10 लाख से ज्यादा लोग "त्रिभुज बीसा यंत्र व श्रीं" बीज़ साधना के चमत्कार देख चुकेहैं|| Suresh Shrimali




        || मां लक्ष्मी आएगी आपके द्वार ये है बीसा यंत्र के चमत्कार ||


 ‘जिसके घरं हो बीसा क्या करें जगदीशा’ कहावत बहुत पुरानी है। बीसा यंत्र एक ऐसा यंत्र है जो हर समस्या का समाधान करता है। इसी कारण इसे यंत्रराज कहा जाता है। बीसा यंत्र कई प्रकार के होते हैं। जैसा कार्य या समस्या हो, वैसा ही यंत्र बनाया जा सकता है।


 आज मैं आपको महालक्ष्मी बीसा यंत्र बनाने की विधि बताऊंगा इसके लिए आप धन त्रयोदषी से दीपावली के बीच किसी भी दिन भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से इस यंत्र का बना लें। इस समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिषा की ओर होना आवष्यक है। अपने सामने धूप-द्वीप जला लें और यंत्र निर्माण होने के बाद श्रीसूक्त का पाठ सात बार करें। फिर यंत्र को दोनों हाथों की अंजलि में लेकर अपने मस्तक पर लगाएं और सदैव अपने पर्स में रखें। ऐसा करने से महालक्ष्मी की असीम कृपा होकर आपके घर में अन्न, धन का भण्डार भरा रहेगा। 
यंत्र बनाना है।

श्रीं बीज साधना हर मनोकामना करेगी पूरीअपना अनुभव बताना है।आज तक मैंने आपको कई विशेष प्रयोग बताए है जिन्हें सम्पन्न करके आपको सभी इच्छित फल की प्राप्ति हुई है।


आज के इस विशेष दिन पर मैं आपको एक दिव्य साधना बता रहा हूँ जो हमारे शास्त्रों के अनमोल खजाने में से एक है। यह साधना आपको दीपावली की रात्रि सिंह लग्न में सम्पन्न करनी है। क्योंकि यह मुहूर्त अर्द्धरात्रि का होगा तो आप यह साधना पूर्ण शांतिमय रूप से सम्पन्न कर पायेंगे। इसीलिए इसे सिंह लग्न में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। इसके लिए आप स्नानादि से निवृत होकर बिना सिले वस्त्र जैसे कि पीताम्बर या शुद्ध धोती धारण कर लें। फिर सबसे पहले आपको त्रिगंध तैयार करना है। इसके लिए आप केशर, कुमकुम और कपूर को बराबर मात्रा में लेकर इसका एक मिश्रण तैयार कर लें। फिर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके ऊनी आसन पर स्थान ग्रहण कर लें। उसके बाद शुद्ध भोजपत्र लेकर उस पर अनार की कलम या फिर अगर आपको चांदी की शलाखा आराम से मिल जाएं तो वह श्रेष्ठ रहेगी आपने त्रिगंध तैयार किया है उससे भोजपत्र पर 108 बार श्री लिखे एवं लिखते समय ऊँ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः मंत्र का उच्चारण करते रहे। फिर लक्ष्मी माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करें।


    ‘‘ऊँ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः।‘‘


मंत्र जाप पूर्ण होने के पश्चात् आप उसी त्रिगंध से अपनी अनामिका अंगुली द्वारा 108 बार जहां आपने पहले श्री लिखा था अब आप बिन्दी लगाए। परन्तु ख्याल रखे हर बिन्दी के साथ ऊँ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः मंत्र का उच्चारण करें।


ऐसा करने से यह यंत्र पूर्ण रूप से सिद्ध हो जायेगा। यह प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात आपको मां लक्ष्मी का ध्यान करना है कि हे मां लक्ष्मी मैंने आज के इस विशेष अमावस्या की रात्रि पर आपका यह प्रयोग अपने तन व मन से सम्पन्न किया है यदि इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो गई हो तो अपना बालक/बालिका समझकर मुझे क्षमा करें और मेरी मनोकामना पूर्ण करें। ऐसी प्रार्थना करने के पश्चात् आप सभी सामग्री यथास्थिति रहने दे और फिर अगले दिन प्रातः पुनः स्नानादि करने पश्चात् उस सिद्ध भोजपत्र को चांदी-सोने या फिर ताम्रपत्र में निर्मित कवच में डालकर धारण कर लें।इससे मां लक्ष्मी की आप पर सदैव कृपा दृष्टि बनी रहेगी।


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