होली- 2018 || Suresh shrimali


होली- 2018

बुरा ना मानो होली है, आई मस्तानों की टोली है,
हरे, लाल, नीले, पीले, गुलाबी है रंग, जानिये किस रंग को रखें अपने संग

मेरे प्रिय शिष्यों, साधकों और आज के प्रबुद्ध दर्शकों। 
आप सभी को रंगों भरा नमस्कार! 
फाल्गुन माह में जैसे सारा वातावरण रंगीन सा हो जाता है और फूलो  की मंद-मंद महक, साथ ही खेतों में खिली पीली सरसों देखकर मन अनायास ही रंगीन हो जाता है। क्यों होता है ऐसा! क्योंकि प्रकृति की अपनी विशेषता है, सर्दी में हमें ठंड लगती है, तो गर्मी में तन झुलसता है। वर्षा ऋतु में तन भीगने के साथ मन मुदित होता है और बसंत के मौसम में मन मतवाला हो जाता है। बसंत के मौसम में होली आती है और बसंत का मौसम ही ऐसा है कि प्राणी मात्र का मन विभोर हो जाता है। इसीलिए बसंत और होली के अवसर पर मन मतवाला हो जाता है मौसम के साथ ढलकर मन भी अपनी थकान उतारता है और जब मन हलका हो तो फिर सभी अपने लगते हैं, सभी के लिए मन में सद्भावना जागृत होती है।
न जाति-वर्ण का भेद, न ऊँच-नीच की कोई रेखा संसार में हो तो बस एक-दूजे के लिए प्रेम, भाईचारा सहयोग की भावना यही संदेष लेकर आता है होलिकोत्सव पर्व। 

होली वर्ष भर के सभी त्यौहारों में ऐसा त्यौहार है जिसमें रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं। विभिन्न संस्कृति और धर्मों के लोगों को एक सूत्र में बांधकर राष्ट्रीय भावना को जागृत करने की दृष्टि से हमारे ऋषि, महर्षियों ने शताब्दियों पूर्व ही होलिकोत्सव पर्व का श्रीगणेष किया ताकि सभी धर्मों, वर्गों, समुदाय के लोग विविध रंगों और उत्साह में रंग जाएं।  

लेकिन आज के इस युग में होली के त्यौहार की सच्चाई कहीं गुम सी गई है। दोस्तों कहने में तो बहुत अच्छी लगती है रामायण। लेकिन आज कहां है राम, हर साल हम जिंदा करते है रावण को, उत्सव तो मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का होता है लेकिन दिन भर नाम रावण का चलता है ऐसा लगता है कि राम नहीं रावण के लिए उत्सव मनाया जा रहा है। आज हम अपने चारो ओर देखें तो रावण ही रावण दिखते है कहाँ है राम। 

कृष्ण की भक्ति तो हम जरूर करते है, लेकिन कहां है कृष्ण। यहां तो चारो तरफ कंस ही कंस दिखाई देते है। भक्त प्रहलाद की कहानी तो हम जरूर सुनते है, लेकिन हरिण्यकश्यप तो हमें दिखते है, लेकिन कहां है वो भक्त प्रहलाद। आज के इस नकारात्मक युग में हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान, बच्चियों पर बलात्कार की घटनाएं आम हो गई है उन मासूम बच्चों के साथ दरिंदे की तरह व्यवहार फिर उसे जान से मार दिया जाना आम सा लगने लगा है। कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है। एक दौर ऐसा भी था। जिस वक्त हम किसी को पता पूछते थे तो अगला इंसान जिसके यहां जाना है वहां छोड़कर आ जाता था। लेकिन आज अगर पता पूछे, तो हमें ही वो लूट लेता है। इंसानियत खो सी गई है। ऐसी-ऐसी घटनाएं चारों तरफ हो रही है, धोखा, व्यभिचार भाई-भाई को नुकसान पहुंचा रहा है। सिर्फ खुद के भले के लिए किसी का कितना भी नुकसान हो जाएं, यह नहीं सोचते है। टेंशन-डिप्रेशन के इस दौर में क्यों लोग भाईचारा, एक-दूसरे की मदद करना, एक-दूसरे के प्रति स्नेह का व्यवहार, भूलते जा रहे है। 

धन्य है हमारे ऋषि-मुनि, जिन्होंने कुछ ऐसे तीज-त्यौंहार हम लोगों के लिए बना लिए, ताकि हम अपनी गलतियों से सबक लेकर कुछ ऐसा कर सके, जो ना केवल हमारे, बल्कि हमारे चारों तरफ एक भाईचारे का वातावरण बना सके। तो ऐसे ही एक त्यौंहार की आज मैं बात कर रहा हूं, उसका नाम है होली। यह होली त्यौंहार सिर्फ रंग लगा देने, सरकारी छुट्टी, भांग और शराब पीकर हुडदंग मचाने तक ही सीमित नहीं है, और हाँ आज की युवा पीढी तो इससे भी आगे है मोबाईल में मैसेज के द्वारा ही रंग भेज दिये जाते हैं, एक साथ सैंकडों लोगोें को होली विश करके ऐसा लगता है कि हमारी होली तो हो गई। 

बल्कि यह त्यौंहार है अपनी गलतियों से प्रायश्चित करने का। एक जमाने में जो लोग अपने हुआ करते थे, आज वो कोसों दूर दिल और शरीर से हो चुके है। उन्हें पास लाने का त्यौंहार है होली। भूले-बिसरे गीत गाने का त्यौंहार है होली। होली के त्यौंहार को आप किस तरीके से मनाएं यह मैं आपको बताने आया हँू। आपका तरीका तो आपको पता ही है। कोशीश करें कि आप इस बार मेरे तरीके से चलकर होली मनाएं अपनी खुशी में या खुशी के दिनों में एक चांद और लगा सकें।  

आज के इस कलयुग में लोग अपने दुख से कम दुखी है, और आपके सुख से ज्यादा दुखी है। इसी कारण चाहे वो जलन है, ईष्र्या है या एक ऐसा फ्रस्टेंशन जिसमें खुद तरक्की न कर पाना शामिल है। जिस वजह से ऐसे लोग कई बार दूसरों को बददुआ तंत्र प्रयोग, नज़र, टोने-टोटके कुछ इस प्रकार की स्थितियां जरूर करते है और उसका असर हमें देखने को भी मिलता है। हम अपने आस-पास देखे तो कई बार पाते है, कि हमारा बेटा जब भी कुछ अच्छा करता है, अच्छे कपड़े पहनता है, तो उसे नज़र लग जाती है और बीमार हो जाता है। उसे चोट लग जाती है या फिर मेरे पति को जब भी कोई सफलता मिलती है, तो तुरंत प्रभाव से नज़र लग जाती है। ऐसी बहुत सारी चीजें हैै। 

तो आप अपने जीवन में परिवार सहित सुख-शांति, समृद्धि कैसे पाएं, तंत्र प्रयोग, जादू-टोने, कोर्ट-कचहरी मुकदमें से कैसे छुटकारा पाएं, व्यापार की उन्नति में बाधा या फिर ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर या व्यापार में किसी ने तांत्रिक प्रयोग करवा रखा, बच्चों को पढ़ाई में तकलीफ आ रही है, तो ये होली का पर्व आपके लिए इन सभी कष्टों से राहत पाने के लिए एक नई सौगात लेकर आया है। कुछ ऐसे प्रयोग, मंत्र, टोटके और उपाय मैं आपको बताऊंगा जिनसे आप अपने जीवन में उन्नति पा सकेंगे। तो हमारे इस कार्यक्रम केे अंत तक बने रहिएगा। ताकि आप सब कुछ सही तरह से जान पाएं। 










Comments