Malmas || Suresh Shrimali


|| मलमास ||


(15 दिसम्बर 2017 से 14 जनवरी 2018)

दर्शकों, शुभाशीष। नया वर्ष आपके लिए मंगलमय हो, शुभ हो। आप सुखी-प्रसन्न रहे। सुखी और प्रसन्न कैसे रह सकते हैं? जब हम शास्त्र सम्मत कार्य करें, यानी वे कार्य करें जिनको हमारे शास्त्र उचित ठहराते हैं। शास्त्र कहते हैं कि कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के नहीं करना चाहिए। सगाई हो, विवाह हो, नूतन गृह में प्रवेश हो, नए मकान की नींव का मुहूर्त हो, नया व्यापार प्रारंभ करना हो या फिर नया वाहन खरीदना हो। यही तो है शुभ कार्य। लेकिन अगर इस महीने आप कोई नया कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं तो सावधान! रुकिए! ठहरिये! सोचें! समझें! फिलहाल ऐसे किसी भी शुभ कार्य को टाल दीजिए। 

यानी 15 दिसम्बर से 14 जनवरी के बीच आपने किसी शुभ अथवा मांगलिक कार्य की योजना बना रखी है तो फिलहाल शुभ कार्य को टाल दीजिए, क्यों? 

क्योंकि यह अवधि मलमास कहलाती है। शास्त्र और ज्योतिष में इस मल मास में कोई भी शुभ कार्य करना सर्वथा वर्जित है। यानी निषेध है, मना है। इस अवधि में कोई शुभ मुहूर्त नहीं है और यदि आपने कोई शुभ कार्य प्रारंभ कर दिया तो स्वाभाविक है कि उसके वांछित और शुभ परिणाम नहीं मिलेेंगे। विवाह के लिए वर-वधु की कुंडली का अच्छा मिलान हो रहा है, 36 में से 32 गुण भी मिलते है, कोई ग्रह बाधा नहीं, न ही कोई ग्रह कुपित है अथवा दुर्योग भी नहीं है तो भी विवाह टाल दीजिए। बच्चों की यज्ञोपवित संस्कार, नए वर्ष के प्रांरभ में नए वाहन खरीदने का शौक है तो भी पहले सोच-समझ लीजिए कि क्यों इस मलमास में शुभ कार्य नहीं होते हैं।


क्या हैं मलमास और क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य:~

हालांकि अंग्रेजी तारीख यानी जनवरी, फरवरी का ही चलन है फिर भी बुजुर्ग और धर्मप्रेमी लोग हिन्दू पंचांग के अनुसार महीनों को भी याद रखते हैं चैत्र, वैशाख आदि। लेकिन अंग्रेजी कैलेण्डर में कभी मल महीने का उल्लेख नहीं आता। लेकिन पंचांग में इसका उल्लेख रहता है कि जब सूर्य धनु राशि में गोचरवश प्रवेश करते है तो धनु संक्रान्ति मलमास कालांश माना जाता है। इसी प्रकार जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते है तो उस समय मीन संक्रांन्ति मल मास संज्ञक कालांश बनता है। 


क्यों नहीं करने चाहिए शुभ व मांगलिक कार्य:~

क्यों नहीं करने चाहिए शुभ व मांगलिक कार्य, यह तो आप सभी को पता है कि देव गुरू बृहस्पति को ऋषि-मुनियों ने 09 व 12 नम्बर की धनु व मीन राशि प्रदान की हैं।

सूर्य का काम क्या है? दिन में सूर्य प्रकाश के सामने सब ग्रहों का दिखना बंद हो जाता है। जैसे ही रात्रि में सूर्य हटता तो सारे ग्रह वापस दिखने लगते हैं। जब सूर्य 09 नम्बर की राशि धनु में प्रवेश करते हैं तो गुरु के सारे कार्य रूक जाते हैं। सूर्य के प्रभाव के कारण जैसे विवाह, सगाई, शिक्षा, दीक्षा इत्यादि इस समय विशेष में यह कार्य नहीं करने चाहिये। 

वितमपहद बवनदजतपमे में चारों तरफ देखें तो शादी के बाद तलाक, दाम्पत्य जीवन में क्लेश, मतभेद जैसी स्थिति शीघ्र ही आ जाती हैं। इसका कारण है उन लोगों का मुहूर्त पर विश्वास नहीं होना, कुछ लोग विवाह की तारीख भी छुट्टी के दिन शनिवार व रविवार को बिना मुहूर्त जाने रख लेते हैं कि इस दिन सभी दुकान, हमारे व्यवसाय व सभी लोगों की छुट्टी रहती है तो सभी शादी में आसानी से आ पाऐगें। सब लोगों को कार्ड देगें तो सभी लोग आऐगें, परन्तु इस दिन मुहूर्त तो था ही नहीं, उसके बाद जब तलाक होगा तो यही लोग ज्यादा से ज्यादा आपकी दूसरी शादी में भी आ जाएगें। 

इसी प्रकार यदि व्यापार की शुरूआत गलत समय की गई हो तो नुकसान व धोखा तो होगा ही, तो क्या आप पैसा फंसाने के लिए, धोखा खाने के लिए व्यापार शुरू कर रहे हैं। समस्या आज नहीं तो कल आएगी ही। 

आज भारत तो आध्यात्मिक व संस्कृतिक देश है व आने वाले समय में भारत ही सम्पूर्ण विश्व का ‘‘विश्व गुरू’’ होगा, क्योंकि गुरु ही संस्कृति का सही ज्ञान देता है, लोगों को सही समय की जानकारी नहीं होती। मल मास की जानकारी नहीं होती है व लोग हजारों की संख्याओं में इस मास में भी अच्छे मांगलिक कर्म किये जाते हैं। आज नहीं तो कल परेशानियों का सामना करना पडे़गा उन्हें। क्योंकि उनके आस-पास उनको यह बताने या परिचित कराने वाला कोई नहीं है। इतने सारे लोगों में हर कोई किसी न किसी समय बीमार अवश्य होता है क्योंकि परमात्मा का यह विधान है उसे सभी को सही रूप से चलाना है चाहे हजारों लोगों, योग गुरूओं की सहायता से ठीक हो रहे हो तो भी डाॅक्टर, अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी नहीं होती है अर्थात् परमात्मा ही सभी व्यक्तियों को उनकी रोजी-रोटी का प्रबन्ध करता है। चाहे वह डाॅक्टर, मजदूर, नर्स या किसान ही क्यों न हो। सबकी किस्मत को चमकाने का कार्य भी भगवान का ही है। आज हजारों तरह के कानूनी विवाद चलते हैं वकील, जज, टाईपिस्ट, कोर्ट में रिडर बाबू इत्यादि सभी का कार्य चलता है यह सभी भी भगवान ही देखते हैं। क्योंकि यह सभी मुहूर्त व सही समय पर कार्य करेंगे तो बुद्धि भ्रमित होगी ही नहीं वह तलाक, चोरी, छिन्ना-झपटी इत्यादि कार्य होगें ही नहीं। हर व्यक्ति शुभ मुहूर्त में ही कार्य करेगा तो कोई दुःखी ही नहीं होगा, तो भगवान इन लोगों को भी बनाता है इनकी बुद्धि भ्रमित होगी तभी तो यह गलत कर्म करके दुःखों को भोगेगी। 

मल मास में आपको ज्यादा से ज्यादा पूजा पाठ सम्पूर्ण मास में करना चाहिये। आप सभी प्रकार के यंत्र, पाठ व पूजा इस मास में कर सकते है। ज्यादा से ज्यादा पूजा पाठ के लिए इस मास का इस्तेमाल करें। आपको अपने समस्त शुभ कर्यों की शुरूआत इस मल मास में नहीं करनी है क्योंकि आपका एक गलत निर्णय आपके सम्पूर्ण जीवन में परेशानियां ला सकता है। उन परेशानियों को तो आपको भोगना ही पडेगा आज नहीं तो कल भोगना पडेगा। 

आगे 14 जनवरी को मकर सक्रान्ति आ रही है इस समय विशेष में ज्यादा से ज्यादा दान करें, क्योंकि धन के तीन रूप है उपभोग, दान और नाश। गरीबों को भोजन करवाऐं, कुष्ठ रोगियों को दान देवें, जितना हो सके भोजन, कपड़ा व दवाईयां इत्यादि को बांटे, बड़ा आनंद आऐगा। आपको इसमें हमेशा पैसा-पैसा कमाने में न रहे। ऐसे कर्म करने के लिए भगवान आपको मौका देता है आपको समय भी प्रदान करता है। विदेश के लोग यह धन को एक तरफ इक्ट्ठा कर जब भी ऐसा मौका आऐ तब ऐसे निर्धन लोगों की अच्छे मन से सेवा करें उस धन से, जब मन में भावना आने पर दान का धन एक तरफ इक्ट्ठा कर लेवें।

इस मल मास में ज्यादा-ज्यादा पूजा-पाठ, धर्म-कर्म, दान पुण्य करें केवल शुभ कार्यों की शुरूआत न करें जो इस मास में करना वर्जित है।



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