दिल लगाने से पहले जाने राशियों का मेल || Suresh Shrimali


दिल लगाने से पहले जाने राशियों का मेल



समय बदला है, यह ग्लोबल समय हैं, सोच, संबंध, मूल्य सभी कुछ बदले हैं, एक नई, वैश्विक संस्कृति स्वयं को रच रही है, दिन से बने रिश्ते में प्रणय, त्याग, प्रतीक्षा, मिलन, वायदे, इरादे, कसमें-रस्में, जीने में इसके यथार्थ की परिभाषाये  बदल गई हैं। इसके विविध रूप, विविध छटाएं आदर्श प्रेम का बोध नहीं कराती। लेकिन संचार क्रांति, विज्ञान की धारणाएं, मुक्त अर्थव्यवस्था, स्वच्छंदता, उन्मुक्तता के बावजूद ज्योतिष शास्त्र द्वारा ग्रह दशा, ग्रह संबंधों-प्रभावों के अलावा स्त्री-पुरुष में राशियों के मेल से रोमांचित करने, साथ ही प्रेम को लंबे समय तक प्रगाढ़ रखने के अलावा भी आध्यात्मिक प्रेम की सुखद अनुभूति चाहने के पूर्व राशियों को मेल होने के बारे में जानना आवश्यक है अगर यह मेल नहीं है तो लाख चाहकर भी वैसा कुछ नहीं होना है जो दिल चाहता है।

दिल से दिल मिलने, प्रणय रस में डूबने की नई 21वीं सदी में रच रही परिभाषा का यथार्थ वह नहीं रहा जो अतीत में था। अब प्रेम के कई चेहरे हैं तो दिल को दिल से जोड़ने में ‘फेविकोल’ के प्रयोग को गीत के शब्दों में जोड़ के साथ ठुमकने का आधार करीना कपूर को दृश्य की ऊर्जा देता है। दिल के मामले में यह नई, आज की पीढ़ी के लिए नया बोध, नया ‘दर्शन’ शास्त्र है जो सिनेमाघरों, पार्कों, बगीचों, माॅल्स या रेस्टोरेंटों में  दिखता है जो अन्ततः दैहिक बिंदु पर केन्द्रित हो जाता है। फिर उसके साइड इफेक्ट्स सामने आने लगते है तब सभी नैतिकताएं, परम्पराएं, वर्जनाएं बोनी हुई सी लगती है। ‘तुम्ही मेरे मंदिर’ तुम्ही मेरी पूजा’ नहीं, बल्कि सुनने को मिलता है- ‘‘नो इमोशनल ड्रामा’ आई लाइक्ड यू देट टाईम बट नाव आई रिलाइज कि  वैट वाज अ फाल्स इंप्रेशन, सो व्हाई शुड वी नाॅट करेक्ट इज!

ज्योतिष शास्त्र में राशिगत स्थिति, दिलों के मिलने, दीर्घाविधि प्रणय, रोमांच, आध्यात्मिक प्रेम आदि के लिए राशियों के मेल, महत्व को अच्छे रूप से विश्लेषित किया गया है। अगर इस शास्त्र के आधार से दिलों का मेल किया जाए तो यह माना जा सकता है कि प्रेम-प्रणय का फूल दर्द की डाल पर नहीं खिलता। फ्रांसीसी लेडी डाॅक्टर वार्नि बेवर ने कहा भी कि- ‘‘उन्होंने भारतीय ज्योतिष से जाना कि अफेयर्स, मैरिज में मित्र राशि तथा राशि को फ्रेन्डली मेल, पूर्वाग्रह से मुक्त भाव, मैरिज लाईफ सैटल के लिए कितना इम्र्पोटेंट है। इसके लिए भारतीय ज्योतिष शास्त्र पर ब्लाइंडिली फेथ किया जा सकता है।

दिल लगाने, प्रेम-प्रणय का संबंध जोड़ने में स्त्री-पुरुष में आकर्षण, अनुकूलन, सहचर्य, हित-अहित आदि प्राथमिक आधार है। भले ही समय, युग बदले हों, भावनात्मक प्रेम, आराध्यात्मक प्रेम, हृदय स्थित छवि, चेहरा, मूर्ति के प्रति अनुराग समर्पणता के बारे में संत कबीर ने खरा सच कह डाला-

अंखडियां झांई पड़ी पंथ निहार निहार,
जीहवणया छाला पडंच पीऊ पुकार पुकार।।

खेर, इस पर फिर कभी.... अभी दिल लगाने से पहले मित्र राशि, एक-दूसरे की राशियों के मिलन पर ज्योतिष शास्त्र के पन्ने पलटकर जानें कि बारहों राशियों का जैसे स्वरूप है, प्रायः वैसा ही इन राशियों में जन्म स्त्री-पुरुष का स्वरुप, स्वभाव, रूचि, प्रकृति भी होती है। दो व्यक्तियों की अथवा स्त्री-पुरुष, वर-कन्या की शत्रुता-मित्रता, पारस्परिक स्वभाव, प्रकृति आदि के मेल में उनका राशि स्वरुप उपयोगी होता है।

मेषः- यह पुरुष राशि संज्ञक है। निवास-सिर स्वामी-मंगल, स्वभाव-चंचल तथा क्रूर, रोमांच तथा थ्रिल के शौकीन। ऊर्जा, जोश, उत्साह से भरपूर स्त्री या पुरुष का साथ हो पाएगा। दीर्घावधि प्रेम सिंह राशि के साथ आध्यात्मिक प्र्रेम वृषभ राशि के जातक के साथ। सहचर्य संतुष्टि से मन का रिश्ता भी भले ही जुड़े पर देहाकर्षण कम ही होगा। कन्या, तुला, मकर, वृश्चिक, कुंभ, मकर, मीन राशि वाले से भी सामान्य रिश्ता रह पाएगा पर धनु, सिंह राशि से जमकर पटेगी। मिथुन राशि के साथ दाम्पत्य जीवन के आधार की बात बन सकती है।

वृषभः- यह स्त्री राशि संज्ञक है। स्वभाव-स्वार्थी, कार्य में दक्ष, सूझ-बूझ, शांत-शीतला। बड़-बोलापन, देह स्थिति-शिथिल। स्वामी शुक्र दिल से ईमानदार तो साथी भी वैसा ही ईमानदार, विश्वसनीय चाहिए। दीर्घावधि प्रेम मकर राशि के साथ। रोमांटिकता-एक्शन तुला राशि के जातक के साथ। सहचर्य संतुष्टि मीन राशि के साथ। आध्यात्मिक प्रेम मेष राशि के जातक से रहेगा। वृषभ से वृषभ राशि के मिलन में प्रेम भले ही हो, दैहिक संबंध नहीं बन पाएंगे। वृषभ के साथ मेष राशि के जातक से मित्रता संभव है। तुला राशि केे प्रेमी-प्रेमिका का प्रेम भले ही चर्चित हो, कुंभ


 तथा मीन राशि वालों से अधिक आशा नहीं कि जा सकती है। मकर, मीन राशि से यौन सुख मिलेगा तो कन्या राशि से सामान्य खुशी मिल सकती हैै।

मिथुनः- राशि मण्डल में दो प्रकाशमान- एक कम एक अधिक प्रकाशयुक्त ताराओं के संयोग से बनी राशि। स्वभाव- चंचल, क्रूरधर्मा, शांत, प्रेम-सहचर्याशक्त, द्विस्वभाव, सत्वगुण स्वामी-बुध। इस राशि को फास्ट यानी तेज रफ्तार जिन्दगी तथा सहचर्य-योनेच्छा को समझने वाला साथ चाहिए। लंबा प्रेम तुला राशि के साथ रोमांटिकता मिथुन राशि के साथ। सहचर्य सुख मेष राशि के जातक के साथ तथा आध्यात्मिक प्रेम कन्या राशि वाले से होगा। कन्या राशि के साथ आध्यात्मिक प्रेम में वृद्धि भले ही हो पर तुला राशि वाले से भी आजीवन प्रेम-प्रणय संबंध, प्रगाढ़ अटूट रह सकते हैं। मेष राशि के स्त्री-पुरुष कामेच्छा जानेंगे, सहचर्य सुख पर्याप्त मिलेगा। हां वृषभ, कर्क, मकर, धनु, कंुभ, वृश्चिक, मीन राशि वाले से भले ही मन का संबंध हो पाए, देह संबंध की संभावना न के बराबर होगी।

कर्कः- यह स्त्री राशि है। स्वभाव-चंचल लक्षणों से युक्त कोमल, सौम्य, रजोगुणी। स्वामी-चन्द्रमा। शरीर में पेट, हृदय, गुर्दे से संबंध। दीर्घावधि प्रेम मीन राशि वाले के साथ। रोमांटिक-रोमांचकता के अंदाज कर्क राशि वाले के साथ। यौन सुख-अभिसार से संतुष्टि कंुभ राशि के साथ तथा आध्यात्मिक प्रेम धनु राशि वाले के साथ होगा। कर्क राशि के जातक प्रायः धीर, गंभीर, समझदार साथ चाहेंगे। मन की बात कहने के पूर्व विश्वास, भरोसा जमाना चाहंेगे तो मेष राशि की अधीर प्रवृत्ति आपका नहीं भा सकती, साथ ही मिथुन की रूमानियत भी अकेलेपन का अहसास करा सकती है, जबकि अपनी ही राशि दैहिक सुख के साथ मानसिक सुख भी देगी।

सिंहः- यह पुरुष राशि है। सिंह स्वरूप है। यह राशि क्रूर जातक क्रूर धर्मी, रजोगुणी, अग्नितत्व प्रधान है। शरीर में अंग स्थान पेट, पीठ, रक्त, जिगर तथा दिल है। स्वभाव-संबंध मनोरंजक कार्यों से है। स्वामी-सूर्यं दीर्घप्रेम मेष राशि के साथ। रोमांटिकता, कुछ खट्टा-कुछ मीठा, दिल को लुभाता अंदाल, वृश्चिक राशि वालों के साथ यौन से संतुष्टि। धनु राशि की स्त्री के साथ होगा। ऊपरी तौर पर पार्टी की शोकीन। स्वतंत्र संगिनी-गर्लफ्रेंड चाहिए पर वास्तव में एक प्रतिबद्ध तथा मान्यताओं को मानने वाली संगिनी चाहिए। वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, मकर, कुंभ से प्यार तो मिलेगा, देह सुख नहीं मिलेगा। मेष राशि प्रेम, आनंद मौज, मस्ती प्रिय है।

कन्याः- यह स्त्री जाति राशि है। प्रकृति-स्वभाव ठंडा मिजाज, कम सन्तान यानी एक या दो संतान की ही चाहत, शेष प्रकृति मिथुन राशि के समान। स्वामी बुध। देह में स्थान-कटि यानी कमर, पेट तथा आंतों से भी। दीर्घावधि प्रेम-वृश्चिक राशि के साथ। चुलबुला, रोमांटिक एक्शन-अंदाज कन्या राशि के साथ। यौनानंद, मकर राशि की स्त्री के साथ तथा आध्यात्मिक प्रेम मिथुन राशि वाले के साथ होगा। इस राशि के जातक स्वतंत्रता प्रिय होते हैं अगर सही साथ, सही मीत मिल जाए तो बात बनते देर नहीं लगती। कर्क, सिंह, तुला, धनु, कुंभ, मीन राशि की महिला मित्र कुछ समय ही साथ देगी। वृषभ राशि के साथ ईमानदार विश्वसनीय प्रेम जुड़ सकता है।

तुलाः- यह न्याय की प्रतीक, वणिक राशि है। स्वभाव क्रूर तो चंचल, चतुर, धर्मावलम्बी, रजोगुणी, युवा, प्रेमी, त्रिधातु प्रकृति, दिग्बली है। स्वामी-शुक्र। अंग स्थान- नाभि, कमर, मूत्राशय, गुर्दे। इस राशि के जातक प्रेम-प्रणयातुर, स्नेहिल होते हैं पर कमजोर प्रवृति सही साथ को पाने में रूकावट बनती है। मेष राशि की स्त्री के साथ कुछ समय चलताऊ साथ  रह सकता है। कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर, कुंभ, मीन राशि से प्रेम नहीं हो पाएगा होगा भी तो जल्दी ही टूट जाएगा।

वृश्चिकः- यह बृहदकाय स्त्री राशि है। स्वभाव-सौम्य, धर्म, शांत लक्षण, स्थिर स्वभाव, दृढ़प्रतिज्ञ, तमोगुणी। स्वामी-मंगल। शरीर में अंग स्थान-गुप्तेन्द्रिय, जंघा, ऊरू, मूत्राशय। लम्बी अवधि का प्रेम कन्या राशि वाले के साथ। रोमांटिक व्यवहार सिंह राशि वालों के साथ। देह सुख वृश्चिक राशि के साथ तथा आध्यात्मिक प्रेम तुला राशि वाले के साथ होगा। बेशक इस राशि के अधिकांश जातकों में जोश, जुनून, जज्बे के साथ हद से भी आगे बढ़ने की प्रवृति, स्वभाव का हो, जिसमंे भरपूर ऊर्जा हो। मेष के साथ शारीरिक सुख तो हैं, मगर प्रेम में हलचल होती रहेगी। जबकि वृषभ, मिथुन, कर्क, धनु, कुंभ, मीन के साथ विशेष संबंध बनने में थोड़ा समय लग सकता है।

धनुः- सच में आपको ऐसा साथी, ऐसी ही संगिनी चाहिए जो आपकी ही तरह स्वतंत्र हो। कारण कि यह राशि आशा, उन्मुक्ता का प्रतीक है, आधा अंग मानवीय, आधा अंग पशु की समदेह करूणामय-पुरुष राशि है। स्वभाव-मधुरभाषी, कुछ क्रूर, धर्मा, चंचल पर शांत लक्षणों से युक्त, द्वि-स्वभाव, सत्वगुणी। स्वामी-बृहस्पति शरीर में इसका अंग स्थान उरू, जंघा, नितम्ब कूल्हे। दीर्घावधि प्रेम-धनु राशि वाले के साथ ही संभव है। रोमांटिकता- कुंभ राशि के यौन संबंध में संतुष्टि सिंह राशि की स्त्री के साथ तथा आध्यात्मिक प्रेम कर्क राशि वाले जातक से होगा। मेष राशि की प्रेमिका के साथ भले ही देह सुख मिले, पर प्रीत की डोर कभी भी टूट सकती है। जबकि वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, मीन से भी प्रेम की पटरी नहीं जमेगी।

मकरः- यह स्त्री संज्ञक राशि है। स्वभाव-प्रायः उच्च देर्शनाभिलाषी, क्रूरधर्मी होता है। स्वामी-शनि अंग के प्रभाव स्थान-घुटने। लंबी अवधि का प्रेम वृषभ राशि से। रोमांटिक अंदाज मकर राशि वाले के साथ। स्त्री सुख कन्या राशि वाले के साथ तथा आध्यात्मिक सुख तुला राशि के साथ संभव होगा। आप प्रेम में कुछ कदम ओर बढ़ने के लिए तत्पर है पर जानना चाहते हैं कि साथी, संगिनी भी इसके लिए तैयार है या नहीं। इस बारे में खुलकर बताए तो वृषभ राशि के प्रेमी-प्रेमिका के साथ लंबे समय तक प्यार का रिश्ता बना सकते हैं, जबकि मिथुन की बेचैन तबीयत, कर्क का भावात्मक पक्ष, सिंह का अहं, वृश्चिक की रहस्यमयी प्रकृति, धनु का खिलंदड़ा स्वभाव, कुंभ का मूडी रवैया तथा मीन की मानसिक अवस्था विशेष तारतम्य नहीं बैठा पाएगी।

कुंभ:- यह राशि भक्ति तथा राजभक्ति की परिचायक है। स्वभाव-तमोगुणी, लंपटता, नाश कारक, नए अविष्कारों में विश्वास, धर्मप्रिय। स्वामी शनि। शरीर पर अंग पिंडली तथा दानों जंघाओं पर प्रभाव। दीर्घावधि प्रेम-कुंभ के साथ रोमांटिक अंदाज, मौज-मस्ती धनु राशि की महिला मित्र के साथ। देह संबंध कर्क राशि से सम्भव। आध्यात्मिक प्रेम वृषभ राशि की जातिका-जातक के साथ होगा। यों समझें कि मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, मीन को छोड़ दें तो कुंभ के साथ ही लंबे समय तक प्रेम की डोर खींच सकती है। आपके लिए यही ठीक होगा। अधिक उड़ान दिल को जख्म दे सकती है।

मीनः- यह मध्यम, स्त्री राशि है। करूणा, कृपा की प्रतीक है। स्वभाव-सौम्य, धर्मावलम्बी, उदार, सत्वगुणी, मन से कोमल। अधिक समय का प्रेम कर्क की महिला के साथ। रोमांटिकता मौज-मस्ती-मीन राशि की मित्र के साथ। देहानंद-वृषभ के साथ तथा सिंह राशि वाले से आध्यात्मिक प्रेम। अपनी मीन राशि के स्वभाव से आप मन से, हृदय से रोमांटिक है। मृदुभाषी इतने कि किसी के दिल में सरलता से जमने का जुगाड़ बन सके। एक बात ओर कि आप मेष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कंुभ को छोड़ दें क्योंकि लाख चाहें, इन राशियों की लड़कियों के दिल झंझोड़े, सभी प्रयास करें पर दाल नहीं गलेगी।

बहराल, समय बदले, युग बदले, जीवन के आयाम बदलें, स्त्री-पुरुष के संबंध प्राकृतिक है, साथ, प्रेम, आकर्षण बुरी बात नहीं, पर इस पर राशिगत प्रभाव संबंध कभी खत्म नहीं हो सकते। यह अलग बात है कि ग्लोबल के प्रभाव से कुछ लोग नहीं समझते कि प्रेम, प्रणय, संबंधों का यथार्थ क्या हैं, इसके मायने क्या है, प्रेम होता क्या है? ‘आई लव यू’ यह संबोधन एक सहारे की तरह काम आता है या बहाने की तरह? मार्डन, आधुनिकता के दुष्प्रभाव के मेकअप से ढके मन, दिल में जो झुरियां पड़ती हैं, उसे वे ही जान सकते है। हाँ, प्रेम एक उड़ान हैं, ताजगी है, आनन्द की अनुभूति है, खुशबू है, ढाई आखर का यह करामती शब्द गजब ढा देता है। संकीर्णता के बंधन टूट सकते हैं। इस बारे में ज्योतिष शास्त्र सच, सिर्फ सच कहता है, बताता है।

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