स्वयं का घर प्राप्ति के योग (Dream House) || Suresh shrimali


स्वयं का घर प्राप्ति के योग
(Dream House)

घर मनुष्य जीवन की एक मूल आवश्यकता है, जिसके बिना जीवन संचालन बड़ा कठिन होता है। एक अच्छे घर की इच्छा तो सभी व्यक्ति के मन में होती है परंतु सभी व्यक्तियों को अपने घर का सुख सम्मान रूप से नहीं मिल पाता है। कुछ लोगों को जहां अपनी पैतृक संपति के रूप में घर की प्राप्ति होती है तो कुछ लोगों को अपनी घर की प्राप्ति के लिए बहुत संघर्षों का सामना करना पड़ता है। वहीं बहुत से लोगों को जीवनभर संघर्ष और प्रयास करने के पश्चात् भी अपने घर का सुख नहीं मिल पाता है, वास्तव में अपना मकान का सुख हमारी कुण्डली की ग्रहस्थिति पर निर्भर करता हैं तो आइये देखते है- 
कौनसे ग्रहयोग व्यक्ति को अपने घर का सुख प्रदान करते है और किन ग्रहस्थिति से व्यक्ति को अपने घर का सुख मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 
हमारी कुण्डली में 4th हाउस को भूमि-भवन एवं संपति के सुख का कारक माना गया है। इसके अलावा शुक्र को घर का सुख, संपति एवं भौतिक संसाधनों का कारक माना गया है। मुख्य रूप से कुण्डली के 4जी हाउस, 4th हाउस के लाॅर्ड और शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में अपने घर के सुख के स्तर को दर्शाती हैं। 

स्वयं का मकान/घर प्राप्ति के योग:-

1. यदि कुण्डली में 4th लाॅर्ड 4th हाउस में ही हो या 4th हाउस पर दृष्टि हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये मान लीजिए आपका लग्न मेष है तो 4 लोर्ड बनेंगे चन्द्रमा और चन्द्रमा या तो 4th हाउस में हो या 10th हाउस में बिराजकर 4 हाउस को देखे तो ये योग बनेगा। तो ऐसे व्यक्ति को चन्द्रमा की दशा या अन्तर दशा में स्वयं के मकान का सुख मिलता है। 

2. कुण्डली में 4th लाॅर्ड स्वगृही या उच्च राशि में केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कुण्डली कर्क लग्न की है और 4 लोर्ड बनेंगे शुक्र वो या तो 4th हाउस में हो या भाग्य स्थान में होगे तब ही उच्च के होंगे जो त्रिकोण का घर हैं। अतः मनुष्य को 32 वें वर्ष में घर का सुख प्राप्त होता है या शुक्र की दशा या अन्तरदशा में लाभ मिलेगा। 

3. शुक्र यदि कुण्डली में स्वगृही या उच्च राशि में केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मकर लग्न की कुण्डली है तो 10th हाउस में शुक्र स्वग्रही होंगे जो कि केन्द्र का घर है। तो ऐसे व्यक्तियों को शुक्र की दशा-अन्तर दशा में स्वयं के मकान का सुख प्राप्त होता है। 

4. यदि कुण्डली में 4th हाउस के लाॅर्ड लग्न में स्थित हो और लग्न के लाॅर्ड 4th हाउस में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी वृश्चिक लग्न की कुण्डली है तो लग्न के लाॅर्ड मंगल 4th हाउस में कुंभ राशि में स्थित होंगे और 4th हाउस के लाॅर्ड शनि लग्न में स्थित होंगे तब यह स्थिति बनती है। तो ऐसे व्यक्तियों को मंगल व शनि की दशा अन्तर दशा में स्वयं के मकान की प्राप्ती होती है। 

5. यदि कुण्डली में 4th हाउस में चन्द्र-शुक्र की युति हो रही हो एवं 4th हाउस के लाॅर्ड केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी तुला लग्न की कुण्डली है। और 4th हाउस में चन्द्रमा-शुक्र स्थित हो और 4th हाउस के लाॅर्ड शनि भाग्य भाव में विराजमान हो जो कि त्रिकोण का भाव है। तो ऐसे व्यक्तियों को शनि की दशा-अन्तर दशा में स्वयं के मकान का सुख प्राप्त होता है। 

6. यदि कुण्डली में 4th हाउस के लाॅर्ड एवं लग्नेश (1st हाउस के लाॅर्ड) की 4th हाउस में युति हो रही हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। 
उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कर्क लग्न की कुण्डली है 4th हाउस के लाॅर्ड शुक्र और लग्नेश चन्द्रमा की 4th हाउस में युति हो तो यह योग घटित होगा। तो ऐसे व्यक्तियों को चन्द्रमा एवं शुक्र की दशा-अन्तर दशा में स्वयं के मकान के योग बनते है। 

7. यदि कुण्डली में 4th हाउस के लाॅर्ड केन्द्र में देवगुरू बृहस्पति के साथ स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मिथुन लग्न की कुण्डली है। तो 4th हाउस के लाॅर्ड बुध 10th हाउस में देवगुरु वृहस्पति के साथ स्थित हो जो कि कुण्डली का केन्द्र भाव होता है। यहां देवगुरु वृहस्पति केन्द्र में स्वग्रही स्थित होने से पंचमहापुरूष योग के अन्तगर्त हंस नामक राजयोग भी घटित होगा।  तो ऐसे व्यक्तियों देवगुरु वृहस्पति की दशा-अन्तर दशा में स्वयं का मकान प्राप्त होता है। 

8. यदि कुण्डली में 4th हाउस के लाॅर्ड एवं मंगल ग्रह स्वगृही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी धनु लग्न की कुण्डली है तो 4th हाउस के लाॅर्ड देवगुरु  वृहस्पति 5th हाउस में स्थित हो और 5th हाउस में मंगल स्वग्रही होकर स्थित हो जो कि त्रिकोण का भाव होता है। तब यह स्थिति घटित होती है। तो ऐसे व्यक्तियों को मंगल या गुरु की दशा-अन्तर दशा में स्वयं के मकान की प्राप्ति होती है।

9. यदि कुण्डली में 4th हाउस के लाॅर्ड 10th हाउस में स्थित हो एवं 10th हाउस के लाॅर्ड 4th हाउस में स्थित हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। उदाहरण केे तौर पर समझिये आपकी सिंह लग्न की कुण्डली है तो 4th हाउस के लाॅर्ड मंगल 10th हाउस में स्थित हो 10th हाउस के लाॅर्ड शुक्र 4th हाउस में स्थित हो तब यह योग घटित होगा तो ऐसे व्यक्तियों को मंगल एवं शुक्र की दशा-अन्तर दशा स्वयं का मकान के योग बनते है। 

10. यदि कुण्डली में 4th हाउस में उच्च के सूर्य विराजमान हो तो व्यक्ति को अपने घर की सुख प्राप्ति होती हैं। ऐसा योग सिर्फ मकर लग्न की कुण्डली में संभव है। मकर लग्न की कुण्डली में 4th हाउस में सूर्य मेष राशि में विराजमान होने से यह योग बनता हैै। तो ऐसे व्यक्तियों को सूर्य की दशा-अन्तर दशा में स्वयं के मकान योग बनते है। 

स्वयं के मकान प्राप्ति के लिए उपाय:-

1. अपनी कुण्डली के 4th हाउस के लाॅर्ड ग्रह के मंत्र का नियमित जाप करें। 
2. श्री सूक्त का नियमित रूप से पाठ करें। 
3. सोते समय अपने सिरहाने तांबे के पात्र में जल भरें और उस जल में एक चुटकी कुंकुंम एवं एक छोटी डली गुड़ की डालें, सबुह उठकर उस जल को पीपल के वृक्ष में डाल दें। 
4. मंगलवार के दिन अष्टधातु के बने मंगल की यंत्र की अपने पूजा स्थान में स्थापना करें एवं नियमित रूप से यंत्र की पूजा करें। 
5. मंगलवार को शिवलिंग पर मसूर की दाल अर्पित करें।
6. शनिवार को किसी भूखें व्यक्ति को यथाशक्ति इमरती खिलाएं।
7. अपने घर के पूजा स्थान में मूंगे के गणपति की स्थापना करें। 
8. नियमित रूप से मंगलस्त्रोत का पाठ करें। 

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