कब और कैसे करें होलिकादहन ? || Suresh shrimali
कब और कैसे करें होलिकादहन ?
सर्वप्रथम होलिका बनाएं या फिर जहां होली दहन होती है वहां पहुंचे। होली दहन से पहले महिलाएं होलिका का पूजन करती है। ऐसा करने से पुण्य मिलता है और घर में सुख-शांति के साथ धन-धान्य की भी कमी नहीं होती है। साथ ही होलिका में आपकी हर चिंता पवित्र अग्नि की लपटों में हो जायेगी स्वाहा, आपके समस्त दुखों का हो जायेगा नाष। परन्तु इसके लिए सही मुहूर्त में होलिका दहन करना बेहद जरूरी है। तो जानते है क्या है वो शुभ मुहूर्तः- इस साल 01 मार्च को होलिका पर्व आ रहा है। होलिका दहन मुहूर्त- शाम 07 बजकर 39 मिनट से 8 बजकर 59 मिनट तक श्रेष्ठ रहेगा।
इस शुभ मुहूर्त में आपको करना क्या है? यह भी समझ लें-
पूजा विधि
एक थाली में रोली, कच्चा सूत, अक्षत, पुष्प, साबुत मंूग, बताषे, सुखा नारियल, उंबी और बड़कुले यानि छोटे-छोटे उपलों की माला ले लें और साथ में पानी से भरा एक लौटा भी रख दें। फिर इन सभी चीजों से होलिका की पूजा कर लें और होलिका दहन होने पर परिक्रमा अवष्य करें। क्योंकि होलिका दहन में पूजा परिक्रमा और प्रसाद का बहुत महत्व होता है। जिससे दुःखों का नाश हो जाता हैं और इच्छाओं को मिलता है पूर्ण वरदान। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक इस पर्व में जितना महत्व रंगों का हैं, उतना ही होलिका दहन का भी हैं।
पर्व का संदेष
यह पर्व न केवल भक्त प्रहलाद की जीत का पर्व है बल्कि हिरण्यकष्यप के अंतिम संस्कार का भी उत्सव है। प्रहलाद की विजय उस धर्म की जय-विजय है जो हमारी संस्कृति और आस्था का आधार है। लोक कल्याण के लिए भले ही हिरण्यकष्यप हजार बार मारा जाए किन्तु प्रहलाद ही इसे जीवित करेगा। इस दिन लोग धर्म, जाति, ऊँच-नीच तथा सभी भेद-भावों को भूलाकर न केवल एक-दूसरे के गले मिलते है बल्कि हरे, लाल नीले, पीले गुलाबी आदि रंगों से हर्षोल्लास के साथ होली खेलते है।
आज के दौर में अगर आपका अपने परिवार में, रिश्तेदार, मित्र, किसी बिजनस पार्टनर, किसी भी इंसान से अगर आपकी नहीं बनती है। कई टाइम से अगर आप उसे देख नहीं रहे है, मिल नहीं रहे है, बात नहीं कर रहे है, एक दुश्मनी जैसी बन गई है। होली के दिन पांच मिनट का ध्यान करके, उस इंसान का चेहरा अपने सामने लाकर आप एक बार उसको क्षमा करना या क्षमा मांग लेना। यह बहुत अच्छा कर्म है जिससे आपके दिल को शांति और सुकून मिलेगा।
यह उत्सव स्नेह, उमंग, श्रद्धा और आस्था से मानाया जाने वाला त्यौहार है जो स्नेह, ममता और प्रेम को दर्षाता है। इसके रंग में सभी कटुताएं धूल जाती है और जीवन में एक नये रंग का निखार आ जाता है।
तीन परिक्रमाएं, पूर्ण करेगी तीन इच्छाएं
होलिका पूजा और दहन में परिक्रमा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से यदि परिक्रमा करते हुए अपनी इच्छा कह दी जाएं तो वह सच हो जाती हैं, बस आपको अपनी मनोकामना के हिसाब से करनी होगी होलिका की परिक्रमा। जितनी कामना उतनी ही बार परिक्रमा।
होलिका में ये जरूर चढ़ाएं
फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को महिलाएं होली दहन के समय होली की पूजा करती हैं तथा विभिन्न पूजन सामग्री होली को अर्पित करती हैं, जैसे-उंबी, गोबर से बने बड़कुले, नारियल। परम्परागत रूप से होली पर चढ़ाई जाने वाली सामग्री के पीछे भी कुछ भाव छिपे हैं, तो आईए जानते हैः-
उंबीः- यह नए धान्य का प्रतीक है। इस समय गेहूं की फसल कटती है। ईश्वर को धन्यवाद देने के उद्देश्य से होली में उंबी समर्पित की जाती है। इसलिए अग्नि को भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में अन्न उपयोग में लेते हैं।
गोबर के बड़कुले की मालाः-अग्नि और इंद्र बसंत की पूर्णिमा के देवता माने गए हैं। ये अग्नि को गहने पहनाने के प्रतीक रूप में चढ़ाए जाते हैं।
नारियलः- नारियल को धर्मग्रंथों में श्रीफल कहा गया है। फल के रूप में इसे अर्पण करते हैं और इसे होलिका दहन में चढ़ाकर वापस लाते हैं और परिवार के सभी सदस्य प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
होली के दिन यह अवष्य करें -
सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नादि से निवृत होकर भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण एवं अपने गुरूदेव की पूजा-अर्चना करें।
पूजा-अर्चना के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
होली दहन के दिन जरुरतमंदों को कुछ दानादि करें तो बहुत पुण्य मिलेगा।
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