होली की रात करेगी करामात || Suresh shrimali
होली की रात करेगी करामात
* तंत्र बाधा/नजर दोष से पाएं मुक्ति- यदि आपको ऐसा महसूस होता है कि किसी ज्ञात या अज्ञात शत्रु ने आप पर तांत्रिक प्रयोग करवा दिया हो या फिर किसी की बुरी नजर लग गई हो तो होली का पर्व यूं समझ लें कि आपका यह कष्ट सदैव समाप्ति के लिए ही है। इससे निजात पाने के लिए आप होलिका दहन के समय एक नारियल, एक जोड़ा लौंग, पीपल की जड़, थोड़े से काले तिल तथा पीली सरसों को रोगी की राइट आई की ओर से स्टार्ट करते हुए लेफ्ट आई तक सिर से 21 बार उसार कर होलिका दहन में डाल दें। ऐसा करने से किसी भी तरह का तांत्रिक दोष या फिर नजर दोष समाप्त हो जायेगा।
* वास्तु दोष निवारण हेतु-लगभग असंभव जैसा है वास्तु दोष रहित मकान या फ्लैट में रहना। मैंने देखा है कि लोगों के घरों में पूजन स्थान, किचन, टाॅयलेट या बैडरूम की दिशा ठीक नहीं होती है जिस कारण परिवार में तनाव, तरक्की में बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है। इसके लिए आप होली दहन के अगले दिन यानि खेलने वाली होली वाले दिन सबसे पहले अपने इष्टदेव व अपने गुरू का स्मरण करें। उसके बाद अपने घर के नाॅर्थ ईष्ट का काॅर्नर जिसे ईशान कोण कहते है उस स्थान पर पहले धो पौंछ कर गुलाल अर्पित करें और अपने मुख्य द्वार के दोनों तरफ कुंमकंुम से स्वास्तिक चिन्ह् बनाए। साथ ही घर के बाहर रंगोली बनाकर उसके मध्य सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाकर उसमें काले तिल, दो काली मिर्ची, थोड़ी नागकेसर डाल दें तथा अगले दिन दीपक जब बुझ जाता है तब बाती, बचा हुआ तेल और दीपक सहित अपने घर के गार्डन या किसी गमले में दबा दें ऐसा करने से आप पर देव कृपा होने के साथ ही साथ आपके निवास में व्याप्त सभी नकारात्मक ऊर्जा का शमन होकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा, साथ ही वास्तु दोष भी सदैव के लिए दूर हो जाएगा।
* व्यापार बाधा को दूर करने का उपायः- होली दहन वाले दिन काले घोड़े की नाल पर सिंदूर का तिलक कर लाल कपड़े में लपेट लें फिर ‘‘ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं परम सिद्धि व्यापार वृद्धि नमः।’’ मंत्र का जाप शनि की माला या कोई भी रूद्राक्ष की माला से करें। कम से कम 1 माला होनी चाहिए और अगर 21 माला जाप कर पाएं तो श्रेष्ठ। इस पोटली को अपने आॅंफिस, दुकान या फैक्ट्री के मैन गेट के अंदर ऊपर की तरफ लगा लें जहां ग्राहकों की नजर इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में बाधा दूर होकर सफलता मिलने लगेगी।

* रोग मुक्ति हेतु- अब मैं आपको रोग मुक्त होकर आरोग्य रहने के लिए उपाय बताता हूं। जब शरीर स्वस्थ रहेगा तो मन भी स्वस्थ रहेगा और सभी कार्य सुचारू रूप से कर पायेंगे। इसके लिए आप यह उपाय करें और मुझे विश्वास है कि इससे आपको निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा। होली दहन के दिन अपने हाथ-पैर आदि अंगों पर पर तिल का तेल लगाए और फिर उबटन का शरीर पर लेप करें। सर्वप्रथम आप उबटन बनाने की विधि अच्छे से समझ लें, 2 चम्मच जौं का आटा, 1 चम्मच सरसों का तेल और थोड़ी सी हल्दी को एक साथ दूध में अच्छी तरह मिलाकर गाढ़ा सा लेप बना लें। इस लेप को त्वचा पर लगाकर पूरी तरह से सूखने पर रगड़-रगड़ कर छुड़ा लें। अब इस छुड़े हुए मैल को किसी पात्र एकत्रित कर रखें। फिर शाम को होलिका दहन में स्वाह करें।
* कार्यसिद्धि हेतु-यदि आपका कोई विशेष कार्य रूका हुआ है या कुछ काम बनते-बनते बिगड जाते यानी 90 प्रतिशत काम पूरा हो जाता है और 10 प्रतिशत में आते-आते कार्य रूक जाता हैं तो होली की रात्रि में एक जटा वाला नारियल के दो टुकड़े इस प्रकार करें, जिससे निचला हिस्सा एक कटोरी जैसा हो जाए। फिर आप एकांत में बैठकर उसमें थोड़ा सा कर्पूर, नमक, काले तिल, चमेली का तेल और दूध से बनी मिठाई रखें। फिर ऊपर से सिन्दूर छिड़क दें और बाद में सभी सामग्री को काले कपड़े पर रखकर हो सके तो काले हकीक की माला या कोई भी रूद्राक्ष की माला से ‘‘ऊँ हृीं क्लीं फट् स्वाहा’’ का 11 माला जाप करें। मंत्र जाप के बाद सामग्री को एक दीपक के साथ होलिका की अग्नि में स्वाहा कर दें और अपनी मनोकामना दौहराएं। यहां यह ध्यान रखें कि वापसी में पीछे मुड़कर नहीं देखना। घर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धो लें।
* पितृदोष, ग्रह दोष के साथ अकालमृत्यु के भय से पाएं छुटकारा-मृत्यु दो तरह की होती है जिसमें एक स्वभाविक मृत्यु दूसरी अकाल मृत्यु कहीं जाती है। कई बार आकस्मिक दुर्घटना, लड़ाई-झगड़ा, बम विस्फोट या किसी के द्वारा हत्या किये जाने अथवा आत्महत्या करने से मृत्यु होना अकाल मृत्यु कहीं जाती है। उस अस्वाभाविक-अकाल मृत्यु वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष या शांति ना मिल पाने के कारण आत्मा भटकती रहती है और उसकी शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि क्रियाएं की जाती है। किन्तु अज्ञानवश यह कार्य सही ढंग से पूरा नहीं हो पाता जिसके परिणाम से जीवन में अकारण ही परेशानियां, तकलीफें और कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती रहती है। इसके निवारण के लिए मैं जो साधना आपको बता रहा हूं वह इस दोष से आपको मुक्त करा सकती हैः-
होली के दिन प्रातःकाल 08 बजे से पूर्व तथा सायंकाल 07 बजे से 09 बजे के बीच स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र पहनकर पूर्व या उत्तर की दिशा में बैठकर अपने सामने थाली रखकर उसमें हल्दी और गंगाजल मिलाकर ‘ऊँ’ का चिन्ह बनाएं, फिर उसमें तेल से भरे 07 दीपक भी जलाएं। यह सभी दीपक होली के दहन के समय तक जलते रहने चाहिए। अगर इनमें से कोई दीपक बुझ भी जाएं तो उसका अर्थ अनर्थ में न समझे और दोबारा प्रज्जवलित कर दें। इसके बाद इस मंत्र की 07 माला जाप करें- ‘‘ऊँ श्रीं सर्व पितृदोष निवारणाय क्लेश हन हन सुख शांति देहि देहि फट् स्वाहा’’ जाप करें। इसके बाद अपने गुरू, देवी-देवताओं के साथ पित्रों को भी याद करें। अगर पित्रों के नाम याद ना हो तो सर्व पितृगण कहकर संबोधित करें कि सबकी शांति हो, हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो, हमें किसी प्रकार का कष्ट न हो, ऐसा हमें आशीर्वाद प्रदान करें। अगर यह साधना आपने मेरे बताए अनुसार की तो विश्वास रखिएं कि आपका पारिवारिक वातावरण सुखमय तथा शांतिपूर्ण बनेगा और पितृदोष समाप्त हो जाएगा।
* संतान सुख व संतान से सुख मिलेगा। संतान होना सौभाग्य की बात है परन्तु संतान से सुख होना परम सौभाग्य की बात है। यदि आपको संतान से संबंधित कोई भी बाधा है। तो होली के समय आप यह साधना कीजिए शीघ्र ही आपकी ये कामना पूर्ण होगी। मंत्र नोट कर लीजिए:-
‘देवकी सुत गोविन्दं वासुदेव जगत्पते।
देही मम् तनयं कृष्ण त्वाम हमं शरणंगते।’
आपको इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से 21 माला जाप करनी है। इसके बाद सांयकाल होलिका के सामने नतमस्तक होकर वंश वृद्धि यानि संतान प्राप्ति के लिए यह प्रार्थना करें-‘हे देवी! मैं आपकी शरणागत् हूं आप मुझे संतान सुख उपलब्ध कराये।’ इसके बाद अपनी पत्नी का बिच्छियां (जिसे पैरों में पहनते है) लेकर होली की अग्नि के सामने पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर अग्नि से बिच्छियां को स्पर्श कराएं और यह पत्नी को धारण करने के लिए दे दें। इससे संतान सुख प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होगी।
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