आप में है सात पीढ़ी का डीएनए, उनके मोक्ष में सहायक बनिए | Suresh Shrimali
आप में है सात पीढ़ी का DNA
पूर्वजों के मोक्ष में सहायक बनिए
क्या आपको पता है कि हमारी रगों में जो खून बह रहा है, आपके शरीर के भीतर जो जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले तंतु नुमा अणुओं का समूह है उसमें आपके पिता ही नहीं बल्कि आपकी सात पीढी के पूर्वजों का रक्त और उनके अणुओं के अंश भी मौजूद हैं? विश्वास नहीं होता? लेकिन यह अटल सत्य है और शास्त्रों द्धारा प्रमाणित भी।
आपका जन्म कैसे हुआ? आपकी माता ने जब गर्भ में आपको धारण किया तो आपके पिता के शुक्राणुओं के कारण उनके गर्भ में जीव आया और आप गर्भ में आए। लेकिन पिता के जो शुक्राणु आपकी माता के गर्भ में प्रवेश करने से आपका जन्म हुआ वो शुक्राणु केवल आपके पिता के नहीं वरन आपके पितृो के भी हैं। पिता के शुक्राणु से माता जब गर्भ धारण करती है तो उस शुक्राणु में 84 अंश होते हैं। इनमें से केवल 28 अंश आपके पिता के स्वयं के भोजन आदि से उपार्जित हैं शेष अंश आपके पितृो के हैं। 28 अंश पिता के, फिर 56 अंश पूर्व पुरूषों यानी दादा, पडदादा आदि। इन 56 में से 21 अंश आपके दादा यानी तीसरी पीढी के, 15 अंश पडदादा यानी चैथी पीढी के, 10 अंश लापडदादा यानी पंाचवी पीढी के, 6 अंश छठी पीढी के पुरूष के, 3 अंश सातवीं पीढी के पुरूष के और 1 अंश आंठवी पीढी के पुरूष का होता है। इस प्रकार सात पीढियों तक वंश के सभी पूर्वजों के रक्त की एकता बनी रहती है। पिंडदान में मुख्यतः तीन पीढियों को ही लिया जाता है क्योंकि शेष में दस से कम अंश जीवात्मा को मिलते है। इसीलीए पितृ दोष में तिृपींडी श्राद्ध यानी तीन पीडी के पितृ का विधिवत पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति की मृत्यु के बाद तीन ही स्थितियां बनती है। पहली अधोगति यानी भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, मृत्युलोक। दूसरी ऊध्र्वगति यानी स्वर्ग और तीसरी मोक्ष। आत्मा अंततः मोक्ष ही प्राप्त करती है। लेकिन यदि पितर अधोगति को प्राप्त हो गए हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति तभी होगी जब आप पूर्ण श्रद्धा, आस्था और विश्वास के साथ उनके निमित्त श्राद्ध कर्म करेंगे। यह आपका दायित्व है क्योंकि आप उन्हीं के तो डीएनए हैं। डीएनए का मतलब होता है- आपके शरीर के भीतर जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले तंतु नुमा अणु के डी-ओक्सी राइबोन्यूक्लिक अम्ल यानी डीएनए। यह हमारे शरीर में हमारी सात पीढियों के अंश लेकर जीवित हैं। अतः श्राद्ध कर्म कर आप अपने पितृो को अधोगति से मोक्ष दिलाने में सहायक बनें।
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