होली का ये प्रयोग बदल देगा दुर्योग || Suresh shrimali
होली का ये प्रयोग
बदल देगा दुर्योग
इन साधनाओं को करने में कुछ विशेष साधना सामग्री की आवश्यक्ता होगी जिसे आप पहले से ही प्राप्त कर लें वैसे बहुत आसानी से मिल जाएंगी लेकिन इस दुनिया में प्यार और अपनेपन को छोड़कर सब कुछ मिल जाता है।
आप 1 मार्च की रात्रि जिसमें होलिका दहन किया जाएगा। वह पूर्णिमा की रात्रि होती है जिसमें पूजा-पाठ और तांत्रिक क्रियाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
साधना सामग्रीः-100 ग्राम जौं, 11 काले चने, तकरीबन 10 ग्राम काले तिल, 7 लौंग, 11 बताशे, दूध से बनी मिठाई, 11 कमल गट्टे, सूखे नारियल गोला कुछ लोग वाटी भी कहते है, पंच मेवा, 11 गोमती चक्र, लगभग 1 गटटा कच्चा सूत यानी धागा। ये सब आप पहले से ही प्राप्त कर लें।

अब होलिका दहन के समय यानी 1 मार्च को मुहूर्त है शाम 7ः39। तो आप वहाँ लगभग 7ः15 तक तो पहुंच ही जाएं। अब होलिका दहन के ठीक सेंटर में खडे हो जाएं लेकिन ध्यान रहे आपका मंूह पूर्व दिशा की ओर हो और होलिका से अपनी जो भी इच्छा है उसकी प्रार्थना करें। जब होलिका दहन हो जाए और अग्नी अपने पूरे उफान पर हो तब इस मन्त्र को 11 बार पढें।
मन्त्र नोट करें।
‘‘ऊँ हृ्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धन पूरय चिन्ताम् तूरय स्वाहा।’’
और इस गोले को थोडे से जौ के साथ अग्नि में स्वाहा कर दें। उसके बाद उस होलिका की आपको 11 परिक्रमा करनी है। परिक्रमा आपको होलिका की लेफ्ट से राईट में करनी है। पहली परिक्रमा समाप्ति में 1 गोमती चक्र होलिका के उत्तर में डाल दें। दूसरी में उत्तर पूर्व के कोण यानी ईशान्य, तीसरी में पूर्व, चैथी में आग्नेय कोण यानी दक्षिण पूर्व का काॅर्नर, पांचवी में दक्षिण दिशा, छठी में नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम का काॅर्नर, सांतवी में पश्चिम दिशा, आंठवी परिक्रमा में वायव्य कोण यानी उत्तर-पश्चिम का कोना, नौंवी परिक्रमा में आकाश और दसवी में जमीन में डाल दें। इन दस परिक्रमा में आपको दसों दिशाओं से जो भी नजर या बंधन या कष्ट होगा वो समाप्त होगा तथा 11 वीं परिक्रमा आप पूर्ण कर होलिका को प्रणाम कर घर जाकर हाथ पैर धो पोंछ लें।
अब दूसरे दिन यानि रंगवाली होली के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर, जहां पिछली रात होलीका दहन हुआ था। उसमें जो गोला आपने स्वाहा किया था उसे बाहर निकाल के तोड लें और उसमें गोमती चक्र बाहर निकाल के उसमें बाद में छेद करके काले धागे में घर का कोई सदस्य गले में धारण कर लें या अपने पर्स में रख दें। अब जो गोला है उसे आप वापस होलीका में ही डाल दें।
इस प्रयोग से लोगों द्वारा नजर, तंत्र प्रयोग अथवा कार्य में आ रही बाधा या रूकावट समाप्त होगी और होलिका के आशीर्वाद से आपको शांति प्राप्त होगी और मनोकामना पूर्ण होगी।
आप सभी अपने जीवन में शांति प्राप्त करें, सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों और जीवन में आनंद ही आनंद हो ऐसी कामना में परम पिता परमेश्वर से करता हूं। आप सभी से मेरा एक निवेदन है कि इस पवित्र त्यौंहार को बिना झगडे के परिवार सहित मनाएं और अपने से रूठे हुए लोगों को जरूर मनाएं। जीवन 1 ही मिला है इसमें मित्र ही मित्र हो शत्रु कोई ना हो। और विशेष बात जल है तो कल है। इसीलिए
आज रंग बरसे। कल पानी को तरसे
पानी को बचाएंगे। सूखी होली मनाएंगे।
Comments
Post a Comment