Suresh Shrimali is versatile and multifaceted personality. Rarely do we come across such a person in our day to day life. There are people who acquire knowledge and there are people who get success but all that comes at an advanced age but to achieve such heights and at such a young age this is something that boggles our mind. And this is what makes him a brilliant exception
Navratri 2017|| माँ दुर्गा के 9 रूप ही क्यों होते हैं ? || Suresh Shrimali
शक्ति की आराधना उनकी भक्ति के पावन पर्व की शुरूआत हो गई है। अलग-अलग रूपों में अपने भक्तों का उद्धार करके उनके सारे दुःख हर लेती है माँ-
दुर्गा रूप में करती है शक्ति का संचार लक्ष्मी रूप में बरसाती है धन अपार सरस्वती रूप में देती है ज्ञान का वरदान
नवरात्रा पूजन प्रतिपदा से लेकर नवमी तक चलता है। इस पूजन के लिए नौ दिन ही क्यों नियत किए गए हैं? यह सार्थक प्रश्न हैं, क्योंकि देवी दुर्गा नवविद्या है, इसलिए उनकी उपासना के लिए नौ दिन का समय निश्चित किया गया है। तृतीय शक्ति के तीन गुण हैं- सत्व, रजस और तम। इनको तिगुना करने पर 9 की संख्या प्राप्त होती हैं। जिस प्रकार यज्ञोपवित में तीन बड़े धागे होते हैं और उन तीनों में प्रत्येक धागा तीन-तीन धागों से होता है। उसी प्रकार प्रकृति, योग एवं माया का त्रिवृत रूप नवविध ही होता है। दुर्गा की उपासना में उसके समग्र रूप की आराधना हो सके, इसी उद्देश्य से नवरात्रा के ‘नौ दिन‘ निश्चित किए गए हैं। वर्ष के 360 दिन को नौ की संख्या से बांटा जाएं तो 40 नवरात्रा आती है और 40 दिनों का 1 मंडल कहलाता है। कोई जप इत्यादि करना हो तो 40 दिन का अनुष्ठान सिद्ध होता है। वर्ष में इसी प्रकार 4 प्रधान नवरात्रा बनती हैं जो चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मानी जाती है। चारों नवरात्रि हमारे चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के प्रतीक हैं। धर्म और अर्थ का मिश्रण तथा काम और मोक्ष का मिश्रण कर देने से मनुष्य के पुरुषार्थ के अनुसार दो नवरात्रा चैत्र और शारदीय नवरात्रा मानी जाती है। नवरात्रा के नौ दिन भगवती दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना के दिवस हैं और इन नौ दिनों में जो भी साधनाएं की जाती हैं वे सिद्ध होती ही हैं। वर्ष का प्रारंभ ही साधनाओं एवं देवी भगवती की पूजा से हो तो पूरा वर्ष श्रेष्ठ व्यतीत होता है।
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