Ganesh Chaturthi 2018 | खुशियों की सौगात लेकर आ रहे हैं प्रथम पूज्य श्री गणेश | Suresh Shrimali

खुशियों की सौगात लेकर आ रहे हैं 
प्रथम पूज्य श्री गणेश

शुभता के प्रतीक और विघ्नों का नाश करने वाले प्रथम पूज्य श्री गणेश का जन्मोत्सव आ रहा है। गुरूवार 13 सितम्बर 2018, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश का जन्मोत्सव है, जो अनंत चतुर्दशी तक दस दिन मनाया जाएगा। हम कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करते हैं तो कहते हैं कि हमने आज इस कार्य का श्री गणेश कर दिया, व्यापारी बहियों में हिसाब-किताब करने से पूर्व लिखते हैं श्री गणेशाय नमः या हम कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करते हैं तो श्री गणेश की पूजा सर्वप्रथम करते है। ऐसा क्यों करते हैं? कभी आपने सोचा? क्योंकि श्री गणेश शुभता के प्रतीक हैं और इनके स्मरण मात्र से ही विघ्नों का नाश होकर कार्य निर्वघ्न सम्पन्न हो जाता है। पृथ्वी पर सबसे पहले पूजा किस देवी-देव की जाए यह सोचकर महादेव ने सभी देवताओं से एक बार कहा कि जो देवता पृथ्वी का सबसे पहले चक्कर काटकर पुनः यहां लौट आएगा उसी को पृथ्वी पर सर्वप्रथम पूज्य होने का अधिकार होगा। श्रीगणेश के भाई कार्तिकेय सहित अनेक देवता इस प्रतियोगिता में शामिल हुए। श्रीगणेश ने शिव-पार्वती की परिक्रमा की और उनके समक्ष प्रणाम कर बैठ गए। सभी देवता परिक्रमा कर लौटे, सबसे पहले कार्तिकेय आए, फिर सब देवता। लेकिन शिव जी ने श्री गणेश को विजयी घोषित किया। कार्तिकेय सहित सब देवता नाराज हुए तो शिव जी ने बताया कि इस ब्रह्मांड में हमारे जन्मदाता माता-पिता से बढकर कोई नहीं है, समस्त संसार को इस बात का ज्ञान कराने वाले श्री गणेश ही पृथ्वी पर प्रथम पूज्य होंगे। ऐसे ज्ञान के सागर, रिद्धि-सिद्धि के दाता और विघ्नों का नाश करने वाले श्री गणेश इस बार खुशियों की सौगात लेकर आ रहे हैं।

पूरी करें मनोकामनाएं, इस बार शुभ संयोगों के संगम से:-

श्री गणेश का स्मरण ही विघ्नों का नाश कर देता है फिर इस बार तो गणेश चतुर्थी पर एक नहीं, अनेक शुभ संयोगों का संगम होने जा रहा है। यह अति दुर्लभ अवसर है जब गणेश चतुर्थी पर इतने शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं। इस दिन चन्द्रमा तुला राशि के स्वाती नक्षत्र में स्थित होंगे तो मंगल का उच्च में स्थित होना और सूर्य व शुक्र का स्वगृही होना अति शुभ संयोग बना रहे हैं। इसके साथ ही कलानिधि योग, बुद्धादित्य योग, शंख योग एवं गजकेशरी योग जैसे महाशुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इन सब संयोगों का लाभ उठाकर आप अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। इन शुभ संयोगों का होना भूमि-भवन, वाहन, मशीनरी, प्रापर्टी और नए व्यापार के लिए अत्यंत शुभ है। सौभाग्य के अवसर बार-बार नहीं आते, इस बार श्री गणेश की स्थापना के बाद पूर्ण विधि-विधान से उनकी पूजा-आराधना करें और अपनी मनोकामना की पूर्ति की कामना करें।


पर्यावरण का रखें ध्यान:-

पहले के जमाने में गणेश जी की मूर्तियां मिट्टी से बनाई जाती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मूर्तियों पर केमिकल्स वाले रंग चढने लगे है और हर साल नई-नई मूर्तियों का चलन होने लगा है। इसके चलते मूर्ति विसर्जन एक पर्यावरण विरोधी कृत्य बन गया है। यह नदी, नाले जाम करने से जल प्रदूषण का कारण बन रहा है। हर शहर के, ओने-कोने पर मूर्ति वह भी एक-दूसरे से होड लेते हुए आकार की। फिर उसका विजर्सन यानि आज जिन्हें मंगल मूर्ति कहकर पूजा कर रहे थे कल उनकी दुर्दशा, बाद में नालों में बहती हुए टूटी-फूटी मूर्तियां, कहीं सूंड, कहीं कान व कहीं हाथ देखे जा सकते है। ऐसे में मेरी आपसे यही विनती है कि आप मिट्टी के गणेश जी जो कि ईको फ्रैण्डली होते है उन्हीं का विसर्जन करें। जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हमारी नदियां, झीलें, समुंद्र व उसमें रहने वाले जीव-जन्तु भी सुरक्षित रहेंगे, साथ ही भगवान का अपमान भी नहीं होगा।


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