Akshaya Tritiya 2019 || श्रीसूक्त पाठ || Suresh Shrimali


श्रीसूक्त पाठ


दर्शकों, नमस्कार। 

माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने और धन-धान्य व सुख-समृद्धि पाने के लिए वैसे तो अनेक साधनाएं और अनुष्ठान, प्रयोग आदि हैं लेकिन इनमें सबसे सरल और शीघ्र सिद्धी प्रदान करने वाला कोई उपाय है तो वह है श्रीसूक्त स्त्रोत का पाठ। हमारे वेद-पुराण और शास्त्र कहते हैं कि लक्ष्मी से संबंधित सर्वाधिक महत्वपूर्ण श्रीसूक्त स्त्रोत भौतिक कामनाओं की पूर्ति और यश-कीर्ति व सौभाग्य पाने का अचूक साधन है। माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए अक्षय तृतीया से बढ़कर और क्या मुहूर्त हो सकता है।
अब आप कहेंगे कि श्रीमाली जी श्रीसूक्त का पाठ तो हम करते ही है, लेकिन फिर भी महालक्ष्मी की कृपा दृष्टि हम पर क्यों नहीं है? क्योकि केवल श्रीसूक्त का पाठ करने से आपको उतना लाभ नहीं मिलेगा, जितना विधान के साथ पाठ करने पर मिलता है। यदि आप श्रीसूक्त के साथ लक्ष्मी का बीज और दुर्गे मंत्र जोड़कर इसका पाठ करें तो लक्ष्मी आपके द्वार पर दौडी चली आएगी। यह एक प्रयोग है जो मेरे गुरू, पिता ने मुझे बताया था। क्या है यह प्रयोग! जान लीजिए। 
इस प्रयोग में दो बातें आवश्यक है सबसे पहले आपके पास श्रीयंत्र का होना और दूसरा श्रीसूक्त का पाठ संपुट लगाकर करना सर्वाधिक महत्वपूूर्ण है। कैसे करना है? यह मैं आपको बता रहा हूं आप नोट कर लें। 
अक्षय तृतीया के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण करें, ध्यान रखें आज के दिन नए वस्त्र धारण कर पूजा कक्ष में जाएं। सामने बाजोट रख उस पर लाल वस्त्र बिछा दें। अब लक्ष्मीजी की प्रतिमा और श्रीयंत्र का अभिषेक पहले शुद्ध जल से फिर पंचामृत से करें। इसके बाद इन्हें बाजोट पर विराजित कर धूप, दीप, पुष्प अर्पित कर नैवैद्य का भोग लगाएं। अब हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि मैं पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रीसूक्त का पाठ कर रहा हूं, मेरी मनोकामना पूर्ण करें। फिर 11 बार श्रीसूक्त का पाठ करें। विशेष ध्यान यह रखें कि श्रीसूक्त की ऋचाओं का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए दोनो तरफ एक-एक मंत्र का होना आवश्यक है। श्रीसूक्त की 16 ऋचाएं हैं। 
मैं आपको पहली ऋचा में संपुट लगाकर बता रहा हूं। यही संपुट आप सभी 16 मंत्रों में लगाकर श्रीसूक्त पाठ करेंगे। पहली ऋचा हैः- ऊँ हिरण्यवर्णा हरिणीम् सुवर्ण रज तस्त्रजाम्। चन्द्राम् हिरण्य मयीम् लक्ष्मीम् जातवेदोम आ वह।। लेकिन आप इसे ऐसे नहीं पढेंगे। आपको पहले लक्ष्मी बीजमंत्र और फिर दुर्गंे मंत्र का संपुट लगाना है। तब ऐसे पढ़ा जाएगाः- ‘‘ऊँ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः ऊँ दुर्गे स्मृता हरसि भीति मशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।। अब श्रीसूक्त ऋचा ऊँ हिरण्य वर्णा हरिणीम् सुवार्ण रजत स्त्राजाम्। चन्द्राम् रिण्यमयीम् लक्ष्मीं जातवेदोम आ वह।। और इसके बाद दारिद्रय दुःख भय हारिणी का त्वदन्या। सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चित्ताः। ऊँ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालए प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।।   
श्रीसूक्त की सभी 16 ऋचाओं का पाठ इसी विधि से करें। विश्वास रखिए शीघ्र ही महालक्ष्मी की असीम कृपा दृष्टि प्राप्त होकर आपके घर में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और अक्षय धन का भण्डार भर जाएगा। एक बात जरूर ध्यान रखें कि आज अक्षय तृतीया पर 11 पाठ करने के बाद इस पाठ को हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भी करें। जिससे लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी।  

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