DIWALI - 2018 || Diwali Express Puja Vidhi || Suresh Shrimali




दीपावली Express पूजा विधि 

मुर्हूत:- वृषभ लग्न इस बार सांयकाल 6 बजकर 19 मिनट से सवा आठ बजे तक है और सिंह लग्न रात्रि 12 बजकर 46 मिनट से 3 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप लोग वृषभ लग्न में प्रतिष्ठान में एवं सिंह लग्न में घर पर पूजन कर सकते है। 

दीपावली पर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद स्थाई रूप से पाने के लिए हमें स्थिर लग्न में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहता है इसलिए यह पूजा आप वृषभ या सिंह लग्न में करें। 

पूजन सामग्रीः- इस पूजन में आपके पास पहले से ही यह सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। श्रीगणेष एवं
महालक्ष्मी की प्रतिमाएं अथवा चित्र, कुंकुम, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्ती, मौली, नारियल, षहद, दही, गंगाजल, गुड, धनिया, फल, पुष्प, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घी, पंचामृत, दूध, मेवे, खीर, बतासे, गंगाजल, यज्ञोपवीत, ष्वेत वस्त्र, इत्र, चैकी या पाटा, कलष, कमल गट्टे की माला, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, मिष्ठान एवं 11 या श्रद्धानुसार दीपक। 

पूजा विधि :- सामग्री पूजास्थल पर आने के बाद आप सबसे पहले आसन पर विराजमान हो जाएं और पवित्रीकरण करें जैसा मैंने आपको पहले बताया। बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ से पहले दाहिने कान, फिर बायें कान, फिर दायीं आंख, बाइ आंख और फिर षिखा बंधन स्थल पर जल लगाएं और यह मंत्र पढे ‘‘ऊँ अपवित्र पवित्रों वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकांक्ष स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।।’’ अब जहां आपने आसन बिछाया है उस जगह को भूमि पूजन कर पवित्र करें। वहां कुंकुम से त्रिभुज बनाएं और कहें पृथ्व्यै नमः आधारषक्तये नमः। अब आचमन करें। बायें हाथ से दायें हाथ में जल लेकर उसे मुहं में तीन बार ग्रहण करें व ‘‘ऊँ केषवाय नमः, ऊँ नारायणाय नमः, ऊँ माधवाय नमः’’ कहें। फिर हाथ धो लें वह कहें ‘‘ऊँ हृषिकेषवाय नमः’’ अब संकल्प करें। दर्षकों किसी भी पूजा में संकल्प महत्वपूर्ण है। संकल्प कैसे करना है यह जानेंः- 

सीधे हाथ में जल लें, उसमें कुंकुम, अक्षत व एक सिक्का रखें और संकल्प करें कि मैं .... अपना नाम बोले, फिर गोत्र बोले आज संवत दो हजार पिच्चहतर कार्तिक कृष्ण अमावस्या की रात्रि में पूर्ण श्रद्धा के साथ श्रीगणेष व माता महालक्ष्मी का पूजन कर रहा हूं माँ हमें धन-धान्य से सम्पन्न करें, सुख व संतोष प्रदान करें। फिर जल छोड दें। फिर अपने सामने चैकी या पाटे पर वस्त्र बिछाकर श्रीगणेष व माँ महालक्ष्मी को विराजित करें। बाई ओर कलष स्थापित कर दें। अब दो दीपक प्रज्जवलित करें एक घी का और एक तेल का। दीपक माँ की प्रतिमा या चित्र के दाहिनी ओर घी व बायीं ओर तेल का दीपक रखें। और दीप मंत्र पढे षुभम करोति कल्याणम आरोग्यम सुख संपद षत्रुबुद्धि विनाषकम दीप ज्योति नमस्तुते। अब थाली में 11, 21, 51 या 101 यानी एकी की संख्या में दीपक प्रज्वलित करें, फिर गृहणी से कहें कि मुख्य द्वार पर दोनों ओर गेहूं की ढेरी पर सबसे पहले दीपक रखें व फिर पूरे घर के बाहर व भीतर दीपकों की सजावट करें। आप अब पहले श्रीगणेष पूजन करें उनका अभिषेक करें, पुष्प अर्पित करें; नैवेद्य का भोग लगाएं यज्ञोपवित चढ़ाएं और ‘‘ऊँ गंगणपतये नमः’’ मंत्र का जाप करें। अब कलष की पूजा करें। इसके बाद माँ महालक्ष्मी का अभिषेक पंचामृत से करें, शुद्ध जल से साफ करके उन्हें कुंकुम, अक्षत लगाए, फिर पान, सुपारी, लौैंग, इलायची चढ़ाए, नैवैद्य रूप में मैंने जो आपको सामग्री पहले बताई वह सब चढ़ाएं फिर पुष्प व दू्रर्वा चढ़ाए, धूप-दीप, अगरबत्ती करके इत्र लगाए और उनका श्रृंगार करके उनके समक्ष आपके पास जो भी चांदी व सोने के सिक्के है वो सभी रखें साथ ही घर की सभी सुहागिनों के सोने व चांदी के गहनों को भी माता के आगे सजाएं। फिर संभव हो तो श्रीसुक्त का पाठ करें या लक्ष्मीजी के ‘‘ऊँ महालक्ष्म्यै नमः’’ मंत्र की कमलगट्टे की माला से एक माला मंत्र जाप करें। इसके बाद उन्हें मिष्ठान का भोग लगाएं। अब आप एक फूलझडी को पूजा स्थल पर ही जलाएं और फिर परिवार सहित प्रसाद ग्रहण कर आतिषबाजी करें। 


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