72 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है पंचग्रही योग, पूजन विधि, | SURESH SHRIMALI | GRAHON KA KHEL

 72 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है पंचग्रही योग, पूजन विधि, 

ऊँ र्त्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।

इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव को मेरा प्रणाम। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो। 

भोलेनाथ से मेरी प्रार्थना है कि आप सभी सुखी, निरोगी और प्रसन्न रहें। भोलेनाथ तो इतने भोले है कि वह तो सिर्फ एक लोटा जल से भी प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसे देवों के देव महादेव को मेरा शत-शत प्रणाम।

वैसे तो हर महीने शिवरात्रि आती है। लेकिन फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि का एक अलग ही महत्व है। इस दिन भगवान शवि और मां पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्यागकर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च, बुधवार को सुबह 1 बजे समाप्त होगी। 

महाशिवरात्रि भारत के पवित्र त्यौहारों में से एक बड़ा उत्सव है। साल की सबसे अंधेरी रात को शिव की  कृपा का उत्सव के रूप में पूजा जाता है। शिव को आदि गुरु या प्रथम गुरु माना गया है। क्यों कि उन्हीं से यौगिक परंपरा की शुरुआत हुई थी। इस रात ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये हमारे शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती है। इस रात जागृत और सजग रहने से हमारी शारीरिक और आध्यात्मिक खुशहाली बनी रहती है।


अब जानते है शुभ योग- इस शिवरात्रि धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। परिघ के बाद शिवयोग रहेगा साथ ही मेष, कर्क, तुला, मकर राशि में शश योग व रूचक योग रहेगा। जो की सभी कार्यों के लिए बहुत शुभ है। आपको जानकर हेरानी होगी की 72 साल बाद पंचग्रही योग बन रहा है। मंगल, शुक्र, बुध और शनि के साथ दोपहर 04ः30 तक चन्द्रमा मकर राशि में है। कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। राहु वृषभ राशि में जबकि केतु में वृश्चिक राशि में रहेगे। 


महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 2022-

01 मार्च को महाशिवरात्रि सुबह 03 बजकर 16 मिनटसे शुरू होकर बुधवार को 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी। दोपहर 12ः15 से 1ः30 तक अभिजीत मुहूर्त। फिर दोपहर 2ः10 से 3 बजे तक विजय मुहूर्त है। रात्रि में पूजन का शुभ समय शाम 06 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। 

 

महाशिवरात्रि पूजा विधि-

मिट्टी या तांबे के लोटे में जल के साथ दूध मिलाकर उसमे बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल डालकर शिवलिंग पर अर्पित करे। फिर शिवपुराण का पाठ और शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप 3 माला करे। साथ ही रात्रि जागरण भी करे। 


सब मनोकामनाएं पूर्ण करें पंचामृत का अभिषेक

अब ऐसे प्रयोग की बात जो आपकी जो भी मनोकामना हो, उसे पूर्ण कर दे। वो है पंचामृत से अभिषेक। यह प्रयोग पारद या स्फटिक शिवलिंग पर अधिक प्रभावी रहता है। सबसे पहले तो पंचामृत कैसे बनाना है, ये जान लीजिए, क्योंकि अशुद्ध पंचामृत से लाभ नहीं मिलते हैं। शुद्ध पंचामृत बनाने का तरीका है दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर पंचामृत बनता है। लेकिन किस द्रव्य की कितनी मात्रा हो, यह जानना जरूरी है। जैसे आपने आधा किलो दूध लिया तो एक पाव दही, 120 ग्राम शक्कर, 60 ग्राम शहद और 30 ग्राम घी होना चाहिए। यानी दूध जितना हो उससी आधी मात्रा में क्रम से दही, शक्कर, शहद और घी मिला लें। ये बन गया शुद्ध पंचामृत, अब आप ऊॅ ऐं हृीं शिव गौरीमव हृीं ऐं ऊॅं मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करते रहें। अभिषेक पूर्ण हो जाने के बाद शिवलिंग को धो-पौंछ कर साफ करें पुनः मंदिर में स्थापित कर चंदन का तिलक करें, पुष्प और प्रसाद चढा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें। अब निर्माल्य जल का पूरे घर में पुष्प से छिडकाव कर शेष निर्माल्य पेड-पौधें में डाल दें। महाशिवरात्री के बाद प्रति माह आने वाली तीन शिवरात्री यही क्रम दौहराएं आपकी हर कामना पूरी होगी। महाशिवरात्रि पर शिव आराधना से ग्रहों की दशाएं शांत होती है और शनि की साढे साती से राहत मिलती है? कैसे कल बताऊंगा। 

महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार कृपा 

महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव और माता पार्वती शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन को शास्त्रों में पवित्रतम माना गया है। इस दिन शिव मात्र जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों के अनुसार पूजन बताई गई है। प्रस्तुत है राशि अनुसार पूजन की विस्तृत जानकारी 


मेष राशि- मेष राशि के स्वामी मंगल हैं। इनके लिए लाल रंग शुभ माना जाता है। लाल चंदन व लाल रंग के पुष्प यदि भगवान भोलेनाथ को अर्पित करें तो यह बहुत ही पुण्य फलदायी रहता है। यदि पूजा के समय नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप भी किया जाए तो भगवान शिवशंकर मन की मुराद जल्द पूरी करते हैं।


वृषभ राशि- वृषभ तो भगवान शिव के वाहन भी हैं। आपके राशि स्वामी शुक्र माने जाते हैं। सफेद रंग आपके लिए शुभ है। वृषभ जातकों को भगवान शिव की पूजा चमेली के फूलों से करनी चाहिए। साथ ही अपने कष्टों के निवारण व अपेक्षित लाभ प्राप्ति के लिए शिव रुद्राष्टक का पाठ भी करना चाहिए।


मिथुन राशि- मिथुन राशि के स्वामी बुध माने जाते हैं। मिथुन जातक भगवान शिव को धतूरा, भांग अर्पित कर सकते हैं। साथ ही पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करना भी आपके लिए लाभकारी रहेगा।


कर्क राशि- कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं जिन्हें भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर रखा है। कर्क जातकों को शिवलिंग का अभिषेक भांग मिश्रित दूध से करना चाहिए। रूद्रष्टाध्यायी का पाठ आपके कष्टों का हरण करने वाला हो सकता है।


सिंह राशि- सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं। भगवान शिव की आराधना में सिंह जातकों को कनेर के लाल रंग के पुष्प चढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही शिवालय में भगवान श्री शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। यह पूजन आपके लिए अति लाभकारी सिद्ध हो सकती है।


कन्या राशि- कन्या के स्वामी बुध माने जाते हैं। कन्या जातकों को भगवान शिवजी की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि सामग्री शिवलिंग पर अर्पित करनी चाहिए। इसके साथ ही पंचाक्षरी मंत्र का जाप आपकी मनोकामनाओं को पूरी कर सकता है।


तुला राशि- तुला राशि के स्वामी शुक्र माने जाते हैं। आपको मिश्री युक्त दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही शिव के सहस्रनामों का जाप करना भी आपकी राशि के अनुसार शुभ फलदायी माना जाता है।


वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। भोले भंडारी की पूजा आपको गुलाब के फूलों व बिल्वपत्र की जड़ से करनी चाहिए। इस दिन रूद्राष्टक का पाठ करने से आपकी राशि के अनुसार सौभाग्यशाली परिणाम मिलने लगते हैं।


धनु राशि- बृहस्पति को धनु राशि का स्वामी माना जाता है। इन्हें पीला रंग प्रिय होता है। धनु राशि वाले जातकों को शिवरात्रि पर प्रातःकाल उठकर भगवान शिव की पूजा पीले रंग के फूलों से करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाना चाहिए। आपके लिए शिवाष्टक का पाठ कष्टों का नाश करने वाला है।


मकर राशि- मकर शनि की राशि मानी जाती है। धतूरा, भांग, अष्टगंध आदि से भगवान शिव की पूजा आपके लिए जीवन में शांति और समृद्धि लाने वाली होगी। इसके साथ ही आपको पार्वतीनाथाय नमः का जाप भी करना चाहिए।


कुंभ राशि- कुंभ राशि के स्वामी भी शनि ही हैं। कुंभ जातकों को गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही धन लाभ पाने के लिये शिवाष्टक का पाठ आपको करना चाहिए। जल्द ही अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।


मीन राशि- मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। मीन जातकों को पंचामृत, दही, दूध एवं पीले रंग के फूल शिवलिंग पर अर्पित करने चाहिए। घर में सुख समृद्धि व धनधान्य में वृद्धि के लिए पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का चंदन की माला से 108 बार जाप करना चाहिए।

शिवरात्रि विशेष योग में पूरी करें अपने तीन मनोकामना

इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022, मंगलवार को है। इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों के योग का महासंयोग और दो महाशुभ योग बन रहे हैं, जो मनोरथ पूर्ण करने वाला माना है।

आज के शिवरात्रि स्पेशल एपिसोड में जानेंगे शुभ संयोग में किए जाने वाले ऐसे तीन उपाय जो आपके जीवन में सुख समृद्धि और खुशियां लाएंगे। इस दिन कई उपाय किए जा सकते हैं जो आपको लाभ देंगे। 

अगर आपके विवाह में देरी हो रही हैं तो महशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करने के लिए पानी में कच्चा दूध मिला लें जो गाय का हो तो अच्छा होगा। स्नान करते हुये माँ गंगा और भगवान शिव का ध्यान करते हुये स्नान करे। अब स्नान करने के बाद सवा पाव कच्चा दूध से शिवलिंग पर अभिषेक करे।

अब भगवान शिव को लाल चन्दन से तिलक करे। आक के फूलों की माला समर्पित करे और भगवान शिव को 108 बेलपत्र अर्पित कीजिये और हर बेलपत्र को अर्पित करते हुये भोलेनाथ से सुयोग्य वर या सुयोग्य पत्नी की कामना करे। अब इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करे। और अगर आप महाशिवरात्री के दिन व्रत कर सके तो बहुत शुभ होगा और इस फिर 16 सोमवार तक व्रत करे। प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के मंदिर में ऊँ नमः शिवाय का मंत्र बोलते हुये कच्चा दूध, जल से अभिषेक करे और धतूरे के पुष्प अर्पित करे।

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नौकरी और व्यापार से संबंधित समस्याओं से मुक्ति का विशेष उपाय।

अगर नौकरी या व्यापार में किसी प्रकार की समस्याएं आ रही हैं तो महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने के साथ शिवलिंग पर जल में शहद मिलाकर अभिषेक करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर अनार का फूल अर्पित करें। शिवपरिवार की परिक्रमा करते हुए प्राथना करे। भगवान शिव की कृपा से आपकी नौकरी और व्यापार की समस्याएं दूर होने लगेंगी।

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रोग और दोष दूर करने के लिए 

आप शिवलिंग पर 101 बार जलाभिषेक करें। साथ ही ऊँ हौं जूं सः। ऊँ भूर्भुवः स्वः। ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम। उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात। ऊँ स्वः भुवः भूः ऊँ। सः जूं हौं ऊँ। मंत्र का जप करते रहें। इससे आपके रोग ठीक होने में लाभ मिलेगा। साथ ही महाशिवरात्रि कालसर्पदोष, पितृदोष शांति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्पदोष है उन्हें आठ और नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलेगा।

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पढ़ाई में सफलता प्राप्ति के लिएः- शिवलिंग पर गाय के दूध मिश्रित जल से अभिषेक करते हुए ‘‘ऊँ नमः शिवायः’ मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करें। विद्यार्थियों को शिक्षा में एकाग्रता बनी रहने के साथ अध्ययन की हुई बातों का स्मरण रहना और परीक्षा परिणामों में सफलता की प्राप्ति होगी। 


धन की प्राप्ति के लिएः- शिवलिंग पर गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक करके भगवान शिवजी और माता पार्वती जी की पूजा करें और रूद्राष्टकम् का पाठ करें। इससे धन प्राप्ति के मार्ग सुलभ होंगे, आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ-साथ मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी।   


संतान के लिएः- शिवलिंग पर गाय के शुद्ध घी एवं दूध को मिश्रित कर पति-पत्नी दोनों अभिषेक करते हुए संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें, इससे संतान की प्राप्ति में आने वाले सभी बाधाएं दूर होती और वंश में वृद्धि होती है।   


सुखद वैवाहिक जीवन का उपायः- गृहणी आज के दिन चांदी अथवा स्टील की एक छोटी डिब्बी में सिन्दूर रखें तथा उसमें पांच गौमती चक्र डाल दे। इस सिन्दूर से देवी पार्वती को तिलक लगाये। उसके पश्चात् इस सिन्दूर से अपनी मांग भरे या बिंदी लगाएं। जब सिन्दूर समाप्त हो जाएं तब उस गोमती चक्र को पीपल की जड़ में रख आएं तथा पुनः नया सिन्दूर उक्त प्रकार से डिब्बी में भरकर नये गोमती चक्र रखें व उपरोक्त प्रकार से लगाएं इससे वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होकर सुखद वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होगी।  


शीघ्र विवाह के लिएः- प्रत्येक सोमवार शिवजी के मंदिर में जाकर भोलेनाथ शिव व माँ पार्वती पर कच्चा दूध एवं मिश्रित जल से अभिषेक करें। फिर माँ पार्वती का श्रृंगार कर दोनों के मध्य मौली के द्वारा गठजोड़ बांधे तथा उनसे प्रार्थना करें कि जिस तरह आप दोनों की जोड़ी बंधी है, ठीक उसी तरह से मुझे भी अच्छा जीवन साथी मिले व हमारी जोड़ी बनी रहे।    


रुद्र के रुद्राक्ष को धारण करने से पहले जान ले कुछ नियम

ऊँ नम शिवाय। 

आज हम बात करेंगे भगवान शिव के आंसुओं से बने बीज, यानी रुद्राक्ष की। जिसे अगर आप धारण करना चाहते है या धारण कर रखा है तो किन बातों का आपको, रखना चाहिए विशेष ध्यान। 

रुद्राक्ष जो कि भगवान शंकर का बहुत प्रिय आभूषण है। और यही कारण है कि भोलेनाथ के भक्त हमेशा  इसे धारण किए रहते हैं। 

रुद्राक्ष एक दिव्य औषधि है जो पॉजिटिव एनर्जी और पॉजिटिव वाइब्स देता है। धार्मिक व अध्यात्मिक लाभ के साथ इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता हैं। ब्लड प्रेशर, हार्ट डीजज मे रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है।

रुद्राक्ष के विभिन्न दानों का अपना महत्व है, जैसे एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है जो हमे भोग और मोक्ष प्रदान करता है। वहीं दोमुखी रुद्राक्ष सभी मनोकामनाओं को पूरी करने वाला है।

तीन मुखी रुद्राक्ष सदा से समस्त विद्याएं प्राप्त होती हैं। चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी का स्वरूप है इसे धारण करने से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। पांच मुखी रुद्राक् मोक्ष दिलाता है।

संवरेगा भाग्य, बदलेगी किस्मत

छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भाग्य सवरता है। और सभी तरह के पापो से मुक्त होता है। 

चमत्कारिक सात मुखी रुद्राक्ष भिखारी को भी राजा बनाने की शक्ति रखता है। 

आठ मुखी रुद्राक्ष मनुष्य को आयु प्रदान करता है। 

नौ मुखी रुद्राक्ष कपिल-मुनि का और दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। जो जीवन मे सुख समृद्धि देते है। 

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने पर सभी क्षेत्र में सफलता मिलती है।


अब जानते है रुद्राक्ष धारण करने के नियम-

रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रख कर उसपर 108 बिल्वपत्र लेकर चन्दन से ऊँ नमः शिवाय मंत्र लिखे। दूसरे दिन धारण करें। 


रुद्राक्ष धारण करने के बाद अंडे, मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज को त्याग दे। 


रुद्राक्ष शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर ही धारण करे।


रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह-शाम भगवान शंकर का पूजा और ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप जरूर करे।


रुद्राक्ष धारण करने के बाद झूठ बोलने की आदत  छोड़ दे।


रुद्राक्ष को हमेशा लाल, पीले या सफेद धागे में ही धारण करें। रुद्राक्ष को चांदी, सोना या तांबे में भी धारण कर सकते है। लेकिन धारण करते समय ऊँ नमः शिवाय का जाप जरूर करे। 


रुद्राक्ष को कभी भी अपवित्र होकर धारण न करें। किसी दूसरे व्यक्ति को अपना रुद्राक्ष धारण करने के लिए नहीं दें।


रुद्राक्ष को हमेशा शुभ मुहूर्त में ही धारण करें। एक ओर खास बात रुद्राक्ष हमेशा प्राण प्रतिष्ठा करवा कर ही धारण करें। इसके लिए आप हमारे कार्यालय के नंबर पर भी संपर्क कर सकते है।



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