लिंग रूप में सर्वप्रथम ऐसे हुए प्रकट "शिव " || Suresh Shrimali



लिंग रूप में सर्वप्रथम ऐसे हुए प्रकट 
"शिव "





महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा, साधना, आराधना कैसे करें, यह जानने से पहले यह जानें कि शिव कैसे प्रकट हुए और क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि। शिव का न तो जन्म हुआ न ही वे कभी मृत्यु को प्राप्त होंगे यानि न उनका आदी है और न अंत। जब सृष्टि में कुछ नहीं केवल शून्य था तब शिव ने ही सर्वप्रथम विष्णु व उनकी नाभी से ब्रह्मा की उत्पत्ति की। उत्पत्ति के बाद जब विष्णु व शिव आपस में लडने लगे कि कौन बडा है तभी वहां शिव ज्योतिर्मय लिंग रूप में प्रकट हुए और दोनों से इस लिंग के आदी व अंत का पता करने को कहा। ब्रह्मा हंस पर सवार हो ऊपर की ओर गए व वाराह रूप धर विष्णु पाताल लोक की ओर। लंबे समय व अथक परिश्रम के बाद भी दोनों को लिंग का आदी व अंत नहीं मिला। ब्रह्मा थक गए तो वहां केतकी के फूल से कहा कि लिंग का यही सिरा है तुम साक्षी बन मेरे साथ चलो। ब्रह्मा जब लिंग का सिरा ढूंढ लाने व साक्षी रूप में केतकी को साथ लाते हैं तो उनके असत्य से शिव नाराज हो जाते हैं तथा केतकी को श्राप देते हैं कि तुम्हें मेरी पूजा में कभी चढाया नहीं जाएगा। विष्णु खाली हाथ लौट आए। तब लिंग ने ब्रह्मा व विष्णु को कुछ और वर्ष तपस्या करने को कहा और लिंग अदृश्य हो गया। लिंग रूप में पहली बार शिव यहीं प्रकट हुए थे।


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