Navratra-2018 || कलश स्थापना कैसे करें और मुहूर्त | Suresh Shrimali

घाट स्थापना सम्पूर्ण विधि एवं शुभ मुहूर्त 

अब बात मुहूर्त की, घट स्थापना कब की जाए। इस बार अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 10 अक्टूबर बुधवार से नवरात्रा प्रारंभ हो रहे हैं। इस बार एक तिथि द्वितीया क्षय हो रही है तो कालदण्ड योग भी हैं। लेकिन घट स्थापना बुधवार को दोपहर 12 बजे तक दो मुहूर्त में की जा सकेगी। बुधवार 10 अक्टूबर को प्रातः 7 से 9 बजे तक एवं इसके बाद 11 से 12 बजे तक शुभ एवं लाभदायी मुहूर्त में घट स्थापना करना शुभ रहेगा। 17 अक्टूबर बुधवार को अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगी उसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएष्ी। अतः अष्टमी के दिन हवन एवं शुभ कार्य करने का समय प्रातः 7 से 9 एवं दोपहर 11 से 12 बजे तक शुभ एवं लाभदायी रहेगा।

कैसे करें कलश स्थापना:-
अब बात कलश स्थापना की। नवरात्रा का श्रीगणेश शुक्ल प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त में घट स्थापना से होता है। पहले तो यह जान लें कि कलश स्थापना के लिए किस किस सामग्री की आवश्यकता होती है। शुद्ध जल, थोडा सा गंगाजल, गंध, सर्वोषधि, दूर्वा, कुशा, सप्त मातिृका, पुंगीफल यानी सुपारी, पंचरत्न, दक्षिणा या स्वर्ण, आम या अशोक वृक्ष के पत्ते, मौली, चावल व पानी वाला नारियल। सबसे पहले कलश लें और इस में शुद्ध जल भर लें, फिर इसमें थोडा-सा गंगाजल मिलायें। फिर सर्वोषधि, दूर्वा, कुशा, सप्तमातिृका, पुगीफल, पंचरत्न के अभाव में आप पांच सिक्के डाल दें, दक्षिणा में स्वर्ण के अभाव में सिक्का डालें। फिर कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते इस प्रकार रखें कि वे आधे बाहर व आधे कलश में रहे। इसके बाद कलश पर एक पात्र में चावल भर कर रखें। इस पर मौली से बांधकर या चुनरी ओढ़ा कर पानी वाला नारियल रखें। फिर वरूण देवता का आह्वान कर कलश की पूजा करें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं व पुष्प अर्पित करें। इसे पूजा में बायीं ओर विराजमान करें। कुल्हड में जौ बौनाः कलश स्थापना के साथ ही एक मिट्टी के पात्र कुल्हड में जौ बोने का कार्य भी करें। नवरात्रा में जो व्यक्ति नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं वे कुल्हड में जौ बौ देते हैं। प्रतिदिन पूजा के बाद इसमें एक लौटा जल डालें। तीसरे दिन उसमें अंकुर फूूटने लगते हैं। इन अंकुरित जौ को अति शुभ माना जाता है। नौ दिन में ये जौ पूर्ण अंकुरित हो जाते हैं। जौ अच्छे अंकुरित होना वर्ष मंगलमयी रहने का संकेत देता है। इन जौ में से कुछ जौ आप मौली से बांध कर नवमी के बाद अपने घर की तिजोरी या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में रख दें। ऐसा करने से सौभाग्य व धन-धान्य का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रतिमा या तस्वीर स्थापनाः देवी दुर्गा की प्रतिमा, मूर्ति अथवा तस्वीर को घट के पास एक बाजोट पर लाल-पीले वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर विराजमान करें। शुद्ध जल से अभिषेक के बाद चंदन, रौली, अक्षत, धूप, दीप, नैवैद्य से मॉं की पूजा-अर्चना करें। अखण्ड ज्योतिः नवरात्रा के नौ दिन तक निरन्तर नौ दिनों तक अखण्ड दीपक प्रषवलित किया जाता है।

Comments