क्या है ध्वनि शक्ति? कैसे बनती हैं तरंगे || Suresh Shrimali
क्या है ध्वनि शक्ति
तरंगों से मिल जाता है नेटवर्क:-
जब ध्वनि तरंगों में इतनी शक्ति है और मंत्रों में इतनी सार्थकता तो मंत्र की सफलता पर संदेह क्यों? अतंरिक्ष में व्याप्त अणु-परमाणु शक्तियां और तरंगें तो सदैव ही विद्यमान हैं, हम लाभ उठायें या नहीं यह तो हम पर निर्भर है। आप दस बजे तक सोये रहते हैं तो इसका अर्थ यह तो नहीं कि अब तक सूर्योदय ही नहीं हुआ। सूर्य ने तो नियत समय पर अपनी ऊर्जा इस संसार में बिखेर दी, फैला दी। इस ऊर्जा में बैठकर आप स्वास्थ्य लाभ उठायें या सुबह की मीठी नींद का आनंद लें। यह तो आप पर निर्भर है। पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ चांदनी बिखेरता है, आप कमरों में ही बैठे रहें तो उन रश्मियों का लाभ आपको कैसे मिलेगा। यह तो आपकी इच्छा पर है। वैसे ही अतंरिक्ष में तो व्याप्त शक्तियां आपको शुभता प्रदान करने को सदैव विद्यमान है, लेकिन आप इनका लाभ न उठायें तो यह आपकी मर्जी है। यह वैसे ही है जैसे आपने अच्छा एलइडी टीवी घर में लाकर तो रख दिया लेकिन न तो छत पर एंटिना है और न डिस-कनेक्शन तो उसमें तस्वीरें कहां से आएगी? जैसे ही आप डिस कनेक्शन जोड देंगें तस्वीरें दिखाई दे जाएंगी। क्योंकि टीवी को नेटवर्क मिल गया। वैसे ही आप मंत्र जाप की शक्ति पर विश्वास कीजिए, आस्था रखिए। विश्वास और आस्था का भाव मंत्र ध्वनि से उत्पन्न ऊर्जा की शक्ति को और बढा देगी। मंत्र जाप प्रारंभ कीजिए, कुछ दिन, कुछ सप्ताह। ध्यान रखें आपकी मंत्र की लय बनी रहे, कभी धीरे, कभी तेज उच्चारण नहीं। एक ही लय में धीरे धीरे मन ही मन मनन करते जाएं। ठीक उसी लय से जैसे समुन्द्र से लहरे उठती है आपकी मंत्र ध्वनि भी उसी लय के साथ निकले। फिर देखिए जैसे नेटवर्क मिलते ही आपके टीवी पर तस्वीरे आने लगी ठीक वैसे ही आपकी मंत्र जप से उत्पन्न ध्वनि तरंगे जब अतंरिक्ष में व्याप्त तरंगों व अणु-परमाणुओं में कपंन करती हुई साध्य तक पहुंचेगी तो आपको भी नेटवर्क मिल जाएगा। एक वार नेटवर्क मिलते ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा। दर्शकों यहां मैं तुलसीदासजी के दो दोहों का उदाहरण दूंगा। तुलसीदासजी ने त्रेता युग में ही मंत्र शक्ति का महत्व बताते हुए कहा था- मंत्र महामणि विषय ब्याल के, मेटत कठिन कुअंक भाल के। यानी मंत्रों में वह शक्ति है कि आपकी भाल, भाल कहते हैं भाग्य को। आपके भाग्य में लिखे कुअंक यानी दुर्भाग्य, अशुभता को भी मिटा सकते हैं। दूसरा सकल पदारथ है जग माही कर्म हीन जन पावत नाही। यानी इस संसार में सभी कुछ उपलब्ध है, जो कर्म करता है वह पा लेता है, और जो कर्म ही नहीं करता उसे कुछ प्राप्त नहीं होता। तो दर्शकों, विश्वास कीजिए मंत्रों की शक्ति पर और कर्म कीजिए ताकि शुभ फल की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो।
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