|| मालव्य योग ||
मालव्य योग को यदि लक्ष्मी योगों का शिरोमणी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। मालव्य योग की प्रशंसा सभी ज्योतिष ग्रन्थों में की गई है। यह योग शुक्र से बनता है तथा शुक्र को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। अतः लक्ष्मी योग के रूप मेें इसकी महता और भी बढ़ जाती है। मालव्य योग पंचमहापुरूष राजयोगों में से एक हैं। यदि लग्न से केन्द्र में वृष, तुला या मीन राशि में शुक्र विराजित हो तो मालव्य योग घटित होता है। पुष्पांजलि जी की कुण्डली में यही योग है। मालव्य योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति भाग्यशाली, धैर्यवान, आकर्षित एवं ऐश्वर्य दायक जीवन जीने वाले, बहुत जिंदादिल, अच्छे से अच्छी गाड़ी, मकान व सभी सांसारिक सुखों को भोगने वाले सुगन्धित द्रव्यों के शौकिन, घूमने के शौकिन, कम प्रयासों के ही जीवन में सारे भोग इन्हें प्राप्त होते है। इस योग वाले लक्ष्मीवान से भी ज्यादा वैभवान होते है। इनके चेहरे पर विलक्षण, सौम्य आभा रहती है।
सिनेपटल के राजकपूर की कुण्डली में भी तुला राशि में सुख, वैभव के भाव में विराजित शुक्र मालव्य योग घटित कर विराजित है। अद्वितीय प्रतिभा के धनी राजकपूर ने हिन्दी सिनेमा को नए आयाम दिए। उनके आकर्षक व चुम्बकीय व्यक्तित्व पर मालव्य योग का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है। इसके अलावा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, स्मिता पाटील, तब्बू आदि अनेक प्रसिद्ध हस्तियों की कुण्डली में यह योग घटित हो रहा है।
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