Navratra-2018 || किस दिन माँ के किस रूप की पूजा करे | Suresh Shrimali

किस दिन माँ के किस रूप की पूजा करे

आज के इस युग में सभी के पास समय का अभाव है अपनी-अपनी जिन्दगी में सभी व्यस्त है। जिस कारण घंटों तक पूजा-पाठ करना मुश्किल हो जाता है। प्रतिदिन सप्तसती का पाठ भी अधिक लोग नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में आप छोटे-छोटे मंत्र जान लीजिए जिन्हें करने से आपको मां दुर्गा का अशीर्वाद प्राप्त होगा। 
आरोग्य या स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए प्रतिपदा तिथि यानि प्रथम दिन-शैपुत्री माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, गाय के घी से दीपक कर माता की पूजा करें व गाय के घी से बना नैवेद्य अर्पण करें और इस मंत्र का जाप एक माा करें। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं शैपुत्री देव्यै नमः। दीर्घायु प्राप्ति के लिए द्वितीया तिथि यानि दूसरे दिन-ब्रहमचारिणी माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, उन्हें शक्कर का भोग लगाकर उसे दान करें। क्योंकि शक्कर का दान दीर्घायु कारक होता है। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं ब्रह्मचारिणी देव्यै नमः। दुखों की मुक्ति के लिए तृतीया तिथि यानि तीसरे दिन-चण्द्रघण्टा माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन दूध की प्रधानता होती हैै। पूजन में दूध का उपयोग कर उसे ब्राह्मण को दान करें। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं चन्द्रघण्टा देव्यै नमः। ज्ञान व बुद्धि विकास हेतु चतुर्थी तिथि यानि चैथे दिन- कुष्माण्डा माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें व ब्राह्मण को दान करें। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं कूष्माण्डा देव्यै नमः। व्यापार में लाभ एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पंचमी तिथि यानि पांचवे दिन- स्कन्दमाता माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन केेले का नैवेद्य चढ़ाएं, प्रसाद ब्राह्मण को दान करें। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं स्कन्धमाता देव्यै नमः। स्वरूप में आकर्षण व सुन्दता की प्राप्ति हेतु षष्ठी तिथि यानि छठे दिन-कात्यायनी माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन मधु का विषेष महत्व होता है। मधु से पूजन कर ब्राह्मण को दान करने से स्वरूप में आकर्षण का उदय होता है व सुन्दरता में वृद्धि होती है। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं कात्यायनी देव्यै नमः। शोक मुक्ति व आकस्मिक विपत्ति रक्षा हेतु सप्तमी तिथि यानि सातवें दिन-कालरात्रि माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन गुड़ का नैवेद्य अर्पण कर ब्राह्मण को दान करने से शोक मुक्ति व आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं कालरात्रि देव्यै नमः। संतान संबंधित चिंताओं से मुक्ति हेतु अष्टमी तिथि यानि आठवें दिन-महागौरी माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन नारियल का भोग लगाना चाहिए तथा नारियल दान करने से संतान संबंधित चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है। मंत्र-सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सवार्थसाधिके। शरणये त्र्यबके गौरि नारायणि नमोस्तुते। मृत्यु व अज्ञात भय की समाप्ति हेतु नवमी तिथि यानि नौवें दिन-सिद्धिदात्री माता का ध्यान व पूजा-अर्चना करें, इस दिन को तिल का नैवेद्य अर्पण कर दान करने से मृत्यु व अज्ञात भय समाप्त होता है। मंत्र-ऊँ हृीं श्रीं सिद्धिदात्री देव्यै नमः।

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