नवरात्राः सफलता के द्वार खोलती है रात्रिकालीन आराधना

 रात्रिकालीन आराधना

नवरात्रा काल में रात्रि के समय साधना-अनुष्ठान-मंत्रजाप से हम सुख-समृद्धि, शांति, ऐश्वर्य और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी सहजता से कर पाते हैं। रात्रि के समय की जाने वाली साधना और अनुष्ठान इसलिए सफल होते हैं क्योंकि रात्रि में प्रकृति के अनेक अवरोध समाप्त हो जाते हैं। आप ध्यान दें, चाहें तो आप स्वयं कभी प्रयोग करके देखें, दिन के समय हम आवाज दें तो वह अधिक दूर तक नहीं जाएगी, लेकिन रात्रि में आवाज दें तो वह बहुत दूर तक पहुंच जाएगी। अगर आप रात्रि में ऐसा प्रयोग करने में असहजता महसूस करते हैं तो आप आवाज मत दीजिए आप रेडियो से इस प्रयोग को कीजिए। आप दिन के समय रेडियो चलाएं। दूर-दराज के कई स्टेशन आपका रेडियो नहीं पकड़ पाता है। लेकिन रात के समय कम फ्रिकवेन्सी में भी दूर के स्टेशन पकड़ लेता है। साथ ही आप दिन में अपने कमरे में रेडियो फुल वाल्यूम पर चलाएं आपके पड़ौसियों को आपत्ति नहीं होती, लेकिन आधी रात के समय आप अपने कमरे में भी रेडियो पूरे वोल्यूम के साथ चलाएंगे तो पडौसियों को आपत्ति हो सकती है। कभी आपने सोचा ऐसा क्यों होता है? ऐसा दो कारणों से होता है। पहला तो यह कि दिन के समय जो शोर-गुल, कोलाहल रहता है, रात्रि के समय नहीं होता और वातावरण शांत होता है। इस कारण आवाज दूर तक जाती है और दूसरा कारण है सूर्य की किरणें। दिन के समय सूर्य की किरणें आवाज की तरंगें और रेडियो तरंगें को आगे बढने से रोक देती है। सूर्यास्त होने के बाद छोटी शक्ति के रेडियो स्टेशन भी रात्रि के समय दूर तक अपना प्रसारण करने में सफल होते हैं। 
यही दो कारण हैं जो रात्रिकालीन साधना में साधक को सफलता के द्वार तक ले जाते हैं। पहला कारण दिन के समय कोलाहल या शोर-गुल। जब शोर-गुल होष तो आप एकाग्र नहीं हो पाएंगे और बिना एकाग्रता आपका ध्यान स्थिर नहीं हो पाएगा। ध्यान स्थिर न होने से आपका चित्त विचलित होगा और आपकी साधना बाधित हो जाती है। दूसरा जिस प्रकार सूर्य की किरणें रेडियो तरंगों को प्रभावित करती है, रोकती है, उनकी गति को मंद करती है, ठीक इसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगें में भी दिन के समय रूकावट पड़ती है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने, ऋषि-मुनियों और महर्षियों ने नवरात्रा, दीपवली, होली एवं शिवरात्रि जैसे पावन पर्वों पर रात्रिकालीन साधना का विधान किया है। रात्रिकाल में जब आप साधना-अनुष्ठान करते हैं तो आपका अपने आराध्य से सीधा सपंर्क सहज हो जाता है, आप एकाग्र होते हैं, मंत्र उच्चारण और मंत्र के भाव से आप अभिभूत होते हैं एवं भटकाव नहीं होता, आपका मंत्र-जाप अवरोधों से रहित हो वायुमंडल में गुंजता है और सीधे आराध्य तक ध्वनि-तरगें पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। आप भी इस बार नवरात्रा में रात्रि काल में साधना-अनुष्ठान व मंत्र जाप कर सुख-समृद्धि-ऐश्वर्य और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त करें। 

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