Suresh Shrimali is versatile and multifaceted personality. Rarely do we come across such a person in our day to day life. There are people who acquire knowledge and there are people who get success but all that comes at an advanced age but to achieve such heights and at such a young age this is something that boggles our mind. And this is what makes him a brilliant exception
सूर्यादय से पूर्व कार्तिक माह में स्नान का महत्व-पूजा विधि || Sharad Purnima|| By Suresh Shrimali
|| सूर्यादय से पूर्व कार्तिक माह में स्नान ||
कार्तिक मास को पुण्य मास भी कहा गया है। कार्तिक मास के स्नान की शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है और कार्तिक पूर्णिमा पर इसका समापन हो जाता है। वैसे तो कार्तिक मास में किसी नदी या तालाब में सूर्योदय से पहले स्नान का महत्व बताया गया है और यहां तक कहा गया है कि यदि व्यक्ति हजार बार गंगा स्नान करें और प्रयाग कुंभ में स्नान करें तो उतना ही फल प्राप्त होता है जितना कि कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने से प्राप्त होता है।
इस माह श्रीहरि विष्णु जल के भीतर निवास करते है इसी वजह से जो व्यक्ति तालाब या नदी में स्नान करता है उसे भगवान विष्णु का साक्षात्कार होता है और वे व्यक्ति पर पुण्य कृपा की वर्षा करते है। शरद पूर्णिमा से ही वातावरण में ठंडक बढ़ने लगती है और शरीर में आलस्य व्याप्त होने लगता है। इस एक महिने में सुबह उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करने से शरीर घटते तापमान का अभ्यस्थ हो जाता है। आजकल हम जिस लाइफ स्टाइल के हिस्सेदार है उसमें नदी या तालाब सिर्फ संस्कृति का हिस्सा हो गए है। इसीलिए घर में ही सुबह-सुबह जब आप स्नान करें तो आसपास के नदी तालाब का थोड़ा सा पानी भले ही वो ढक्कन भर ही क्यों ना हो, मिला लें और गंगाजल हो तो सोने में सुंगध। स्नान के पश्चात तुलसी के पौधे में दीया जलाना चाहिए और पास ही किसी मंदिर में दीपदान जरूर करें। घर की सभी महिलाओं को मिलकर श्रीकृष्ण भजन गाने चाहिए। ये महिना त्यौंहारों से भरा हुआ महिना है, भले ही वो धनतेरस हो, गोवर्धन पूजा हो, अहोइ अष्टलक्ष्मी व्रत हो, देवप्रबोधनी एकादशी हो।
ध्यान रहे यह त्यौंहार सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, पुरूषों को भी चाहिए कि इसी तरह स्नान करें और नित्य विधि का पालन करें। घर में सुख-शांति, समृद्धि का वास होता है।
दर्शकों त्यौंहार से हटकर एक और बात हमारी जीवनशैली जब से हमारी परम्पराओं से दूर हुई है उसी समय से परेशानियां, स्ट्रेस, बिमारियां लगातार बढ़ने लगी है। मेरा ये प्रयास है कि उन्हीं सारे मूल्यों को फिर से स्थापित किया जाएं। मैं कतई ये नहीं कहता कि आप सिर्फ पुराने को ही रखें, नया ना अपनाएं। बल्कि हमारे संस्कृति की श्रेष्ठ बातों को हमेशा साथ रखें और बदलाव जो कि नयापन ला रहा है। उसे भी अपना लें।
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