Shradh Paksha-2018 || श्राद्ध समय का वैज्ञानिक आधार || Suresh Shrimali

श्राद्ध समय का वैज्ञानिक आधार


श्राद्ध के समय का धार्मिक, पौराणिक आधार है तो वैज्ञानिक आधार भी है, जैसे सूर्य, मेष से कन्या संक्रांति तक उत्तरायण व तुला से मीन राशि तक दक्षिणायण रहता है, इस दौरान शीत ऋतु का आगमन प्रारंभ हो जाता है। कन्या राशि शीतल राशि है। इस राशि की शीतलता के कारण चंद्रमा पर रहने वाले पितृो के लिए यह अनुकूल समय होता है। यह समय आश्विन मास होता है, पितर अपने लिए भोजन व शीतलता की खोज में पृथ्वी तक आ जाते हैं। वे चाहते हैं पृथ्वी पर उनके परिजन उन्हें तर्पण, पिण्डदान देकर संतुष्ट करें। इसके बाद शुभाशीष देकर मंगल कामना के साथ पुनः लौट जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शुक्ल पक्ष देव पूजन तथा कृष्ण पक्ष पितृ पूजन के लिए उत्तम माना गया है। अमावस्या तिथि भी सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जानी जाती है। याद रखें कि पितर बगैर तर्पण, बगैर पिण्डदान लिए नहीं लौटें। अगर वह अतृप्त लौट गये तो श्राप भी दे सकते हैं। अगर अपने स्वजन की मृत्यु की तिथि याद नहीं होती तो उस स्थिति में अमावस्या को अवश्य श्राद्ध तर्पण करना चाहिए। इसमें सौभाग्य में उत्तरोतर वृद्धि होती रहती है।

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