Navratra-2018 || नवरात्रा में किस आयु की कन्या का पूजन करे, कब करे और किस कामना की पूर्ति होगी | Suresh Shrimali

नवरात्रा में किस आयु की कन्या का कब पूजन और किस कामना की पूर्ति

नवरात्रा में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। वैसे तो अष्टमी के दिन सभी भक्त नौ कन्याओं को बुलाकर उनकी पूजा करने के बाद उन्हें भोजन करवाते हैं, लेकिन कन्या पूजन में कन्या की आयु व किस तिथि को किस आयु वर्ग की कन्या का पूजन करना चाहिए, यह बात महत्वपूर्ण है। सबसे पहली बात तो यह कि दो से नौ वर्ष की आयु की कन्याएं हों तथा साथ में एक बटुक भी यानि की नौ कन्याओं के साथ एक बटुक रूप बालक अवश्य होना चाहिए क्योंकि। माँ की पूजा भैरव पूजा के बिना अधूरी है इसी प्रकार कन्या पूजन में भी एक बटुक होना अनिवार्य है। नवरात्रा में प्रत्येक तिथि को एक-एक व अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। यदि आप प्रत्येक तिथि को एक-एक कन्या की पूजा करते हैं आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि किस आयु वर्ग की कन्या की पूजा से किस कामना की पूर्ति होती है। तो जानिए कि दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है व इसकी पूजा से दुख व दरिद्रता का नाश होता है। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है उनकी पूजा से धन-धान्य व सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है और इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही गई है जिनके पूजन से रोग नाश होता है। छह वर्ष की कालिका कही जाती है जिनके पूजन से विद्या, विजय व राजयोग प्राप्त होते हैं। सात वर्ष की चंडिका कही गई है जिसके पूजन से ऐश्वर्य प्राप्त होता है आठ वर्ष की कन्या शांभवी जिसकी पूजा से वाद विवाद में विजय मिलती है नौ वर्ष की कन्या दुर्गा रूप कहलाती है जिनके पूजन से असाध्य कार्य पूर्ण होकर शत्रुओं का नाश होता है तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा रूप होती है जिनके पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।


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