Shradh Paksha-2018 || श्राद्ध में वार व तिथि का महत्व जानिए किस दिन श्राद्ध करने से क्या फल मिलता है ? || Suresh Shrimali

श्राद्ध में वार व तिथि का महत्व
जानिए किस दिन श्राद्ध करने से क्या फल मिलता है? 


वैसे श्राद्ध पक्ष के सभी दिन विशेष महत्वपूर्ण है पर इसके किस दिन श्राद्ध करने पर कौनसी मनोकामना पूरी होगी इस बारे में अग्निपुराण के 117वें अध्याय में श्राद्धकल्प में अग्निदेव द्वारा काम्यकल्प के लिये दिए गये विस्तृत वर्णन से जाना जा सकता है। जैसे प्रतिपदा को श्राद्ध करने वाले मनुष्य को धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती हैं। द्वितीया को श्राद्ध करने वाले को सुन्दर सुशील पत्नी मिलती है। तृतीया में श्राद्ध करने से शत्रुओं का नाश होता है। चतुर्थी में जो श्राद्ध करता है वह धर्म और काम की प्राप्ति करता है। पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी को प्राप्त करता है व पुत्र की कामना पूर्ति होती है। षष्ठी को श्राद्घकर्म सम्पन्न करने पर उससे देवता व पितर प्रसन्न होते हैं। उसे जन समाज में श्रेष्ठता की प्राप्ति होती है। सप्तमी में श्राद्ध करने वाले को यज्ञों के पुण्य फल प्राप्त होते हैं। खेतों में उसे उन्नति मिलती है। अष्टमी में श्राद्ध करने वाला मनुष्य सम्पूर्ण समृद्धियां प्राप्त करता है, उसे अर्थ की प्राप्ति व बुद्धि लाभ होता है। नवमी को श्राद्ध करने वाला प्रचूर मात्रा में धन, सम्पत्ति, ऐश्वर्य एवं मन के अनुकूल चलने वाली स्त्री प्राप्त होती है। दशमी के श्राद्ध करने वाले मनुष्य को महालक्ष्मी प्राप्त होती है। एकादशी का श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ दान है। वह सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान प्राप्त करता है। उससे सम्पूर्ण पाप कर्मों का विनाश हो जाता है। उसके परिवार में वृद्धि होती है। द्वादशी के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर मात्रा में अन्न की प्राप्ति होती है। त्रयोदशी के श्राद्ध से धन, संतति, बुद्धि, ऐश्वर्य, दीर्घायु तथा निरोग काया की प्राप्ति होती है व बंधुओं में श्रेष्ठता आती है। चतुर्दशी का श्राद्ध जवान मृतकों के लिए किया जाता है। इससे मनुष्य की हथियारों से रक्षा होती है। जो आत्महत्या, दुर्घटना, हत्या, सर्पदंश व हथियारों से मारे गए हों, उनके लिए चतुर्दशी को श्राद्ध करना चाहिए। अमावस्या का श्राद्ध मृतकों को सब कुछ दिलाने वाला कहा गया है। जिन मनुष्यों के 3 कन्याओं के बाद पुत्र होता है या जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, उन्हें अमावस्या का श्राद्ध करना चाहिए। 

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