यश, कीर्ति और माँ लक्ष्मी की कृपा किस रास्ते हमारे द्वार पर दस्तक देती है हम नहीं जानते। किन्तु पूत के पाँव पालने में दिखाई देने लगते है। अर्थात् जो विलक्षण प्रतिभा के धनी होते है वे इसका आभास बचपन से ही करा देते है। जिस पर माँ शारदा का वरद हस्त होता है वह अपनी विद्वता से माँ लक्ष्मी का कृपा पात्र होता है। सरस्वती योग एक ऐसा ही योग है। इस योग में जन्मा जातक विद्वान, गणितज्ञ, काव्य रचना पटु, लेखनी का धनी, ओजस्वी व्यक्त्वि, ऐश्वयवान्, शास्त्रार्थ में पारंगत व अतिलक्ष्मीवान्। उसकी कीर्ति अमर होती है व चारों दिशाओं में फैलती है। कैसे घटित होता है यह योग? यदि बुध, बृहस्पति, शुक्र लग्न से केन्द्र, त्रिकोण या द्वितीय स्थान में हो और बृहस्पति स्वराशि, मित्र राशि या उच्च राशि में हो तो सरस्वती योग घटित होता है। देखिए नोबल पुरस्कार विजेता, साहित्यकार, चित्रकार, संगीतज्ञ, शिक्षाविद्। विश्व कवि रविन्द्रनाथ टैगोर की कुण्डली जहाँ सरस्वती योग घटित हो रहा है। बुध व शुक्र द्वितीय स्थान में अस्त नहीं है। गुरू त्रिकोण में तथा उच्च राशि के टैगोर की कीर्ति अमर है। उनका व्यक्तित्व अत्यन्त मनोहारी व चुम्बकीय था। हरिवंश राय बच्चन, अमृता प्रीतम, गुलज़ार आदि अनेक साहित्यिक प्रतिभाओं की कुण्डली में यह योग घटित हो रहा है।
Comments
Post a Comment