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कुबेर साधना से व्यापार में होगा लाभ ही लाभ || धनतेरस सम्पूर्ण पूजन विधि 2017 || Suresh Shrimali
||सुख-सौभाग्यवर्द्धक कुबेर साधना||
जैसाकि हम सभी जानते है कि देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर है और यह देवता न होकर यक्ष है। इसलिए इनकी साधना सरल व सुगम है। दूसरी बात यह भी है कि ये शिव के कृपापात्र होने के कारण शीघ्र ही साधना से प्रसन्न हो जाते है। महालक्ष्मी के वैभव, सम्पन्नता और प्रचुरता का गुण भगवान श्रीगणपति और श्रीकुबेर में है। इसलिए आज के इस भौतिक युग में श्रीगणपति और श्रीकुबेर की साधना सर्वाधिक अनुकूल और सुगम है।
इस साधना के लिए आपको चाहिए होगा:-
मंत्रसिद्ध श्रीकुबेर यंत्र युक्त सिक्का, मंत्र सिद्ध कुबेर कुंजी, हकीक पत्थर, कुबेर गुटिका, अभिमंत्रित सरसों, स्वर्णाकर्षण मणियां एवं लक्ष्मी माला। यह साधना आप रात्रि 07 बजकर 44 मिनट से 09 बजकर 40 मिनट तक वृषभ लग्न में एवं रात्रि 02 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 29 मिनट तक सिंह लग्न के शुभ मुहूर्त में सम्पन्न कर सकते है।
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु आप अपने मंदिर अथवा घर के किसी भी कोने में तीन बाजोट स्थापित करें तथा उन पर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर बाईं (लेफ्ट) ओर के बाजोट पर चावल से शुभ का चिन्ह बनाएं (शुभ लिखें) तथा दाईं (राईट) ओर के बाजोट पर चावल से लाभ का चिन्ह बनाएं (लाभ लिखें)। फिर बाएं और दाएं वाले बाजोट के चारों कोनों में गेहूं की छोटी-छोटी ढेरी बनाकर उन सभी ढेरियों पर तेल के दीपक प्रज्जवलित करें व सभी दीपक में थोड़ी-थोड़ी अभिमंत्रित सरसों डालें तत्पश्चात् बाईं ओर वाले बाजोट पर जहां शुभ का चिन्ह लिखा है उस पर बड़ा पीतल अथवा मिट्टी का तेल का दीपक व दाईं ओर वाले बाजोट पर जहां लाभ का चिन्ह लिखा है उस पर भी पीतल अथवा मिट्टी का घी का दीपक प्रज्जवलित करें। फिर मध्य के बाजोट पर गेंहू से ‘‘श्री‘‘ लिखे व बाजोट के चारों कोनों में काली उड़द की ढेरी बनाकर उस पर एक-एक हकीक पत्थर विराजमान करें। फिर एक शुद्ध चांदी या स्टील की थाली लेकर उसमें पुष्प का आसन बनाकर उस पर श्रीकुबेर यंत्र युक्त सिक्का विराजमान करें साथ ही उनके दाई तरफ मंत्र सिद्ध कुबेर कुंजी रख दें तथा उनके चारों तरफ आपके घर में चांदी अथवा सोने के जितने भी सिक्के हो उन्हें भी थाली में कुबेर सिक्के के चारों तरफ रख दें। फिर उस पर सवा पाव पंचामृत (जितना दूध आप ले उससे आधा दही, दही से आधी चीनी, चीनी से आधा घी और घी से आधी मात्रा में शहद लेना चाहिए) द्वारा इस मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करें:-
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा।
अभिषेक पूर्ण हो जाने के पश्चात् श्रीकुबेर यंत्र युक्त सिक्का, कुबेर कुंजी एवं अन्य सभी सिक्कों को शुद्ध जल से स्नान करवाएं तथा दूसरी शुद्ध चांदी या स्टील की थाली लेकर उसमें अष्टगंध से ‘‘श्रीं‘‘ का चिन्ह बनाकर, उस पर पुष्पों का आसन बनाकर मध्य वाले बाजोट पर रखे व उसमें श्रीकुबेर यंत्र युक्त सिक्का, कुबेर कुंजी व अन्य सिक्कों के साथ ही कुबेर गुटिका व स्वर्णाकर्षण मणियां भी विराजमान करें।
फिर सर्वप्रथम हाथ में जल लेकर इस तरह विनियोग करें-
इस प्रकार न्यास करने के पश्चात् कुबेर का ध्यान करें - इनके मुख्य ध्यान श्लोक में इन्हें मनुष्यों के द्वारा पालकी पर अथवा श्रेष्ठ पुष्पक विमान पर विराजित दिखाया गया है। इनका वर्ण गरूड़मणि या गरूड़रत्न के समान दीप्तिमान् पीतवर्ण युक्त बतलाया गया है और समस्त निधियां इनके साथ मूर्तिमान होकर इनके पाश्र्वभाग में निर्दिष्ट हैं। ये किरीट मुकुटादि आभूषणों से विभूषित है। इनके एक हाथ में श्रेष्ठ गदा तथा दूसरे हाथ में धन प्रदान करने की वरमुद्रा सुशोभित है। ये उन्नत उदरयुक्त स्थूल शरीर वाले हैं। ऐसे भगवान शिव के परम सुह्द भगवान कुबेर का ध्यान करना चाहिए।
इस प्रकार आप मन ही मन कुबेरराज का ध्यान करते हुए सभी सामग्रियों पर केसर-अष्टगंध द्वारा तिलक करें, अक्षत चढ़ाए, अबीर-गुलाल चढ़ाए, पुष्प चढ़ाए, नैवेद्य चढ़ाए तथा धूप-दीप करें। इस मंत्र का जाप करते रहे व अक्षत चढ़ाते रहें।
मंत्र:-
‘‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।‘‘
मंत्र जाप पूर्ण हो जाने के पश्चात् आप कुबेर जी का ध्यान करें कि हे कुबेर देवता, मैंने मंत्रहीन क्रियाहीन एवं बुद्धिहीन जो पूजन किया है उसे स्वीकार करें तथा कोई भी त्रुटि होने पर क्षमा करें तथा मुझे आषीर्वाद प्रदान करें कि मेरे घर में सदैव सुख-समृद्धि एवं शांति का वास हो तथा हम सभी परिवारजन चिरआयु हो तथा हमारा खजाना भी आपके खजाने के समक्ष सदैव भरा रहे व आपकी कृपा दृष्टि सदा हम पर बनी रहे। इस तरह कुबेर देवता का ध्यान करने के पश्चात् आपको एक कुबेर पोटली का निर्माण करना है, इस पोटली के अन्दर आपको श्रीकुबेर यंत्र युक्त सिक्का, कुबेर कुंजी, कुबेर गुटिका, स्वर्णाकर्षण मणियां, दो लौंग, दो हरी ईलायची व केसर की डिब्बी रख दें और पोटली को तीन गांठ लगाकर बांध दें तथा कुबेर पोटली को उसी थाली में विराजमान कर दें। तत्पश्चात् नैवेद्य (प्रसाद) परिवार के सभी सदस्य ग्रहण कर लें तथा सभी पूजन सामग्री यथा स्थिति में रहने दें तथा अगले दिन रूप चतुर्दषी की सांयकाल में उसी स्थिति में पूजा आरंभ करें|
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