DIWALI-2018 || 31 अक्टूबर 2018 पुष्य नक्षत्र || Suresh Shrimali

पुष्य नक्षत्र
बुधवार, 31 अक्टूबर 2018 


जिस प्रकार यंत्रों में श्रीयंत्र को सर्वोच्य स्थान प्राप्त होने से उन्हें यंत्रराज कहा गया है ठीक उसी प्रकार पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में राजा का स्थान प्राप्त है।
हर साल दीपावली व धनतेरस के पूर्व पुष्य नक्षत्र की विशेष मान्यता रहती है और सभी लोगों में इसका एक अलग ही क्रेज दिखता है और हो भी क्यों ना इस विशेष संयोग में खरीददारी करने से महालक्ष्मी स्थिर रूप से वास करती है। इस साल धनतेरस से पूर्व 31 अक्टूबर को बुध पुष्य नक्षत्र अपने साथ लेकर आ रहा है शुभ संयोगो का संगम जो करेगा आपके जीवन में धन वैभव की बरसात। ऐसे विशेष दिन पर आपको बताऊँगा मैं विशेष उपाय जो देगा आपको धन-समृद्धि, ऐश्वर्य व खुशियाँ छप्पर फाड़ के।
पहले बात करते है की क्या है पुष्य नक्षत्र?
पुष्य नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक शुभ माने जाने वाले नक्षत्रों में से एक माना जाता है। 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को आठवां स्थान प्राप्त है। इस नक्षत्र को सौभाग्य, समृद्धि तथा अन्य बहुत से शुभ पक्षों के साथ जोड़ा जाता है। पुष्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है- पौषण करना।
ऋगवेद में तो पुष्य नक्षत्र को शुभफल प्रदाता, समृद्धिकारक एवं मंगलकर्ता नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यों से सर्वोत्तम फलों की प्राप्ति होती है। प्रत्येक शुभ कार्यों के मुहूर्त अलग-अलग होते है, लेकिन कुछ मुहूर्त ऐसे होते है जब हम कोई भी शुभ कार्य कर सकते है, ऐसे मुहूर्तों को एक विशेष दर्जा प्राप्त होता हैं। पुष्य नक्षत्र इन्हीं में से एक है, इस नक्षत्र में की गयी खरीददारी अत्यंत ही शुभ एवं स्थिर फलदायी होती है। बृहस्पति देव इस नक्षत्र के देवता हैं और शनि देव को इस नक्षत्र की दिशा का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है। चूंकि बृहस्पति को शुभता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक माना गया हैैं, एवं शनि को स्थायित्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। साथ ही मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का जन्म भी पुष्य नक्षत्र में होने से इस नक्षत्र को और भी खास बना देता है।



महाशुभ संयोगो का संगम:-
इस साल पुष्य नक्षत्र सप्तमी तिथि एवं कर्क राशि में होने के कारण, शुभ दिन के साथ में ग्रहों से बनने वाले विशेष योग जैसे पंचमहापुरूष योग के अंर्तगत मालव्य योग एवं रूचक योग का भी साथ मिलेगा। आज के दिन शुभ, मांगलिक कार्य, यात्रा एवं खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7.00 से 9.00 एवं शाम 5.00 से 6.00 तक रहेगा। राहुकाल 12.00 से 1.30 बजे तक होने से अभिजीत मुहूत्र्त में खरीदारी करना शुभ नहीं रहेगा।
आज के दिन बनने वाला पहला शुभ मालव्य योग के अंर्तगत किन फील्ड के लिए है लाभकारी और किन वस्तुओं की खरीददारी होगी शुभ ?

इंटीरियर डेकोरेटर, टी.वी. एंकर, ब्यूटीशियन, फैशन डिजाइनर, ज्वैलरी डिजाइनर, मेकअप स्पेशलिस्ट, सौन्दर्य प्रसाधन विक्रेता, होटल-रेस्टोरेन्ट, इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण के विक्रेता,सोना-चांदी अथवा चांदी से बनी वस्तुओं का व्यवसाय और इनसे जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी करना भी हम सबके लिए शुभ एवं लाभदायी रहेगा।

आज के दिन बनने वाला दूसरा शुभ योग रूचक योग के अंर्तगत किन फील्ड के लिए है लाभकारी और किन वस्तुओं की खरीददारी होगी शुभ ?
 भवन निर्माण, फ्लैट, भूमि खरीद-फरोख्त, कृषि कार्य, आतिशबाजी वस्तु, पटाखा निर्माण, रंग-रोगन, भवन निर्माण सामग्री क्रय-विक्रय से संबंधित कार्य जैसे ईंट, चूना, पत्थर, सीमेंट एवं सैनेट्री का व्यवसाय, स्पोर्टस सामग्री, मेडिकल व्यवसाय प्रोपर्टी डीलर आदि व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों के लिए आज का दिन अति शुभ बना है एवं साथ ही आज के दिन के साथ इन वस्तुओं की खरीदारी करना भी हम सबके लिए शुभ एवं लाभदायी रहेगा।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई किसी भी वस्तु की खरीददारी चीर स्थायी होती है और अक्षय फल प्रदान करती है। पुष्य नक्षत्र में खोई हुई कोई भी वस्तु शीघ्र ही पुनः मिल जाती है।
अब मैं आप सभी को आज के दिन करने वाला एक दिव्य उपाय बताने जा रहा हूं,
इसके लिए आप स्नानादि से निवृत होकर अपने पूजन कक्ष में बैठे। अपने सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाएं, उसके ऊपर एक एकाक्षी नारियल विराजमान करें, उसके आगे सात कौड़ियां और एक चांदी का सिक्का रखें। उन पर कुंकुंम से तिलक करें, अक्षत, अबीर, गुलाल एवं नैवेद्य चढ़ाएं। अब जो मंत्र बताने जा रहा हूं उसका 108 बार मंत्रोच्चारण करना है और इस बात का विशेष ख्याल रखें कि प्रत्येक मंत्रोच्चारण के साथ एक पुष्प अर्पित करने रहना है। मंत्र इस प्रकार ‘‘ऊँ हृीं श्रीं लक्ष्मीमयो नमः’’।
  इस प्रक्रिया के पूर्ण होने पर आप इन समस्त सामग्री को बाजोट के ऊपर बिछाएं सफेद कपड़े में पोटली बनाकर इसे अपनी तिजोरी में रखें। आने वाले अगले पुष्य नक्षत्र में इसे तिजोरी से बाहर निकाल कर अपने पूजन स्थल में रखें और धूप अगरबत्ती करने के पश्चात पुनः तिजोरी में रख दें। प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में इसे दोहराएं। ऐसा करने से आपको बिजनस या फिर फाइनेशियल स्टेट्स में इजाफा होगा। 

मेरी आपको यह सलाह होगी कि किसी भी वस्तु का अक्षय फल प्राप्त करना हो तो किसी भी त्यौहार आने से पूर्व पुष्य नक्षत्र का इंतजार करने की बजाय किसी भी माह में आने वाले पुष्य नक्षत्र पर उस वस्तु की खरीददारी आपके लिए ना केवल शुभ होगी बल्कि अक्षय फल प्रदान करेगी।

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