Ganesh Chaturthi 2018 | श्री गणेश को क्यों प्रिय है दूर्वा और अप्रिय है तुलसी | Suresh Shrimali

श्री गणेश को 
क्यों प्रिय है दूर्वा और अप्रिय है तुलसी



श्री गणेश को हम दूर्वा चढाते हैं, लेकिन दूर्वा क्यों चढाते हैं? इन दोनों के पीछे पौराणिक कथाएं हैं। आपको पता नहीं है तो जान लीजिए इसका रहस्य। अनलासुर नाम का एक दैत्य था। अपने बल से उसने धरती और स्वर्ग दोनों में आतंक मचा रखा था। ऋषि-मुनि और यहां तक कि देवता भी अनलासुर के आंतक से भयभीत होकर त्राही माम् त्राही माम् करते हुए देवाधिदेव शिव जी के पास आए और उन्हें अपनी व्यथा सुनाकर अनलासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। शिव ने कहा कि अनलासुर का वध तो केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं। फिर ऐसा ही हुआ और श्री गणेश ने अनलासुर को निगल लिया। ऐसा करने से श्री गणेश के पेट में अत्यधिक जलन होने लगी। अनेकों उपाय किए गए पर जलन शांत नहीं हुई। तब ऋषि कश्यप दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्री गणेश को खिलाई और वह दूर्वा ग्रहण करते ही उनके पेट की जलन शांत हो गई। तब से श्री गणेश को दूर्वा प्रिय है तो भक्तों आप भी श्री गणेश को दूर्वा भेंट करें और पाएं उनका आशीर्वाद। अब बात तुलसी की। एक बार श्री गणेश ध्यान मेें बैठे थे और तुलसी ने उनका ध्यान भंग कर उनसे विवाह का प्रस्ताव कर दिया। अपना ध्यान भंग होने पर श्री गणेश नाराज हो गए व विवाह प्रस्ताव ठुकराते हुए तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह राक्षस से होगा। श्राप मिलने पर तुलसी को श्री गणेश का ध्यान भंग करने की अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी। तब श्री गणेश ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण से होगा। लेकिन फिर तुम श्रीविष्णु व श्रीकृष्ण की प्रिय बन जाओगी और कलयुग में तुम्हें मोक्षदायिनी माना जाएगा। लेकिन मेरी पूजा में कभी भी तुम्हारा चढाया जाना शुभ नहीं होगा। इसी कारण श्री गणेश को तुलसी पत्र अप्रिय है और तुलसी नहीं चढाई जाती।



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