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Dhanteras 2017|| सिर्फ धनतेरस नहीं, ""महा धनदायक प्रदोष"" है ये दिन || By Suresh Shrimali
||सिर्फ धनतेरस नहीं महा धनदायक प्रदोष है ये दिन||
प्रत्येक महीने में दो तेरस आती है जिसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। प्रदोष यानि भगवान शिव को प्रसन्न करने का दिन, इस दिन भगवान शिव संध्या काल में माँ पार्वती के साथ विचरण करते है और सारे भक्तों का मंगल करते है। आखिर भगवान शिव है कौन? रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश के पिता, महान सेनापति और पराक्रम के कारक, मंगल के आदिपति देवता, कार्तिकेय के भी पिता है भगवान शिव। माँ पार्वती जो साक्षात शक्ति स्वरूपा है। एक मात्र देव जो सिर्फ देव ना होकर महादेव कहलाएं। ऐसे भगवान शिव की आराधना का दिन है प्रदोष। अब हर साल एक प्रदोष......साल भर आने वाले सभी प्रदोष व्रतों में विशिष्ठ दर्जा लिए है, वो है धनत्रयोदशी पर आने वाला प्रदोष।
इस बार 17 अक्टूबर को प्रदोष है और इस दिन मंगलवार है। मंगल पराक्रम के कारक है। ऊर्जा का संचार करने वाले है। यदि आप प्रदोष का व्रत पहले से कर रहे है तो इस दिन शाम के समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना विधि रूप से कीजिए। मंदिर जाकर दर्शन करके आईए और फिर भोजन रूपी प्रसाद ग्रहण कीजिए। भगवान शिव की कृपा से आपका आंगन महकेगा और यदि आप प्रदोष व्रत नहीं करते है तो इस दिन से ये महाधनदायक प्रदोष करना शुरू कीजिए।
ये तो रही प्रोसेस की बात। अगर आप इस दिन में चार चांद लगाना चाहते है या जैसे अंग्रेजी में कहते है इट्स आइस आॅन द केक। तो अब मैं आपको बता रहा हूं उसे ध्यानपूर्वक समझकर फोलो कीजिएगा। भगवान श्रीरामचन्द्र जी ने जब रामेश्वर ज्योर्तिलिंग की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की। तो उस आराधना को रूद्राष्टकम के नाम से जाना गया। इसका पहला सर्ग कुछ इस प्रकार है-
इस तरह रूद्राष्टकम में कुल 8 सर्ग है। यदि इस दिन आप रूद्राष्टकम् का पाठ करते है तो इस प्रदोष के दिन भगवान शिव की स्तुति आपको विजयशील बनाकर रखेगी और दर्शकों जहां विजय है वहां विनय है। जहां विनय है वहां धैर्य है, जहां धैर्य है वहां सबल है। जहां सबल है वहां सत्त संघर्ष की चेष्टा है और जहां सत्त संघर्ष की चेष्टा है। वो कभी हार नहीं सकता और जो संघर्ष से नहीं हारेगा उस पर माँ लक्ष्मी की कृपा ना हो ये कभी हो नहीं सकता।
रूद्राष्टकम के ये 8 स्कंद आपको नेट के माध्यम से भी मिल जाएंगे। आप चाहे तो किसी भी धार्मिक पुस्तकों की दुकान से भी ये पुस्तक प्राप्त कर सकते है। रूद्राष्टकम का पाठ करते समय घी का एक दीपक भी पूजन कक्ष में जलाकर रखना चाहिए।
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