Akshay Tritiya-2018 || वैवाहिक जीवन में तनाव || Suresh Shrimali


वैवाहिक जीवन में तनाव 


आज के समय में पति-पत्नी के झगड़े आए दिन होते रहते है। इसका मुख्य कारण आपसी इष्र्या, शक, वहम और मन-मुटाव होता है। हर पत्नी चाहती है कि पति उन्हें प्यार करें एवं मान-सम्मान दें और पति चाहता है कि पत्नी उसका ध्यान रखें। हर घर में सास-बहु के झगड़े होना एक आम बात है। इसके साथ ही एक्सट्रा मैरिटल अफेयर आजकल फैशन बन गया है। इन सब बातों से दाम्पत्य जीवन बर्बाद हो जाता है। जिन महिलाओं के वैवाहिक सुख में तनाव की स्थिति बनी रहती है। इन पुरूष एवं स्त्री दोनों को अक्षय तृतीया का यह उपाय करना चाहिए।
जहां जीवन में गृहस्थी है तो उसके साथ बाधाएं तो आएगी ही, लेकिन यह साधना सम्पन्न कर आप अपने जीवन को रसयुक्त बना सकते है...

गृहस्थ बाधा निवारक साधना

साधना सामग्री:- प्राणप्रतिष्ठायुक्त अभिमंत्रित गौरी-शंकर प्रतिमा, प्राणप्रतिष्ठायुक्त अभिमंत्रित माला, प्राणप्रतिष्ठायुक्त अभिमंत्रित लघु नारियल- 3, प्राणप्रतिष्ठायुक्त अभिमंत्रित काली हल्दी की गांठ-3

साधना विधान:- सर्वप्रथम आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे। फिर लकड़ी के बाजोट पर सफेद अथवा पीला वस्त्र बिछाएं तथा बाजोट को चारों ओर मोली से बांध दें। फिर आप बाजोट पर एक आगे की तरफ व दो पीछे की तरफ त्रिभुज बनाएं। त्रिभुज के तीनों कोणों में एक-एक मुठ्ठी गेंहू की ढेरी बनाकर उस पर अभिमंत्रित एक-एक लघु नारियल स्थापित करें। फिर चांदी अथवा स्टील की थाली लें, उस पर अष्टगंध अथवा केसर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं एवं उस पर अक्षत (चावल) व गुलाब के पुष्प का आसन बनाएं एवं आसन पर अभिमंत्रित सिद्धिदायक गौरी-शंकर प्रतिमा को विराजमान करें। उसके पश्चात् आप सवा किलो पंचामृत बनाएं ( दूध से आधा दही, दही से आधी शक्कर, शक्कर से आधा घी एवं घी से आधा शहद ) व सिद्धिदायक गौरी-शंकर प्रतिमा पर सवा घण्टे तक या पांच माला अभिषेक करते हुए जो मंत्र मैं आपको बताने जा रहा हूं उस मंत्र की एक माला का जाप करें। मंत्र जाप करने से पहले यदि आप यह साधना अपने स्वयं के लिए कर रहे है तो भोलेनाथ शिव से प्रार्थना करें कि मैं मेरे दाम्पत्य जीवन को अच्छा बनाने के लिए, पति-पत्नी की आयु लम्बी रखने के लिए करने जा रहा/रही हूं या आप किसी ओर के लिए साधना करने जा रहे है तो दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लें और प्रार्थना करें कि इस साधना का प्रतिफल उनको मिलें जिसके लिए मैं साधना कर रहा/रही हूं एवं उस का नाम लें एवं जल छोड़ें।

मंत्र:-   

‘‘ऊँ भवानी गौर्य पति सुख सौभाग्यं देहि-देहि शिव शक्तयै नमः।।‘‘

अभिषेक पूर्ण हो जाने के पश्चात् गौरी-शंकर प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान करवाकर पुनः शुद्ध थाली में ऊँ का चिन्ह बनाकर विराजमान करें एवं आगे की तरफ लघु नारियल के साथ ही एक-एक काली हल्दी विराजमान करें। प्रतिमा के बाईं ओर तेल का एवं दाईं ओर घी का दीपक प्रज्जवलित करें। प्रतिमा पर केशर, कुंकुम का तिलक करें, अबीर-गुलाल, बिल्व पत्र, आक व धतुरा, अक्षत, पुष्प चढ़ाएं, प्रसाद का भोग लगाएं। अब आप 31 मिनट तक उक्त मंत्र का जाप करते हुए हल्दी से पीले किए हुए अक्षत प्रतिमा पर चढ़ाएं। अक्षत चढ़ाने के पश्चात् चढ़ाएं हुए अक्षत में से थोड़े से अक्षत आप अपने पास 21 दिन तक रखेें। तत्पश्चात् थाली में रखे हुए पंचामृत को घर में छिड़क दें तथा बाकी बचा हुआ पंचामृत पेड़-पौधों में डाल दें। लघु नारियल, काली हल्दी, गेहूं व चावल को लाल कपड़े में लपेट कर बहते हुए जल या चार रास्ते पर रख आएं। ऐसा करने से आपके जीवन की बाधाएं भी बहते हुए जल के साथ प्रवाहित होंगी एवं आपको कष्टों व परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। 21 दिन बाद आपके पास रखे हुए चावल को भी बहते हुए जल में प्रवाहित करें। 
इस प्रयोग के करने से आप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बना सकते है। आप खुशहाल जीवन व्यतीत करेंगे।

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