Yogas in Astrology || क्या आपकी कुण्डली में हैं Laxmi Yoga || नाभि योग (Nabhi yoga) || Suresh Shrimali





|| नाभियोग ||



राजयोग व्यक्ति को ज़ीरो से हीरो और दुर्योग व्यक्ति को हीरो से ज़ीरो बना देते है, यही है ग्रहों का खेल। जिसे सिर्फ ईश्वर कृपा से ही समझा जा सकता है। उन्हीं योगों में एक योग है नाभियोग। यदि किसी की कुण्डली में लग्न से नवम् यानि भाग्य स्थान में बृहस्पति हो और उससे ग्यारहवें यानि सप्तम् में नवें का स्वामी हो तथा नवम् भाव या नवमेश चन्द्र से युत या दृष्ट हो तो नाभियोग घटित होता है। इस योग में जन्मा व्यक्ति दानवीर, कर्मवीर, गुणी, बहुत नामी, उद्योगपति, राजपूज्य, सुखी व लक्ष्मीवान् होता है। उसके व्यापारिक कौशल का कोई सानी नहीं होता। देखिए प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अरविन्द मफ्तलाल की कुण्डलीः- भाग्य स्थान में गुरू भाग्येश मंगल सातवें घर में। पराक्रम स्थान में विराजित चन्द्र की नवें घर पर दृष्टि।  इस दुर्लभ राजयोग के कारण ही श्री मफ्तलाल हैण्डलूम इण्डस्टी का एक चर्चित नाम है। दोस्तों ज़रूरी नहीं कि हर व्यक्ति की कुण्डली में राजयोग हो। ज़रूरी है कर्मयोग का होना क्योंकि कर्मयोगी अपना राजयोग स्वयं बनाते है। अतः कर्म की शक्ति को पहचाने और अपना भाग्य स्वयं बनाएं।


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