DIWALI-2018 | इस दीपावली स्थिर करें लक्ष्मी पाएं सुख-समृद्धि | Suresh shrimali



इस दीपावली करें 
लक्ष्मी को स्थिर  


लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, धन आता है और चला जाता है। सौ का नोट जो आज आपकी जेब में है, कल वह किसी ओर की जेब में था और कल किसी ओर की जेब में चला जाएगा। धन आए और खर्च हो यह तो ठीक है, परंतु स्थिर लक्ष्मी का तात्पर्य है कि इतना धन हो कि धन का आगम बना रहे, व्यक्ति जी भर कर खर्च करें और फिर भी उसकी पूंजी कम न हो, बढ़ती ही रहे, उसकी सम्पत्ति बढ़ती ही रहे। किसी भी स्थिति मंे आर्थिक अभाव व्यक्ति को उद्वेलित करें ही नहीं, यह स्थिर लक्ष्मी का अर्थ है। स्थिर लक्ष्मी का अर्थ है कि लक्ष्मी का स्थायित्व बना रहे। चाहे बात व्यापार की हो या दुकानदार की, आप सरकारी कर्मचारी हो या फिर शेयर ब्रोकर आपके पास लक्ष्मी का स्थायित्व बना रहे।
क्या आप कोई व्यापारिक बंधन का शिकार हो गए? घर में नित झगड़ों के कारण मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। परिवार के सदस्यों को बीमारी ने आ घेरा है और इलाज पर आप कर्जदार होते जा रहे है। ऐसी एक नहीं अनेक समस्याएं प्रायः प्रत्येक के जीवन में आती है। ऐसी ही अनेक समस्याओं के समाधान के लिए दीपावली का पंचदिवसीय महापर्व आपके लिए सौभाग्यशाली समय लेकर आ रहा है। दीपावली की कालरात्रि के दो दिन पूर्व और दो दिन बाद तक यानी धनतेरस से लेकर भैय्यादूज तक पांच दिन का समय पूजा-साधना और प्रयोग अनुष्ठान आदि के लिए अतिशुभ व शीघ्र फलदायी माना गया है। 

स्थिर लक्ष्मी साधना:-

यह साधना आप धनत्रयोदशी या दीपावली की रात्रि में 7 से 9 बजे के मध्य सम्पन्न करें। इसके लिए आप चांदी अथवा स्टील की थाली ले उस में अष्टगंध से अष्टदल या श्रीं का चिन्ह बनाएं, उस पर कनकधारा शक्ति यंत्र विराजमान करें। यंत्र पर पारदेश्वर शंख में इत्रयुक्त जल से ‘‘ऊँ महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए अभिषेक करें। इत्राभिषेक पूर्ण हो जाने के पश्चात् यंत्र को शुद्ध जल में स्नान करवाकर उसे साफ धो-पौछकर पुनः दूसरी थाली में श्रीं का चिन्ह बनाकर यंत्र को स्थापित कर दे और यंत्र के पास ही पारदेश्वर शंख भी विराजमान कर उन पर केसर-कुंकुम का तिलक करें, अक्षत चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं, खीर का प्रसाद भोग लगाए। तत्पश्चात उस बाजोट के पास में फिर एक बाजोट स्थापित करे उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर अक्षत की नौ ढेरियां बनाए और उन सभी ढेरियों पर एक-एक गोमती चक्र विराजमान कर दें तथा उन ढेरी के ऊपर स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति हेतु श्री कुबेर यंत्र युक्त सिक्का विराजमान करें। फिर आप सिक्के पर केसर-कुंकुम का तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं, नैवेद्य का भोग लगाएं। आप सवा मुठ्ठी भर अक्षत लें। उनको आप लक्ष्मी माला से इस मंत्र की 11 माला जाप करते हुए सिक्के पर चढ़ाते रहे।  

मंत्रः- 
‘‘ऊँ श्रीं हृीं श्रीं स्थिर लक्ष्मी महाधनं देहि श्रीं हृीं ऊँ नमः।।‘‘ 

मंत्र जाप पूर्ण होने के पश्चात् आप हाथ जोड़कर धनदात्री माँ लक्ष्मी से आराधना करें कि मेरे घर में स्थिर रूप विराजमान होकर सुख-समृद्धि-शांति एवं ऐश्वर्य की वृद्धि करें तथा मेरे द्वारा हुए अपराधों को क्षमा करके कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा मेरे परिवार की रक्षा करें। ऐसे करके सभी सदस्य ग्रहण कर लें। अगले दिन प्रातःकाल आप 7 से 9 बजे के मध्य कनकधारा शक्ति यंत्रम्, पारदेश्वर शंख, कुबेर सिक्के व लक्ष्मी माला को मंदिर में विराजमान कर दें, गोमती चक्र को उसी लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रख दें व बाकी बची सभी सामग्री को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

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