गुप्त नवरात्रि कब, शुभ महुरत, पूजा विधि | SURESH SHRIMALI | GRAHON KA KHEL

 


गुप्त नवरात्रि कब, शुभ महुरत, पूजा विधि


सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।


शरण्ये र्त्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।


       गुप्त नवरात्र की आप सभी को बहुत बहुत शुभ कामनाएं। आपके जीवन में यश, सुख समृद्धि का वास हो ऐसी मेरी देवी मां से प्राथना है।


       शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि। ये पर्व साल में दो बार नहीं ,बल्कि चार बार आता है। प्रथम चौत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है। इन चारो नवरात्रि का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिए। नवरात्रि में जहां देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना कर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।


इस साल 2022 में पहली नवरात्रि माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 02 फरवरी 2022 को प्रारंभ होगी। जो की गुप्त नवरात्रि है। इस नवरात्र में शक्ति की साधना को गोपनीय रूप से किया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है, साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा बरसती है।


 


       घट स्थापना- माघ मास की गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए घटस्थापना 02 फरवरी 2022 को सुबह 07ः26 से 10ः06 तक लाभ-अमृत का चौघडिया एंव सुबह 11ः30 से 12ः00 तक शुभ वेला करना अत्यंत शुभ रहेगा।


 


पूजा विधि


       गुप्त नवरात्रि के दिन प्रातरूकाल जल्दी उठकर स्नान आदि करके एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाएं। उसके बीच सवा मुट्ठी अक्षत की ढेरी बनाए व मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी पहनाकर रखे। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोये। जिसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहे। इसके साथ ही मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का, सुपारी, पुष्प लॉन्ग, डालकर उसे शुभ मुहूर्त आम के पत्तो को डाल कर उसके ऊपर श्रीफल रखकर स्थापित करें। इसके बाद फल-फूल का भोग अर्पित करते हुए देवी मां की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा अर्चन करें। इसके बाद अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करे और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें। पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।


 


       एक विशेष उपाय जो आप पूरे नो दिन कर सकते है, दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करे। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होगी। लेकिन जो लोग समय की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सिद्ध कुंजिकास्तोत्र का पाठ करना उत्तम है। ईश्वर आस्था चाहते है। पूजा में ध्यान चाहते है। वही साधक अपने मनोरथ को प्राप्त करता है जो बिना किसी मोह के देवी मां की नो दिन पूजा करता है। एक बार फिर आप सभी को गुप्त नवरात्र की शब कामनाएं।






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