Ganesh Chaturthi 2018 | कब करें श्री गणेश की स्थापना कैसे करें श्री गणेश की स्थापना | Suresh Shrimali
कब करें
श्री गणेश की स्थापना
श्री गणेश की स्थापना
शुभ मुहूर्त कीजै शुभ काजा, तो फल मिले मनचाहा। यह कहावत यूं ही नहीं बन गई। हमारे यहां शादी-विवाह, गृह-प्रवेश या कोई भी अन्य मांगलिक कार्य करने से पूर्व मुहूर्त निकलवाया जाता है ताकि कार्य सफल हो जाए। और तो और प्रतिदिन डेढ घंटे रहने वाले राहूकाल में हम कोई शुभ कार्य नहीं करते। क्यों? क्योंकि शुभ मुहूर्त पर किए गए कार्य सिद्ध होते हैं और बिना मुहूर्त के कार्यो में अधिकांश असफलता मिलती है। तो श्री गणेश की स्थापना भी शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए ताकि हमें मनवांछित फल की प्राप्ति हो। इस बार गणेश चुतर्थी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट वृश्चिक यानी स्थिर लग्न रहेगा जबकि सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजे तक फिर शाम 5 बजकर 10 मिनट से 6 बजकर 42 मिनट तक शुभ का चैघडिया रहेगा और दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से एक बजकर 30 मिनट तक लाभ के चैघडिये में आप पूरे मान-सम्मान, हर्षोल्लास और ढोल-नगाडों के साथ गणपति को अपने घर लाकर विराजमान करें। विधि-विधान से पूजा करें। शुभ संयोगों के संगम में निश्चित आपकी मनोकामना पूर्ण होकर धन-सम्पदा और खुशियों का खजाना ले आएं अपने घर।
कैसे करें श्री गणेश की स्थापना:-
अपने घर या संस्थान में जहां आप श्री गणेश की स्थापना करने जा रहे हैं सबसे पहले तो घर की साफ-सफाई करके स्नानादि से निवृत हो जाएं, फिर मुख्य द्वार के दोनों ओर कुंकुंम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर पूरे घर में धूप बत्ती जलाकर घर या प्रतिष्ठान का शुद्धिकरण कर लें। फिर श्री गणेश की प्रतिमा खरीदते ही उसे आप लाल वस्त्र से ढक दें व पूजा प्रारंभ होने के समय ही इस वस्त्र को हटाएं। घर में प्रवेश के समय ढोल नगाडे बजाएं। जहां स्थापना करनी हो, वह उत्तर दिशा होनी चाहिए। पहले पाटे पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर श्री गणेश को विराजित करें। अब एक कलश में जल भर कर उसमें कुंकुंम और अक्षत डाल दें, फिर उस पर नारियल और अशोक वृक्ष के पत्ते रख कलश को श्री गणेश के पास स्थापित कर दें। इसके बाद विधि-विधान से पूजन, अर्चन कर फल, पुष्प, इत्र, धूप-दीप सहित पूजा करें और मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। “ऊँ गं गणपतये नमः” मंत्र का श्रद्धानुसार जाप करें। फिर आरती करें। यह क्रम विसर्जन तक नियमित बना रहे। बीच में किसी दिन सुन्दर कांड का पाठ भी कराएं और बहिन-बेटियों को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराएं व दान-दक्षिणा देंकर उनसे भी आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से साल भर घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
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