ हाउस के लाॅर्ड शुक्र व इनकम हाउस के लाॅर्ड चन्द्रमा गुरू के मित्र है। लेकिन यहाॅें भी गुरू को केन्द्राधिपति दोष लगेगा क्योंकि 2 केन्द्र के अधिपति होकर केन्द्र में ही बिराजमान होंगे। इसके लिए आपको गुरू के उपाय और नवमांश में गुरू की स्थति तो देखकर ही निर्णय लें।
4. तुला लग्न में अगर गुरू 10th में हों तो उच्च के होंगे और वीक प्वाइंट ये है कि वो रोग भाव यानी 6th लोर्ड भी होेंगे परन्तु देखिए कमाल यहाॅं गुरू की 9 वी दृष्टि 6th हाउस पर होने से ये परेशानी भी खत्म हुई समझो।
6. कुण्डली मीन लग्न की हो और लग्न में गुरू स्वगृही होकर हंस योग बना रहे है, गुरू की सांतवीं दृष्टि बिजनस हाउस पर है व गुरू 10th हाउस में स्वगृही होकर हंस यागे बनाकर विराजित रहेंगे। यहां पर वैल्थ हाउस के लाॅर्ड मंगल व इनकम हाउस के लाॅर्ड शनि गुरू के मित्र है।
ये जो मेने अभी आपको कुछ उदाहरण दिये हैं अगर ये कुण्डली में है और आपका मन व्यापार और मुख्य रूप से गुरू से संबंधित व्यापार का कर रहा है तो आपको व्यापार करना चाहिए।
उपाय:- अब में आपको कुछ उपाय बता रहा हूं जिनका सहारा लेकर आप अपने व्यापार को स्पीड दे सकते हैं, तकलीफों और व्यापारिक अडचनों को दूर कर सकते है।
* प्रातः स्नानादि करने के बाद पीले आसन पर बैठकर ऊँ बृं बृहस्पते नमः। मंत्र का जप करें। जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।
* गुरुवार को गुरु से जुडी पीली वस्तुओं जैसे सोना, हल्दी, चना, फल आदि का दान करें।
* प्रत्येक गुरूवार घर में स्थित पारद शिवलिंग या सिद्धेश्वर शिवलिंग को घर के बने बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। पारद शिवलिंग व सिद्धेश्वर शिवलिंग हमारे संस्थान जोधपुर से प्राप्त कर सकते है।
* गुरू दिक्षा प्राप्त करें और माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करे।
उम्मीद है कि आपकी जिज्ञासा को मेने शांत किया होगा। यदि और कोई प्रश्न या समस्या हो तो कमेंट करें। आपने मुझे ध्यान से सुना इसके लिए बहोत-बहोत धन्यवाद और प्यार भरा आशीर्वाद।
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