Shradh Paksha-2018 || श्राद्ध में क्या न करें || Suresh Shrimali

श्राद्ध में क्या न करें


       विष्णु स्मृति, निर्णय सिन्धु, ज्योतिष शास्त्र आदि में श्राद्ध के बारे में विस्तृत वर्णन है। स्पष्ट माना गया कि बान्धवों यानी स्वजनों द्वारा किया गया श्राद्ध पितृो यानी प्राणी के सूक्ष्म रूप को निश्चित ही मिलता है। श्राद्ध की क्रिया में जिन्हें श्राद्ध कार्य करना है उन्हें पूरे पंद्रह दिनों तक क्षौरकर्म नहीं कराना चाहिये, पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये। प्रतिदिन स्नान के बाद तर्पण करना चाहिये। तेल, उबटन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिये।
     दातुन करना, पान खाना, तेल लगाना, भोजन करना, स्त्री-प्रसंग, औषध-सेवन, दूसरे का अन्न- ये सात श्राद्धकर्ता के लिये वर्जित है।
दौहित्र (पुत्री का पुत्र), कुतप (मध्याह्न का समय) तथा तिल- ये तीन श्राद्ध में अत्यन्त पवित्र हैं तथा क्रोध, अध्वगमन ( श्राद्ध कर एक स्थान से अन्यत्र दूसरे स्थान में जाना) तथा श्राद्ध करने में शीघ्रता- ये तीन वर्जित है।
श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में अगर आप मांस का सेवन करते हैं, शराब पीते हैं। किसी के साथ झगडा करना या गाली गलौच करते हैं तो निश्चित मानिए आपको शांति नहीं मिल पाएगी। 

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