सिद्ध कुंजिका स्त्रोत || Suresh Shrimali


जीवन में समस्याओं का समाधान है
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत




अगर आपके जीवन में है किसी भी तरह की समस्या या घर में है नकारात्मक ऊर्जा, सीखने की क्षमता में करनी है वृद्धि, सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता के साथ-साथ स्मरण शक्ति में करनी है बढ़ोतरी, आपके अन्दर की कला को है उभारना, सामाजिक जीवन में मान-सम्मान में करनी है वृद्धि। सुख-समृद्धि को निरंतर है बढ़ाना, कर्ज से है यदि उभरना, जाॅब और बिजनस में यदि चाहिए लाभ ही लाभ, प्रमोशन का बनाना है योग, जिससे हर तरह के सुख का कर पाएंगे भोग। इस मंत्र से नवग्रह के दोष होते है शांत, पति-पत्नी के संबंधों में आती है मधुरता, प्रेमी-प्रेमीका के मन-मुटाव होते है शांत, मान-सम्मान की होती है प्राप्ति।
इसके लिए आप अपने घर की पूर्व दिशा में स्वच्छ वस्त्र धारण करके ऊनी आसन पर बैठ कर गहरी सांस लेकर छोड़े और ऐसा महसूस करें कि आपका मन और चित्त शांत हो रहा है। ऐसा आप 5 से 10 मिनट करते रहें और फिर उसके बाद आपको एक मंत्र मैं बताने जा रहा हूं, उसका जाप 10 मिनट तक करना हैः-

“ऊँ ह्रीं क्लीं कालिके ह्रीं विच्चे।।”

ऐसा आपको नवरात्रा के नौ दिनों तक निरंतर करना है। ऐसा करते-करते आप देखंेगे कि माता सिद्ध कुंजिका की कृपा आप पर होने लगेगी। 
यदि आपको अज्ञात शत्रुओं का भय या फिर नजर दोष ने घेर रखा है तो फिर आप इस मंत्र का जाप दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके करें। 
यदि आप सुख-समृद्धि-ऐश्वर्य या फिर जाॅब एण्ड बिजनस से रिलेटेड किसी भी प्रोब्लम का चाहते है समाधान तो घर की पूर्व दिशा में बैठकर करें इस मंत्र का जाप। 
पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में है अनबन या नहीं हो पा रहा है विवाह तो घर में पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके करें इस मंत्र का जाप। 
माता भगवती की पानी है कृपा या चाहिए सुख शांति तो उत्तर दिशा की तरफ मंुह करके करें इस मंत्र का जाप। 
यह मंत्र बहुत ही पाॅवरफुल है। यदि कोई भी साधक इसे पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करता है तो समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है लेकिन याद रहे इस मंत्र का उपयोग किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के उद्धेश्य से नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह मंत्र बहुत ही अचूक होता है।
ध्यान रहे इस साधना के दौरान महिलाएं मासिक धर्म की वजह से 5 दिनों तक रहे पूजा-पाठ से दूर। इस मंत्र को बच्चों से लेकर वृद्ध जन भी जाप कर सकते है। निश्चल सेवा भावना रखे तथा क्रोध व अहंकार से दूर रहे। मांसाहार से दूर रहे। ब्रह्मचर्य का पालन करें। 

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