किस ओर हो
श्री गणेश की सूंड
दर्शकों, यह सवाल मुझसे अनेक दर्शकों ने पूछा है कि श्री गणेश की सूंड का क्या रहस्य है और यह किस दिशा की ओर होनी चाहिए? कई प्रतिमाओं में दाई और तो कई में बाई ओर सूंड होती है। श्री गणेश की बाई सूंड में चन्द्रमा का प्रभाव होता है और जैसे चन्द्रमा का स्वभाव है शांत- शीतल और सौम्य उसी तरह बाई ओर सूंड वाले गणपति हमारे लिए श्री, लक्ष्मी, आनंद, सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति-ऐश्वर्य दायक होते हैं। जबकि दाई ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता है। ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है क्योंकि उनकी नियमित तरीके से पूजा-पाठ, आरती विधि-विधान से करना अत्यंत आवश्यक है, जरा सी गलती मुसीबत बन जाती है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं सूंड वाले गणपति विराजमान है जो कि अद्भुत है और वहां नियमित विधिविधान व शास्त्रोक्त तरीके से पूजा की जाती है। सूंड के अलावा अपनी मनोकामना अनुरूप भी गणेश प्रतिमा ला सकते हैं। जैसे संतान की की चाह है तो बाल गणेश की प्रतिमा लाएं, आनंद, उत्साह और उन्नति के लिए नृत्य करते हुए श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। अगर स्थाई सुख-सम्पत्ति-शांति की कामना है तो लेटे हुए आराम करने की मुद्रा में गणपति प्रतिमा लाएं। हां, एक बात का ध्यान अवश्य रखें कि जो भी प्रतिमा हो उसमें एक हाथ वरदान की मुद्रा में हो, एक दंत हो, एक हाथ में लड्डू हो और सबसे महत्वपूर्ण कि उनका वाहन मूषक राज भी अवश्य होना चाहिए।
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