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Sharad Purnima 2017 || शरद पूर्णिमा पर दूर होंगे रोग|| ये उपाय करें || Suresh Shrimali
|| रोगो से मुक्ति देती है शरद पूर्णिमा ||
सनातन धर्म के 12 महिनों में शरद पूर्णिमा का सबसे विशेष महत्व है। इस दिन चन्द्रमा सोलह कलायुक्त होते है, ऐसी मान्यता है कि सोलह कलाएं मिलकर ही सर्वाभौमिक व्यक्तित्व का निर्माण करती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है जो कि इस बार 05 अक्टूबर को है। इस दिन पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थिति में होते है चन्द्रमा और चन्द्रमा की किरणें अमृत टपकाती है। शरद ऋतु के प्रारम्भ से ही शरीर में पित्त या एसीडीटी बढ़ने लगती है और यही कारण है कि इस दिन खीर बनाई जाती है जिसमें दूध और चावल का मिश्रण रहता है। यदि आप किसी भी तरह के पित्त रोग से जुझ रहे है, दमा और सांस की तकलीफ है तो भी शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन करना चाहिए। इन बिमारियों से निजात मिलती है। शाम के समय खीर बनाकर रख देनी चाहिए, उसका भोग ठाकुरजी ना लगाएं और प्राकृतिक रूप से खीर को ठंडा होने दे, उसके बाद छत पर ऐसी जगह खीर को रखें, जहां चन्द्रमा की किरणें पूर्ण रूप से उस पात्र पर गिरे। ये ध्यान रहे कि बर्तन के ऊपरी सिरे पर कोई ढक्कन आदि ना हों। रश्मियों से सिंचित होने वाला ये खाने का व्यंजन औषधी का रूप ले लेता है। यदि आप गौर करें तो पाएंगे कि शक्कर या मिश्री, चावल और दूध तीनों ही सफेद पदार्थ है और रश्मिियां भी धवल है। सफेद वैसे भी निर्गुण रंग माना गया है जो कि अत्यंत लाभप्रद है। इस खीर को कम से कम दो घण्टे तक छत पर रखें और फिर प्रसाद की तरह परिवार के सदस्य इसका सेवन करें। आयुर्वेद की औषधियों का निर्माण भी इस रात्रि किया जाएं तो वे अत्यंत ही लाभप्रद सिद्ध होती है।
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