संतान प्राप्ति में बाधा के कारण व निवारण || Suresh Shrimali


संतान प्राप्ति...
में बाधा के कारण व निवारण

संतान प्राप्ति या संतान सुख मनुष्य जीवन की एक बड़ी महत्वपूर्ण कड़ी है। प्रत्येक दाम्पत्य को संतान प्राप्ति व माता-पिता कहलाने के सौभाग्य की इच्छा होती है और जीवन में संतान आने के बाद व्यक्ति के जीवन में नए रंगों से भर जाता है, परंतु सभी व्यक्तियों को यह सौभाग्य समान रूप से प्राप्त नहीं होता कुछ लोगों को सुगमता से संतान की प्राप्ति या संतान सुख मिल जाता है तो बहुत से लोगों को बाधाओं के बाद या विलम्ब से संतान प्राप्ति हो पाती है। महाभारत के शांति पर्व में कहा गया है कि पुत्र ही पिता का पुत्र नामक नर्क में गिरने से बचाता है। मुनिराज अगस्त्य ने संतानहीनता के कारण अपने पितरों को अधोमुख स्थिति में देखा और विवाह करने के लिए प्रवृत्त हुए प्रन्न मार्ग के अनुसार संतान प्राप्ति कि कामना से ही विवाह किया जाता है। जिससे वंश वृद्धि होती है। और पितर प्रसन्न होते हैं। वास्तव में इसके पीछे हमारी जन्मकुण्डली में बनी ग्रहस्थिति की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, तो हमारे जीवन में कौनसे ग्रह और ग्रहस्थितियां संतान सुख नियंत्रित हारते है आइये जानते है। 
हमारी कुण्डली में 5th हाउस संतान सुख का स्थान होता है तथा ‘‘बृहस्पति’’ संतान का नैसर्गिक कारक है अतः मुख्य रूप से तो 5th हाउस और बृहस्पति ही विचारणीय होते है परंतु इसमें पंचम से पंचम अर्थात् नवम भाव की भी सहायक भूमिका होती है विशेषकर स्त्री की कुण्डली में नवम भाव को भी संतान पक्ष के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। जीवन में संतान प्राप्ति या संतान सुख को निश्चित करता है। यदि कुण्डली में 5th हाउस और बृहस्पति अच्छी स्थिति में हो तो सुगमता से संतान प्राप्ति होती है परंतु जब 5th हाउस और बृहस्पति पीड़ित या कमजोर हो तो संतान प्राप्ति में बाधाएं और विलम्ब उपस्थित होता है। 

संतान सुख प्राप्ति के योग:-

1. यदि 5th हाउस के लाॅर्ड 5th हाउस में स्थित हो या 5th हाउस के लाॅर्ड की 5th हाउस पर दृष्टि हो तो संतान पक्ष अच्छा होगा। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मेष लग्न की कुण्डली है तो 5th हाउस के लाॅर्ड सूर्य बनेगे जो कि 5th हाउस में स्वग्रही होकर स्थित हो या 5th हाउस के लाॅर्ड सूर्य 11th हाउस में स्थित हो और सूर्य की 5th हाउस पर दृष्टि हो तब यह योग बनता है। ऐसे व्यक्तियों को सूर्य की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

2. यदि 5th हाउस के लाॅर्ड स्वगृही या उच्च राशि में हो तो भी अच्छे संतान सुख का योग होता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कर्क लग्न की कुण्डली है तो 5th हाउस के लाॅर्ड मंगल बनेगे। और मंगल  10th हाउस में स्वग्रही होकर स्थित हो जो कि केन्द्र भाव होता है तब कुण्डली में यह योग घटित होगा। ऐसे व्यक्तियों को मंगल की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

3. यदि 5th हाउस के लाॅर्ड कुण्डली के शुभ स्थान अर्थात केन्द्र और त्रिकोण 1,4,7,10 या 1,5,9 में होना भी संतान पक्ष के लिए शुभ है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी वृषभ लग्न की कुण्डली है तो 5th हाउस के लाॅर्ड बुध बनेगे। और बुध केन्द्र में वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि में स्थित हो या बुध त्रिकोण कन्या एवं मकर राशि में स्थित हो तब कुण्डली में यह योग घटित होगा। ऐसे व्यक्तियों को बुध की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

4. 5th हाउस का शुभ ग्रहों के प्रभाव में होना भी अच्छे संतान सुख में सहायक होता हैं। उदाहरण के तौर पर किसी भी लग्न में 5th हाउस में चन्द्रमा, गुरु, शुक्र स्थित हो तब कुण्डली में यह योग घटित होगा। ऐसे व्यक्तियों को शुभ ग्रह चन्द्रमा, गुरु, शुक्र की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

5. यदि बृहस्पति स्वगृही या उच्च राशि धनु, मीन, कर्क में होकर शुभ स्थान में हो तो अच्छा संतान सुख देता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मिथुन लग्न की कुण्डली है तो 7th हाउस में देवगुरु वृहस्पति धनु राशि में स्वग्रही होंगे एवं 10th हाउस में देवगुरु वृहस्पति मीन राशि में भी स्वग्रहीं होंगे ऐसी स्थिति देवगुरु वृहस्प्ति का केन्द्र का स्वग्रही होना पंचमहापुरूष योग के अन्तरगर्त हंस नामक राजयोग भी बनता है। तब कुण्डली में यह योग घटित होगा। ऐसे व्यक्तियों को देवगुरु वृहस्पति की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

6. बृहस्पति का केन्द्र और त्रिकोण 1,4,7,10 या 1,5,9 में बलि होकर बैठना भी अच्छा संतान सुख देता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी धनु लग्न की कुण्डली है तो 5th हाउस और 9th हाउस में देवगुरु वृहस्पति स्थित हो जो कि त्रिकोण भाव है या देवगुरु वृहस्पति 4th हाउस में स्वग्रही स्थित होंगे जो कि केन्द्र भाव है इन पस्थितियों में देवगुरु वृहस्पति बलि होकर स्थित होंगे तब यह योग घटित होता है। ऐसे व्यक्तियों को देवगुरु वृहस्पति की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

7. 5th हाउस पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ना भी अच्छे संतान सुख में सहायक होता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी वृश्चिक लग्न की कुण्डली है तो 11th हाउस में देवगुरु वृहस्पति स्थित होकर 5th हाउस पर दृष्टि डालेंगे तब यह योग घटित होता है। ऐसे व्यक्तियों को देवगुरु वृहस्पति की दशा-अन्तर दशा में संतान की प्राप्ति होती है।

उपाय:-

1. सिद्ध अभिमंत्रित प्राणप्रतिष्ठित संतान गौपाल यंत्र की पूजा करे। एवं यंत्र के सामने घी का दिपक प्रज्जवलित कर संतान गौपाल स्त्रोत का पाठ नित्य करे। 

2. बाल गौपाल कृष्ण की मूर्ति के समक्ष पान के पते पर माखन-मिश्री का भोग लगाकर। पूजा-पाठ आदि के पश्चात् पति-पत्नी दोनों प्रसाद के रूप में ग्रहण करे। 

संतान प्राप्ति बाधा में नवग्रह के कारण एवं निवारण

1. सूर्य संतान प्राप्ति में बाधक हैं तो कारण पितृ पीड़ा है। पितृ शांति के लिए रविवार को सूर्योदय के बाद गेंहु, गुड़, केसर, लाल चन्दन, लाल वस्त्र, तांबा, सोना तथा लाल रंग के फल दान करने चाहिए। सूर्य के बीज मंत्र     ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः के 7000 की संख्या में जाप करने से भी सूर्य कृत अरिष्टों की निवृति होती है। 

2. चन्द्रमा संतान प्राप्ति में बाधक है तो कारण माता का शाप या मां दुर्गा की अप्रसन्नता है जिसकी शांति के लिए सोमवार के नमक रहित व्रत रखें, ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः मंत्र का 11000 संख्या में जाप करें। सोमवार को चावल, शक्कर, दूध, दही इत्यादि का दान करें। 

3. मंगल संतान प्राप्ति में बाधक है तो कारण भाई का शाप है। शांति के लिए मंगलवार के नमक रहित व्रत रखें, ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का 10000 संख्या में जाप करें। मंगलवार को गुड़, लाल रंग का वस्त्र, तांबे का पात्र, लाल चन्दन एवं मसूर की दाल का दान करें। 

4. बुध संतान प्राप्ति में बाधक है तो कारण मामा का शाप है। जिसकी शांति के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र का 9000 संख्या में जाप करें। बुधवार के दिन हरे रंग का वस्त्र एवं फल, कांसे का पात्र, साबुत मुंग का दान करें। 

5. बृहस्पति संतान प्राप्ति में बाधक है तो कारण गुरू एवं ब्राह्मण का शाप है। जिसकी शांति के लिए केले की जड़ गुरू-पुष्य नक्षत्र में धारण करें।      ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः मंत्र का 19000 संख्या में जाप करें। गुरूवार के दिन हल्दी, चने की दाल, बेसन, पपीता, पीले रंग का वस्त्र का दान करें। 

6. शुक्र संतान प्राप्ति मेें बाधक है तो कारण गाय या किसी साध्वी स्त्री को कष्ट देना उसकी शांति के लिए ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र का 16000 संख्या में जाप करें। शुक्रवार को चावल, दूध, दही, मिश्री, सफेद चंदन एवं सफेद रंग का वस्त्र दान करें। 

7. शनि संतान प्राप्ति मेें बाधक है तो कारण पीपल का वृक्ष का काटना है। जिसकी शांति के लिए पीपल के पेड़ लगवाएं। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः मंत्र का 23000 संख्या में जाप करें। शनिदेव की मूर्ति पर तेल अर्पित करें एवं शनिवार के दिन तिल,  लोहे, काले जूते, काले कंबल का दान करें। 

8. राहु संतान प्राप्ति मेें बाधक है तो कारण सर्प शाप जिसकी शांति के लिए नाग पंचमी की पूजा करें, ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः मंत्र का 18000 संख्या में जाप करें। शनिवार के दिन नारियल, नीले रंग का वस्त्र का दान करें एवं मछलियों को दाना डालें। 

9. केतु संतान प्राप्ति मेें बाधक है तो कारण ब्राह्मण को कष्ट देना है जिसकी शांति के लिए ब्राह्मण का आदर सत्कार करें, ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः का 17000 संख्या में जाप करें। नारियल का दान करें। 

संतान पक्ष में बाधा के योग:-

1. यदि 5th हाउस के लाॅर्ड पाप भाव (6,8,12) में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा या विलम्ब होता है। 
2. (6,8,12) के स्वामी का 5th हाउस में बैठना भी संतान प्राप्ति को बाधित करता है। 
3. यदि 5th हाउस के लाॅर्ड नीच राशि में हो तो भी संतान सुख में बाधा डालता है। 
4. बृहस्पति यदि (6,8,12) में हो तो संतान पक्ष से जुड़ी समस्याएं उपस्थित होती हैं। 
5. बृहस्पति है नीच राशि (मकर) में होना भी संतान सुख में कमी करता है। 
6. बृहस्पति जब राहु के साथ होने से पीड़ित हो तो भी संतान सुख में बाधा या विलम्ब होता हैं। 
7. 5th हाउस में पापग्रहों का शत्रु राशि में बैठना या 5th हाउस में कोई पापयोग बनना भी संतान प्राप्ति में बाधक बनता है। 

उपरोक्त के अलावा यहां एक बात और विचारणीय है पुरूष की कुण्डली में शुक्र और सूर्य तथा स्त्री की कुण्डली में मंगल और चन्द्रमा भी यदि अति पीड़ित या अति कमजोर स्थिति में हो तो भी संतान प्राप्ति कुछ बाधाएं आती है। 

पुत्र या पुत्री योग:-

सूर्य, मंगल, गुरू पुरूष ग्रह हैं। शुक्र, चन्द्र स्त्री ग्रह है। बुध और शनि नपुंसक ग्रह है। संतान योग कारक पुरूष ग्रह होने पर पुत्र तथा स्त्री ग्रह होने पर पुत्री का सुख मिलता है। शनि और बुध योग कारक होकर विषम राशि में हो तो पुत्र व समराशि में हो तो पुत्री प्रदान करते हैं।  

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