त्रियुगीनारायण मंदिर में ही हुआ था शिव-पार्वती का शुभ विवाह || Suresh Shrimali
त्रियुगीनारायण मंदिर में ही हुआ था
शिव-पार्वती
का
शुभ विवाह
मैंने आपको महाशिवरात्रि के बारे में बताया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर विद्यमान है वह जगह जहां साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव-पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। यह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह भगवान शिव जी और माता-पार्वती का शुभ विवाह स्थल है। मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युगों से जल रही है। त्रियुगीनारायण हिमालय की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे। विवाह स्थल को ब्रह्म शिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और इसलिए ऐसी मान्यता है कि इन कुंड में स्नान से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है।
मेरे सभी शिष्यों साधको, भोलेनाथ शिव की जो भी साधक सच्ची श्रद्धा और अपनी उचित मनोकामना को पूर्ण करने के लिए पूजा, व्रत और साधना करता है उसे तुरन्त लाभ मिलता है। मैं आपको महाशिवरात्रि पर किए जाने विशेष प्रयोग और साधनाएं बता रहा हूं, जिन्हें पूर्ण कर आप अपने जीवन में वो सब कुछ पा सकेंगे, जो आप पाना चाहते है इसी कड़़ी में मेरा पहला प्रयोग उन के लिए है जिनकी शादी नहीं हुई है या जो लोग अपने बेटे या बेटी की शादी के लिए चिंतित है यह प्रयोग स्वयं या फिर माता-पिता कर सकते है जिनको अपने बच्चों की शादी के लिए प्रयोग करना है।
प्रयोगः- विवाह नहीं हो रहा, दाम्पत्य जीवन में समस्या है, तो आप गीलोय का रस गिलोय एक जडी बूटी है इसे अमृतवटी नाम से भी जानते है। इसे पीसकर थोड़ा पानी डाल दें और रस निकाल दें। अब आप स्फटिक, पारद या जो कोई भी शिवलिंग हो उस पर धीरे-धीरे चढाते हुए ‘‘ऊँ नमः शिवाय’’ मंत्र का जाप करते रहे, ऐसा तकरीबन 15 से 20 मिनट तक अभिषेक करें, अभिषेक पूर्ण हो जाने के पश्चात शिवलिंग को साफ जल से धो-पौंछ कर पुनः मंदिर में स्थापित कर दें तथा चंदन का तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें तथा विवाह बाधा शीघ्र दूर हो और विवाह पश्चात शिव-पार्वती जैसा दाम्पत्य जीवन मिलें, यह प्रार्थना करें तथा निर्माल्य जल पेड-पौधों में डाल दें। यह प्रयोग महाशिवरात्रि से प्रारम्भ कर अगले 13 सोमवार तक पूर्ण करने का संकल्प लें।
त्रियुगीनारायण मंदिर का दृश्य बहुत ही आनंदित प्रतीत होता है।
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