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दीपावली पूजा में यह गलती मत करना-लक्ष्मी पूजा में ध्यान रखना इन बातों का Diwali 2017 Suresh Shrimali
|| दीपावली पूजा में यह गलती से भी मत करना ||
दीपावली पूजन के समय कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए, इसे आप मेरी तरफ से दी गई हिदायत भी मान सकते है। मां लक्ष्मी जिस तस्वीर में खड़ी हो और आशीर्वाद दे रही हो, वो तस्वीर कभी नहीं लगानी चाहिए। क्योंकि वो मां लक्ष्मी का स्थिर स्वरूप नहीं है। उल्लू मां का वाहन है, जो रात के समय क्रियाशील रहता है और निर्जन स्थानों पर रहता है। जिस तस्वीर में मां लक्ष्मी उल्लू पर विराजित है, वो भी तस्वीर ना लगाएं।
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप है उनमें से किसी भी स्वरूप को घर में स्थान दे सकते है। लेकिन गृहस्थ लोगों के लिए बैठी हुई लक्ष्मी संपन्नता का प्रतीक है। घर में ऐसी ही तस्वीर लगाएं, अब कार्यस्थल पर या जहां मशीनरी का कार्य अधिक है वहां खड़ी लक्ष्मी की ही मूर्ति लगानी चाहिए। एक सीधा साधारण सा नियम है जब आपके घर कोई आता है आप उसे भीतर बुलाते है और आवभगत करते है लेकिन जाते समय आप हाथ जोड़कर उसे विदा दे देते है। जब मां लक्ष्मी का पूजन करें तो हाथ कभी ना जोड़े। क्योंकि आप घर में उनका स्थाईवास चाहते है, न कि उनका घर से विदा ले लेना। इस कारण से मां लक्ष्मी को कभी भी हाथ नहीं जोड़ने चाहिए। बल्कि दोनों हाथ खोलकर मां से मांगना चाहिए।
मैंने बताया था कि धनतेरस के दिन पांच जगहों से लाकर तुलसी का पौधा स्थापित करना चाहिए। लेकिन इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखिएगा कि महालक्ष्मी पूजा में कहीं भी तुलसी का इस्तेमाल न हो। क्योंकि इसके पीछे कारण क्या है। मां लक्ष्मी का शालिग्राम जी के साथ विवाह संपन्न करवाया जाता है, शालिग्राम यानि विष्णु स्वरूप, तो एक तरह से तुलसी मां लक्ष्मी की सौतन हुई और स्त्री को सौतन कब अच्छी लगेगी। भले ही वो देवी हो, चाहे आपकी धर्मपत्नी।
हम सभी लक्ष्मी पूजा में आरती को सम्मिलित करते आएं है। एक तरह से किसी भी देवता की पूजा के बाद सम्पुट माना जाता है आरती। और ये कहा जाता है कि हे! देव आप फिर से अपने स्थान पर जाकर विराजित हो, जहां से आप आएं है एवं हम सभी पर कृपा बनाएं रखें। लेकिन लक्ष्मी को तो हर कोई अपने घर में ही विराजित देखना चाहता है। इसलिए उनकी पूजा में आरती सम्पुट कतई ना दे। यदि ये सावधानियां रख ली जाएं तो समझो हुए वारे-न्यारे।
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